Paddy Acreage Increase: पिछले दस सालों में हरियाणा सरकार की लगातार कोशिशों के बावजूद किसानों का रुझान धान की खेती की तरफ और बढ़ा है. 2015 में जहां धान की खेती का रकबा 13.53 लाख हेक्टेयर था, वहीं 2024 में यानी 9 साल में बढ़कर 18.37 लाख हेक्टेयर हो गया. यानी 35 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है. हालांकि, राज्य सरकार प्रदेश में फसल विविधीकरण को बढ़ावा दे रही है. धान की जगह दूसरी फसलों की खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके बावजूद धान के रकबे में बढ़ोतरी किसानों के लिए चिंता का विषय है.
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सिर्फ दो साल (2020 और 2021) को छोड़कर साल 2015 से 2024 के बीच धान की खेती का क्षेत्र लगातार बढ़ा है. 2015 में 13.53 लाख हेक्टेयर से शुरू होकर यह 2019 में 15.58 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया. इसके बाद 2020 में थोड़ा गिरकर 15.25 लाख हेक्टेयर और 2021 में 15.33 लाख हेक्टेयर रहा. लेकिन इसके बाद फिर से बढ़त शुरू हुई है. हरियाणा में साल 2022 में 16.61 लाख हेक्टेयर, 2023 में 17.77 लाख हेक्टेयर और 2024 में 18.37 लाख हेक्टेयर धान का रकबा रहा.
इस योजना के लागू होने से किसानों को फायदा
खास बात ये है कि 2020 और 2021 में जो गिरावट आई, वो उस वक्त शुरू हुई जब सरकार ने ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना लागू की थी. इस योजना का मकसद किसानों को पानी की बचत के लिए धान की जगह कम पानी वाली फसलें जैसे दालें, कपास, मक्का और बागवानी (फल-सब्जियां) अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है. इसके तहत जागरूकता अभियान चलाए गए और वैकल्पिक फसलें बोने वाले किसानों को प्रति एकड़ 7,000 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी गई. लेकिन यह गिरावट ज्यादा समय तक टिक नहीं पाई. किसान नेताओं का कहना है कि इसकी सबसे बड़ी वजह लाभ का कम होना है. फतेहाबाद जिले के किसान नेता मंदीप नाथवान ने कहा कि अभी की स्थिति में किसानों को सबसे ज्यादा मुनाफा धान की खेती से ही मिलता है, इसलिए वे इसे छोड़ने में हिचकिचाते हैं.
धान की खेती में प्रति एकड़ 80,000 रुपये की कमाई
किसान नेताओं के मुताबिक, एक एकड़ में धान की खेती से करीब 80,000 रुपये तक की आमदनी होती है, जिसमें से खर्च काटकर किसान को लगभग 50,000 रुपये का शुद्ध मुनाफा बचता है. कुरुक्षेत्र जिले के किसान राकेश बैस ने कहा कि अगर मैं धान लगाऊं तो 80,000 रुपये प्रति एकड़ तक कमा सकता हूं. लेकिन अगर मैं कोई वैकल्पिक फसल लगाऊं, तो ज्यादा से ज्यादा 50,000 रुपये ही मिलते हैं. उन्होंने आगे कहा कि सरकार भले ही वैकल्पिक फसलों की बात करती है, लेकिन उनके लिए बेहतर मार्केटिंग सुविधाएं नहीं देती. अगर मैं मक्का लगाऊं, तो उसे बेचने में काफी परेशानी होती है.
फसल विविधीकरण की राशि में बढ़ोतरी
हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण के सीईओ रविंदर सिंह चौहान ने भी माना कि किसान वैकल्पिक फसलें अपनाने से पीछे नहीं हटते. बस शर्त ये है कि उनसे उतनी ही आमदनी हो जितनी दूसरी फसलों से होती है. अगर बाजार तक बेहतर पहुंच और इन फसलों के अच्छे बीज मिलें, तो किसान बदलाव को तैयार हैं. इस सीजन में धान की रोपाई शुरू हो चुकी है और अधिकारी इस बार बेहतर नतीजों की उम्मीद कर रहे हैं. सरकार ने फसल विविधीकरण (crop diversification) की प्रोत्साहन राशि 7,000 रुपये से बढ़ाकर 8,000 रुपये प्रति एकड़ कर दी है.
DSR तकनीक से धान की रोपाई करने पर पानी की बचत
एक अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस बार पारंपरिक धान की खेती का रकबा थोड़ा कम होगा. यहां तक कि जिन किसानों के पास सीमित सिंचाई सुविधा है, वे भी डायरेक्ट सीडेड राइस (DSR) अपना रहे हैं, जो पारंपरिक पद्धति के मुकाबले 90 फीसदी तक कम पानी खर्च करता है. सरकार DSR अपनाने वाले किसानों को 4,000 रुपये प्रति एकड़ की अतिरिक्त सहायता भी दे रही है.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गुरुवार को अधिकारियों को निर्देश दिए कि इलाके के हिसाब से फसलों पर आधारित फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री के लिए एक एक्शन प्लान तैयार किया जाए. अधिकारियों के अनुसार, इसका मकसद किसानों को पारंपरिक फसलों से आगे बढ़कर बाजार की मांग के अनुसार फसलें उगाने के लिए प्रेरित करना है. मुख्यमंत्री ने कहा कि छोटे-छोटे क्लस्टर चिन्हित किए जाएं और वहां सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाए जाएं.
22 जिलों में 4 लाख एकड़ जमीन पर फसल विविधीकरण
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्याम सिंह राणा ने हाल ही में कहा कि सरकार का लक्ष्य राज्य के 22 जिलों में 4 लाख एकड़ जमीन पर फसल विविधीकरण को बढ़ावा देना है. इसमें ‘ढैंचा’ (sesbania bispinosa) की खास भूमिका होग. रासायनिक खादों पर निर्भरता घटाने के लिए जो किसान ढैंचा को हरी खाद के रूप में उगाएंगे, उन्हें 1,000 रुपये प्रति एकड़ की सहायता दी जाएगी. उन्होंने कहा कि इस योजना से 3 लाख से ज्यादा किसानों को फायदा होने की उम्मीद है.
हरियाणा में 14 लाख करोड़ लीटर पानी की है कमी
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहले ही राज्य में पानी की भारी कमी को लेकर चिंता जताई थी. उन्होंने कहा था कि हरियाणा में कुल जल उपलब्धता 20.93 लाख करोड़ लीटर है, जबकि मांग 34.96 लाख करोड़ लीटर है. यानी करीब 14 लाख करोड़ लीटर पानी की कमी है. उन्होंने यह भी कहा कि कुल पानी का 86 फीसदी कृषि में और 5 फीसदी बागवानी में इस्तेमाल होता है, जिससे साफ है कि जल संरक्षण बेहद जरूरी हो गया है.