किसानों की बंपर कमाई.. MSP से ज्यादा मिल रहा गेहूं का रेट, क्रय केंद्रों पर सन्नाटा

ऊना जिले में सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों की बजाय किसान निजी व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं, क्योंकि वे एमएसपी से अधिक दाम और घर से उठान की सुविधा दे रहे हैं.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Updated On: 14 May, 2025 | 03:19 PM

हिमाचल प्रदेश के उना जिले में गेहूं कटाई से पहले ही खरीद शुरू हो गई है. इसके लिए जिले में दो क्रय केंद्र खोले गए हैं. लेकिन इसके बावजूद भी इन क्रेंद्रों पर गेहूं की आवक बहुत कम हो रही है, क्योंकि किसान निजी व्यापारी के हाथों गेहूं बेचना पसंद कर रहे हैं. किसानों का कहना है कि निजी व्यापारी MSP से ज्यादा कीमत पर गेहूं खरीद रहे हैं. इससे अच्छा मुनाफा हो रहा है. खास बात यह है कि अब तक सिर्फ 1,530 क्विंटल गेहूं की ही खरीद हो पाई है. जबकि जिले में हर साल करीब 60,000 हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की खेती होती है.

हिमाचल का ‘फूड ग्रेन बाउल’ कहलाने वाला ऊना जिला हर साल लगभग एक लाख क्विंटल गेहूं पैदा करता है. इस बार राज्य सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2,425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है. लेकिन निजी व्यापारी इससे ज्यादा दाम पर और घर से गेहूं खरीद रहे हैं. इस वजह से ज्यादातर किसान उन्हीं को बेचने को तरजीह दे रहे हैं. रैंसरी गांव के किसान बचन सिंह ने कहा कि निजी व्यापारी एमएसपी से ज्यादा दाम दे रहे हैं और फसल को सीधे खेत से खरीद लेते हैं, जिससे मेहनत और खर्च दोनों कम हो जाते हैं. उन्होंने कहा कि अनाज ढोने या सरकारी प्रक्रिया से गुजरने की कोई जरूरत नहीं होती.

इन वजहों से किसानों ने बनाई दूरी

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक,  एक और किसान पूरन चंद ने सरकारी खरीद केंद्रों की परेशानियां गिनाईं. उन्होंने कहा कि हमें मोबाइल ऐप पर रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है. अपनी बारी का इंतजार करना होता है और अनाज खुद ले जाना पड़ता है. फिर सफाई के दौरान 2 से 3 प्रतिशत अनाज कम हो जाता है. निगम सिर्फ साफ अनाज का ही भुगतान करता है, जिससे आमदनी घट जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि प्राइवेट व्यापारी न तो अनाज की सफाई की मांग करते हैं और न ही भुगतान में देरी करते हैं. वे अक्सर नकद में तुरंत पैसे दे देते हैं.

15,000 क्विंटल गेहूं के बीज होते हैं तैयार

ऊना एपीएमसी के सचिव भूपिंदर सिंह ने कहा कि सरकारी खरीद केंद्र उन किसानों की मदद के लिए हैं जो ओपन मार्केट तक नहीं पहुंच पाते. लेकिन अंत में सबसे जरूरी बात यह है कि किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिले फिर चाहे वे जहां भी बेचें. इस बीच, कृषि विभाग के उपनिदेशक कुलभूषण धीमान ने कहा कि ऊना जिले में हर साल करीब 15,000 क्विंटल गेहूं के बीज भी तैयार किए जाते हैं, जिन्हें बुआई के समय पूरे राज्य में बांटा जाता है.

तीन तरह के बीज संरक्षित

उन्होंने कहा कि विभाग तीन तरह की बीज पीढ़ियों को संरक्षित करता है, जो ब्रीडर, फाउंडेशन और सर्टिफाइड बीज है. धीमान ने कहा कि ब्रीडर बीज हम कृषि विश्वविद्यालयों और रिसर्च सेंटर्स से लेते हैं. इन्हें रजिस्टर्ड किसानों को दिया जाता है, ताकि वे उससे फाउंडेशन बीज तैयार करें. अगले सीजन में इन्हीं फाउंडेशन बीजों को बोकर सर्टिफाइड बीज तैयार किए जाते हैं, जो फिर आम किसानों को खेती के लिए बेचे जाते हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 14 May, 2025 | 03:10 PM

पत्तियों के पीलेपन को क्या कहा जाता है?

हरित क्रांति (Green Revolution) का संबंध किससे है?