Madhya Pradesh News: मार्केट में घी 700 रुपये से 800 रुपये किलो बिक रहा है. ऐसे में गरीब लोगों के बजट से ये बाहर की चीज है. लेकिन आज हम एक ऐसी फसल के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसके तेल को गरीबों का घी कहा जाता है. यही वजह है मार्केट में यह बहुत ही महंगा बिकता है. खास बात यह है कि इसकी खेती मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में किसान बड़े स्तर पर करते हैं. इससे किसानों की अच्छी आमदनी हो जाती है. लेकिन इसके बावजूद इसका रकबा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. हालांकि, दो दशक पहले पूरे देश में किसान इसकी खेती बड़े स्तर पर करते थे.
दरअसल, हम जिस फसल के बारे में बात करने जा रहे हैं उसका नाम अलसी है. छतरपुर जिले में पहले अलसी की खेती बड़े स्तर पर होती थी, लेकिन समय के साथ किसानों ने इसे कम करना शुरू कर दिया. हालांकि कृषि विशेषज्ञ आज भी मानते हैं कि अलसी की खेती एक फायदे का सौदा है और इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, अलसी की बुवाई रबी सीजन में होती है. यानी अक्टूबर से नवंबर के बीच इसकी बुवाई के लिए सबसे अच्छा समय माना गया है.
अलसी की फसल को सबसे ज्यादा नीलगायों से खतरा
अलसी की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे सूखे इलाकों में भी आसानी से उगाया जा सकता है. इसे ज्यादा पानी या खाद की जरूरत नहीं पड़ती. पुराने समय में लोग अलसी का तेल खाना पसंद करते थे और अक्सर इसे घी की जगह इस्तेमाल करते थे. यही वजह है कि यह हेल्थ के लिए बहुत ही लाभकारी मानी गई है. एक्सपर्ट के मुताबिक, अलसी की फसल को सबसे ज्यादा नीलगायों से खतरा होता है, क्योंकि यह उनकी पसंदीदा फसल है और वे इसे नुकसान पहुंचाते हैं. ऐसे में किसान नीलगाय से फसल को बचाने के लिए देसी दवाइयों का इस्तेमाल कर सकते हैं.
गर्भवती महिलाओं के लिए दवाई है अलसी का तेल
हालांकि, पहले के समय में लोग अलसी के तेल को घी की जगह इस्तेमाल करते थे. खासकर गरीब गर्भवती महिलाओं के लिए यह बहुत फायदेमंद माना जाता था. अलसी के तेल की मालिश भी की जाती थी, जो सूजन और हड्डी दर्द में असरदार होती है. चिकित्सकों के मुताबिक, अलसी के तेल में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण और ओमेगा-3 फैटी एसिड होते हैं, जो हड्डियों के दर्द में राहत पहुंचाते हैं. यही वजह है कि आज बाजार में अलसी बीज की कीमत 200 रुपये प्रति किलो से ऊपर है, जबकि इसका तेल करीब 300 रुपये किलो में बिक रहा है.