Punjab News: पंजाब में गुरुवार को पराली जलाने के 28 नए मामले दर्ज हुए, जिससे 15 सितंबर से अब तक कुल संख्या 512 हो गई है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अनुसार, 16 अक्टूबर तक 188 मामले थे, यानी पिछले कुछ दिनों में 324 नए केस बढ़े हैं. सबसे ज्यादा पराली जलाने की घटनाएं तरन तारन में 159 और अमृतसर में 133 दर्ज हुई हैं. जबकि फिरोजपुर में 58, पटियाला में 32 और गुरदासपुर में 25 केस मिले हैं. खास बात यह है कि सरकार की अपीलों के बावजूद किसान पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं.
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को अक्सर दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का कारण माना जाता है. चूंकि धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई का समय बहुत कम होता है, इसलिए कुछ किसान जल्दी खेत खाली करने के लिए पराली को आग लगा देते हैं. अब तक 246 मामलों में कुल 13.25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से 8.95 लाख रुपये की वसूली हो चुकी है. इस अवधि में पराली जलाने से जुड़े 215 एफआईआर दर्ज की गई हैं, जिनमें 68 तरन तारन और 58 अमृतसर में हुई हैं. ये केस भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 223 के तहत दर्ज किए गए हैं, जो सरकारी आदेश की अवहेलना से संबंधित है.
40.65 फीसदी धान की कटाई पूरी
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इसके अलावा 214 किसानों की जमीन के रिकॉर्ड में ‘रेड एंट्री’ की गई है. ज्यादातर ‘रेड एंट्री’ तरन तारन और अमृतसर में हैं. ‘रेड एंट्री’ होने पर किसान अपनी जमीन पर लोन नहीं ले सकते या उसे बेच नहीं सकते हैं. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अनुसार, इस साल राज्य में कुल 31.72 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हुई है, जिसमें से 23 अक्टूबर तक लगभग 40.65 फीसदी क्षेत्र की कटाई हो चुकी है.
पराली जलाने की घटनाओं में कमी
राज्य सरकार पराली जलाने के नुकसान और फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) के फायदे बताने के लिए जागरूकता अभियान चला रही है, लेकिन कई किसान अभी भी खेत साफ करने के लिए पराली जलाने का तरीका अपनाते हैं. कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने बताया कि 15 सितंबर से 21 अक्टूबर के बीच पराली जलाने की घटनाओं में 2021 की तुलना में 90 फीसदी की कमी आई है. इस साल इस अवधि में 415 मामले दर्ज हुए, जबकि 2021 में यह संख्या 4,327 थी. सिर्फ 21 अक्टूबर को ही 2021 में 597 मामले थे, जबकि इस साल उसी दिन केवल 62 केस मिले.
अरोड़ा ने कहा कि यह कमी राज्य सरकार के प्रयासों और किसानों के सहयोग से संभव हुई है. उन्होंने बताया कि सरकार ने किसानों को सब्सिडी दरों पर 1.50 लाख से ज्यादा फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) मशीनें उपलब्ध कराई हैं, ताकि किसान धान की पराली को जलाए बिना उसका सही ढंग से उपयोग कर सकें. अमन अरोड़ा ने किसानों से अपील की कि वे पराली जलाने की घटनाओं को पूरी तरह खत्म करने के मिशन में शामिल हों. उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार किसानों को हर संभव सहयोग और मदद देती रहेगी.
2023 में 36,663 मामले आए थे सामने
पंजाब में 2024 में पराली जलाने के 10,909 मामले दर्ज हुए, जबकि 2023 में यह संख्या 36,663 थी. यानी इस प्रथा में करीब 70 फीसदी की कमी आई है. पिछले वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में 49,922, 2021 में 71,304, 2020 में 76,590, 2019 में 55,210 और 2018 में 50,590 मामले दर्ज हुए थे. संगरूर, मानसा, बठिंडा और अमृतसर जैसे जिलों में हर साल पराली जलाने की घटनाएं सबसे ज्यादा देखी गईं.