पंजाब में इस साल धान की रोपाई तेजी से हो रही है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 10 जून तक राज्य में करीब 1.75 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई हो चुकी है, जो पिछले साल इसी समय हुए 40,000 हेक्टेयर रोपण की तुलना में चार गुना से भी ज्यादा है. यह बदलाव मुख्य रूप से राज्य सरकार की नई नीति के कारण देखा जा रहा है. लेकिन, कृषि विशेषज्ञ और कृषि विभाग के अधिकारी इस तेजी से हो रही बुआई को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं. उनका कहना है कि इस बार Pusa-44 और Peeli Pusa जैसी लंबी अवधि वाली धान की किस्मों की बुआई अधिक हो रही है, जो लगभग 160 दिन लेती हैं और बहुत ज्यादा पानी की मांग करती हैं.
सबसे अहम बात यह है कि ये किस्में पंजाब में लगाने की सिफारिश नहीं की जातीं, क्योंकि ये राज्य के पानी संकट को और गहरा कर सकती हैं. इस साल पंजाब सरकार ने धान की रोपाई की आधिकारिक तारीख 10 जून से घटाकर 1 जून कर दी है. इसका मकसद अक्टूबर में फसल कटाई के समय नमी की मात्रा कम करना है. इसी वजह से इस बार धान की बुआई जल्दी शुरू हो गई है. लेकिन कृषि विभाग के अधिकारियों ने इसे लेकर चिंता जताई है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इतनी गर्मी में लंबी अवधि की किस्मों की जल्दी बुआई करना खतरनाक हो सकता है.
भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है
इन किस्मों को शुरुआती 4-5 हफ्तों में बार-बार सिंचाई की जरूरत होती है और खेत में 2-3 इंच पानी लगातार बनाए रखना जरूरी होता है. लेकिन तेज गर्मी में पानी बहुत तेजी से सूख जाता है, जिससे फसल पर असर पड़ सकता है. पंजाब में Pusa-44 धान की किस्म पर पहले से बैन लगा हुआ है, क्योंकि यह बहुत ज्यादा पानी खपत करती है और पराली जलाने की समस्या बढ़ाती है. लेकिन इस बार सरकार द्वारा धान की रोपाई की तारीख पहले कर देने के चलते कई किसानों ने फिर से Pusa-44 की बुआई कर दी है. इससे राज्य भूजल स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है.
बिजली की मांग में जबरदस्त इजाफा
पंजाब में इस बार जल्दी और बड़े पैमाने पर धान की रोपाई शुरू होने से पूरे राज्य में बिजली की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है. खेतों में सिंचाई की जरूरत बढ़ने के कारण पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PSPCL) ने कुछ इलाकों में अब तक की सबसे ज्यादा बिजली खपत दर्ज की है. अधिकारियों का कहना है कि जैसे-जैसे पारे में बढ़ोतरी हो रही है और धान की रोपाई तेज हो रही है, बिजली ग्रिड पर दबाव और भी बढ़ेगा.