क्लोन विधि से तैयार की गई नींबू की नई उन्नत किस्म, कई रोगों से लड़ने में सक्षम

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा ने नींबू की नई किस्म विकसित की है, जो फसल में लगने वाली कई बीमारियों को पनपने नहीं देती है. इससे किसानों का कीट-रोग नियंत्रण लागत कम हो जाती है, जबकि उत्पादन बढ़ जाता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 23 May, 2025 | 03:47 PM

गर्मियों की तपन में अगर कुछ राहत देता है तो वो है नींबू का खट्टा-मीठा स्वाद. लेकिन अब किसानों के लिए  नींबू स्वाद और मुनाफा दोनों बढ़ाने जा रहा है. क्योंकि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के कृषि वैज्ञानिकों ने नींबू की खास किस्म पूसा उदित तैयार की है. ये किस्म अपनी अच्छी क्वालिटी और बेहतर उपज के कारण किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हो रही है. इस किस्म को उत्तर भारत के मैदानी इलाकों जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, मध्यप्रदेश, हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित हो रही है.

क्लोन विधि से तैयार की गई किस्म

आईसीएआर के वैज्ञानिकों ने साल 2021 में नींबी की पूसा उदित किस्म को विकसित किया है. इसे विशेष रूप से क्लोनल तरीके से विकसित किया गया है. पौधे में क्लोनल विधि का अर्थ है, अलैंगिक प्रजनन के माध्यम से एक ही पौधे के समान पौधे तैयार करना है. यह प्रक्रिया पौधों के कुछ हिस्सों को निकालकर, जैसे कि तना, जड़ या पत्ती, और उन्हें नए पौधे में विकसित करने के लिए एक विशेष माध्यम में उगाकर की जाती है.

औसत वजन करीब 37.9 ग्राम

इस किस्म के पौधे मध्यम आकार के होते हैं, जिनमें पत्तियां घनी होती हैं और फल गोल व चमकीले पीले रंग के होते हैं. इनका आकार न सिर्फ देखने में सुंदर होता है, बल्कि बाजार में भी अच्छी कीमत दिलाता है. फल का औसत वजन करीब 37.9 ग्राम होता है. जब फल पूरी तरह पक जाता है, तब यह हल्के पीले और बेहद रसदार हो जाते हैं.

रसदार और स्वादिष्ट फल

पूसा उदित किस्म के नींबू में रस की मात्रा करीब 43.3 प्रतिशत तक पाई जाती है, जो इसे बाजार में और भी पसंदीदा बनाता है. इसके अलावा इसमें 8.5 डिग्री ब्रिक्स तक घुलनशील ठोस पदार्थ और 6.9 प्रतिशत अम्लीयता होती है, जो इसके स्वाद को संतुलित और ताजगी भरा बनाती है.

उत्पादन और तुड़ाई का समय

इस किस्म की सबसे खास बात है कि यह साल में दो बार फल देती है. यानी अगस्त-सितंबर और फरवरी-मार्च के बीच, जिसे किसान एक ही पौधे से साल में दो बार अच्छी पैदावार ले सकते हैं. वहीं एक हेक्टेयर में 16 से 20 टन तक उत्पादन लिया जा सकता है, जो किसानों के लिए अच्छी कमाई का जरिया बन सकता है.

बीमारियों से लड़ने में सक्षम

पूसा उदित कैंकर नामक बीमारी के प्रति मध्यम रूप से संवेदनशील है, यानी थोड़ी बहुत देखभाल से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है. चूंकि यह किस्म खासतौर पर उत्तर भारत के लिए तैयार की गई है, इसलिए इसकी खेती वहां के मौसम और मिट्टी के अनुसार बिल्कुल उपयुक्त है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 23 May, 2025 | 03:47 PM

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%