आलू का दुश्मन है ब्लाइट और लीफ रोल रोग, उपज खराब होने से बचाने के लिए तुरंत ये उपाय करें किसान

Potato Disease Control Guide: कृषि शिक्षा एवं प्रसार ब्यूरो ने आलू किसानों को कीटों और रोगों के खतरे से फसल को बचाने की चेतावनी जारी की है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि आलू किसानों को कई बीमारियों के लक्षण और उनसे बचाव के तरीके बताए हैं.

नोएडा | Updated On: 2 Dec, 2025 | 06:51 PM

Potato Farming: रबी सीजन की प्रमुख फसलों का हिस्सा आलू की इस बार भी खूब बुवाई की गई है. उत्तर प्रदेश में कन्नौज, आगरा, कुशीनगर समेत कई हिस्सों में आलू की खूब पैदावार होती है. लेकिन, आलू की फसल को हमेशा कई बीमारियों का खतरा बना रहता है, जिनसे फसल का बचाव कर लिया जाए तो चार गुना मुनाफा हासिल करने से किसान को कोई नहीं रोक सकता है.

उत्तर प्रदेश कृषि शिक्षा एवं प्रसार ब्यूरो ने आलू की खेती करने वाले किसानों को कीटों और रोगों के खतरे से बचने की चेतावनी जारी की है. कृषि वैज्ञानिकों ने कहा कि आलू फसल को बहुत सी बीमारियों तथा कीट नुकसान पहुंचाते हैं. जिनमें, लेट ब्लाइट और अर्ली ब्लाइट के साथ ही लीफ रोल रोग प्रमुख हैं. इसके अलावा फफूंद और दीमक लगने से भी फसल को भारी नुकसान होता है. क्योंकि, इससे पौधे का विकास रुकत है और आलू की उपज के साथ कंद की क्वालिटी और साइज खराब हो जाती है.

पिछेता झुलझा यानी लेट ब्लाइट से बचाव के लिए क्या करें किसान

पिछेता झुलसा रोग आलू में फफूंद से लगने वाली एक भयानक बीमारी है. इस बीमारी का प्रकोप आलू की पत्ती, तने तथा कंद सभी भागों पर होता है. जैसे ही मौसम बदलता और तापमान 10-20 डिग्री सेंटीग्रेट के मध्य तथा ह्यूमिडिटी 80 प्रतिशत होती है तो इस बीमारी की संभावना बढ़ जाती है.

इस रोग से बचाव के लिए किसान तुरंत फसल में सिंचाई बंद कर दें. अगर जरूरी हो और मिट्टी सूख रही हो तो बहुत हल्की सिंचाई ही करें. बीमारी के लक्षण दिखाई देने से पहले ही बीमारी की रोकथाम की लिए 0.20 प्रतिशत मैंकोजेब दवा के घोल का छिड़काव 8-10 दिन के अंतराल पर करना चाहिए.

आलू फसल में अगेता झुलसा रोग और बचाव का तरीका

आलू फसल में अगेता झुलसा बीमारी लगने से पत्तियों और कंद दोनों प्रभावित होते हैं. शुरुआत में इस बीमारी के लक्षण निचली तथा पुरानी पत्तियों पर छोटे गोल से अंडाकार भूरे धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं. इस बीमारी से प्रभावित कंद पर दबे हुए धब्बे तथा नीचे का गूदा भूरा और सूखा हो जाता है. इस रोग से बचाव के लिए किसानों को रोग अवरोधी किस्मों का चयन करना चाहिए.
अगर फसल में यह बीमारी लग गई है तो रोकथाम के लिए 0.3 प्रतिशत कॉपर आक्सीक्लोराइड फफूंदनाशक के घोल का इस्तेमाल करना चाहिए.

आलू की पत्ती मुड़ने वाला रोग यानी पोटेटो लीफ रोल

आलू की फसल में लगने वाली यह एक संक्रामक बीमारी है जो पीएलआरवी वायरस के जरिए फैलती है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए रोग रहित बीज बोना चाहिए तथा इस वायरस के वाहक एफिड की रोकथाम दैहिक कीटनाशक यथा फास्फोमिडान का 0.04 प्रतिशत घोल मिथाइलऑक्सीडिमीटान अथवा डाइमिथोएट का 0.1 प्रतिशत घोल बनाकर 1-2 छिड़काव दिसंबर और जनवरी में करना चाहिए.

आलू में दीमक लगने पर बचाव कैसे करें

आलू की अगेती किस्मों में दीमक का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है. इससे प्रभावित आलू के पौधों की पत्तियां नीचे की और मुड़ जाती हैं. अधिक प्रकोप की अवस्था में पत्तियों की निचली सतह पर तांबा के रंग जैसे धब्बे दिखायी पड़ते हैं. दीमक की रोकथाम के लिए डाइकोफाल 18.5 ई.सी. या क्यूनालफॉस 25 ई.सी. की 2 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सिंचाई के पानी के साथ इस्तेमाल करना चाहिए और 7-10 दिन के अंतराल दोबारा डालने चाहिए.

Published: 2 Dec, 2025 | 06:46 PM

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