222 करोड़ का बिजली बिल देख किसान के उड़े होश, 7 महीने में बना इतना बकाया – जानें पूरा मामला

विपिन यादव के पास करीब 1000 वर्ग मीटर का एक प्लॉट है, जहां उन्होंने 25 किलोवाट का व्यावसायिक चार्जिंग कनेक्शन ले रखा है. अब तक वह हर महीने समय पर बिजली बिल का भुगतान करते आए हैं. उन्हें कभी अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन बिजली का बिल उनकी नींद उड़ा देगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 30 Dec, 2025 | 12:28 PM
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Farmer electricity bill: दिल्ली से सटे ग्रेटर नोएडा में बिजली विभाग की एक गंभीर चूक ने न सिर्फ एक किसान को सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे सिस्टम की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. रोजमर्रा की जिंदगी में जहां लोग बढ़ते बिजली बिल से पहले ही परेशान रहते हैं, वहीं यहां मामला करोड़ों रुपये तक पहुंच गया. एक सामान्य किसान के नाम 222 करोड़ रुपये का बिजली बिल देखकर हर कोई हैरान है. सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये कि ये बिल महज 7 महीनों का है.

जब एक साधारण जांच बनी डरावना अनुभव

चिपियाना खुर्द तिगरी गांव में रहने वाले किसान विपिन यादव की जिंदगी उस समय अचानक उलझ गई, जब उन्होंने अपने बिजली बिल की स्थिति जानने की कोशिश की. विपिन यादव के पास करीब 1000 वर्ग मीटर का एक प्लॉट है, जहां उन्होंने 25 किलोवाट का व्यावसायिक चार्जिंग कनेक्शन ले रखा है. यह कनेक्शन उन्होंने पूरी कानूनी प्रक्रिया के तहत लिया था और अब तक हर महीने समय पर बिजली बिल का भुगतान करते आए हैं. उन्हें कभी अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन बिजली का बिल उनकी नींद उड़ा देगा.

जब विपिन यादव अपने घर के पास लगे बिजली विभाग के शिविर में पहुंचे और वहां अपने कनेक्शन का स्टेटस चेक कराया, तो स्क्रीन पर जो आंकड़ा दिखा, उसने उन्हें स्तब्ध कर दिया. सिस्टम में सात महीने का बकाया करीब 222 करोड़ रुपये दर्ज था. इतनी बड़ी रकम देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई. एक किसान के लिए यह रकम कल्पना से भी परे थी.

ऑनलाइन पोर्टल और हकीकत के बीच बड़ा अंतर

हैरानी की बात यहीं खत्म नहीं हुई. जब विपिन यादव ने ऑनलाइन पोर्टल के जरिए अपना बिजली बिल डाउनलोड करने की कोशिश की, तो वहां केवल मई महीने का सामान्य बिल ही दिखाई दे रहा था. यानी एक तरफ सिस्टम में करोड़ों का बकाया दिख रहा था और दूसरी तरफ पोर्टल पर कोई असामान्य बिल मौजूद नहीं था. इस विरोधाभास ने उनकी चिंता और बढ़ा दी. उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि आखिर सच्चाई क्या है और गलती कहां हुई है.

दफ्तरों के चक्कर और बढ़ती परेशानी

इस भारी गड़बड़ी के बाद विपिन यादव सीधे इटेडा स्थित सबस्टेशन पहुंचे और संबंधित अधिकारियों से शिकायत की. उन्होंने पूरी स्थिति समझाने की कोशिश की, लेकिन वहां से भी उन्हें कोई ठोस जवाब नहीं मिला. अधिकारियों ने केवल इतना कहा कि बिल में सुधार कराया जाएगा. न तो यह बताया गया कि गलती कैसे हुई और न ही यह कि सुधार में कितना समय लगेगा. इस अनिश्चितता ने किसान की परेशानी को और बढ़ा दिया.

लगातार निराशा मिलने के बाद विपिन यादव ने भारतीय किसान यूनियन से संपर्क किया और पूरे मामले की जानकारी दी. किसान नेताओं ने इसे बेहद गंभीर मामला बताया और भरोसा दिलाया कि यदि जरूरत पड़ी तो वे इस मुद्दे को बड़े स्तर पर उठाएंगे. उनका कहना था कि ऐसी लापरवाही किसी भी आम उपभोक्ता के साथ हो सकती है, इसलिए इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए.

विभाग की सफाई और तकनीकी गड़बड़ी का दावा

इस पूरे मामले पर जब बिजली विभाग से जवाब मांगा गया, तो इसे तकनीकी गड़बड़ी बताया. उनके अनुसार, सिस्टम में किसी त्रुटि के कारण यह असामान्य बिल जनरेट हो गया. उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में बिल उपभोक्ता तक पहुंचने से पहले ही सिस्टम में अटक जाता है और वास्तविक बिल ही जारी किया जाता है.

अधिकारी ने यह भी भरोसा दिलाया कि तकनीकी समस्या को ठीक किया जा रहा है और उपभोक्ता को घबराने की जरूरत नहीं है. विभाग की ओर से सही और वास्तविक बिजली बिल ही उपलब्ध कराया जाएगा. हालांकि इस बयान के बावजूद सवाल यह बना हुआ है कि जब सिस्टम में इतनी बड़ी गलती हो सकती है, तो भविष्य में आम उपभोक्ताओं की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी.

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