नारियल का पेड़ सिर्फ एक फसल नहीं, बल्कि हमारे तटीय इलाकों की पहचान और किसानों की रोजी-रोटी का अहम साधन है. लेकिन हाल के सालों में इन पेड़ों पर कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. कभी पत्तियां पीली पड़ जाती हैं, तो कभी तने से लाल-भूरा रस निकलने लगता है. धीरे-धीरे ये बीमारियां पेड़ को कमजोर कर देती हैं और उसकी उपज पर सीधा असर डालती हैं. अगर किसान इन बीमारियों को समय रहते पहचान लें और सही तरीके अपनाएं, तो नारियल की फसल को बड़ी हद तक बचाया जा सकता है. आइए जानते हैं नारियल के पेड़ों में कौन-कौन सी आम बीमारियां होती हैं और उनसे बचने के आसान उपाय.
तना स्राव रोग (Stem Bleeding Disease)
यह नारियल के पेड़ों की सबसे गंभीर बीमारियों में से एक है. इसमें पेड़ के तने पर दरारें पड़ जाती हैं और उन दरारों से लाल-भूरे रंग का तरल पदार्थ बाहर निकलने लगता है. समय के साथ यह तरल पदार्थ तने के ऊतकों (tissue) को सड़ा देता है और पेड़ की वृद्धि रुक जाती है. धीरे-धीरे उपज घटने लगती है.
इस बीमारी से बचने के लिए मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर बनाना जरूरी है. इसके लिए गोबर की खाद या जैविक खाद का उपयोग करें. इससे मिट्टी में पोषक तत्व बढ़ते हैं और पेड़ की प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है.
जड़ सड़न रोग (Root Wilt Disease)
जब नारियल की पत्तियां पीली पड़ने लगें और नीचे की ओर झुक जाएं, तो समझिए कि जड़ों में समस्या शुरू हो गई है. यह बीमारी जड़ों को कमजोर करती है और धीरे-धीरे पूरा पेड़ मुरझाने लगता है.
इससे बचाव के लिए हर साल पेड़ के आसपास 50 किलो तक जैविक खाद डालें और हफ्ते में कम से कम एक बार सिंचाई करें. ध्यान रखें कि पानी का निकास अच्छा हो, क्योंकि जड़ों में पानी रुकने से बीमारी बढ़ जाती है.
पत्ती गलन रोग (Leaf Rot Disease)
इस रोग में पेड़ की पत्तियां काली और कमजोर होने लगती हैं, खासकर नई पत्तियां जल्दी टूट जाती हैं. नतीजा पेड़ की ताकत घट जाती है और नारियल की संख्या भी कम हो जाती है.
इस समस्या से बचने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्वों वाले उर्वरकों का उपयोग करें, जिनमें जिंक, आयरन, मैंगनीज और बोरॉन जैसे तत्व हों. ये पत्तियों को फिर से हरा-भरा बनाते हैं और पेड़ की सेहत सुधारते हैं.
क्राउन चोकिंग (Crown Choking)
अगर नारियल के पेड़ की पत्तियां छोटी और मुड़ी हुई दिखने लगें, तो यह क्राउन चोकिंग की निशानी हो सकती है. धीरे-धीरे पत्तियां खुलना बंद कर देती हैं और पेड़ ‘जाम’ सा दिखने लगता है. अगर इसे नजरअंदाज किया जाए, तो पेड़ सूख सकता है.
इससे बचाव के लिए पेड़ को नियमित रूप से जैविक खाद दें और मिट्टी को नम लेकिन जलभराव रहित रखें. इससे नई पत्तियों की वृद्धि सामान्य रहेगी.
ग्रे लीफ स्पॉट (Grey Leaf Spot)
इस बीमारी में पत्तियों पर छोटे-छोटे पीले धब्बे बन जाते हैं, जो बाद में ग्रे या सफेद रंग में बदल जाते हैं. समय रहते इलाज न किया जाए, तो पूरी पत्ती सूख सकती है.
इस बीमारी को रोकने के लिए पेड़ों के बीच पर्याप्त दूरी रखें और पौधों को धूप मिलने दें. ज्यादा नमी और घनी छाया इस रोग को बढ़ावा देती है.
बड रॉट (Bud Rot)
यह नारियल के पेड़ों में सबसे धीरे-धीरे फैलने वाली बीमारियों में से एक है. शुरुआत में केवल कुछ पत्तियां पीली पड़ती हैं, फिर उन पर काले धब्बे दिखने लगते हैं. अगर इलाज न किया जाए, तो पूरा पेड़ सड़ जाता है.
इससे बचाव के लिए जैविक कवकनाशी (fungicide) का छिड़काव करें और पेड़ के आसपास पानी न जमने दें. मिट्टी को हमेशा हवादार रखें ताकि फफूंदी विकसित न हो सके.