Congress farmers rally: बुधवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में किसानों के हक और उनकी समस्याओं को लेकर एक बड़ा सियासी प्रदर्शन देखने को मिला. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी और उनके समर्थक करीब 50 किसानों के साथ केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बंगले के बाहर पहुंच गए. इस दौरान किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में धान की बोरी भी ले जाकर प्रदर्शन किया. प्रशासन ने इसे कानून और व्यवस्था का उल्लंघन माना और टीटी नगर थाना पुलिस ने FIR दर्ज कर ली.
बिना अनुमति किया गया प्रदर्शन
पुलिस के मुताबिक, कांग्रेस ने किसी भी तरह की पूर्व सूचना प्रशासन या पुलिस को नहीं दी थी. इसलिए यह धरना और प्रदर्शन गैरकानूनी माना गया. FIR में साफ लिखा गया है कि बिना अनुमति किसी भी तरह का प्रदर्शन करना अपराध है और इसके लिए जिम्मेदार नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
रास्ते में हुई झड़पें
जैसे ही कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल, मंत्री के बंगले की ओर बढ़ा, पुलिस ने उन्हें रोकने की कई कोशिशें की. रास्ते में बैरिकेड्स और पुलिस वाहन लगाए गए, लेकिन प्रदर्शनकारी हर बार आगे बढ़ते रहे. जीतू पटवारी और किसानों ने धान की बोरी कंधों पर उठाकर मंत्री शिवराज सिंह चौहान के घर तक मार्च किया और भावांतर योजना में सुधार तथा अन्य कृषि मुद्दों पर जोर दिया.
केंद्रीय मंत्री से चर्चा
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद अपने घर से बाहर आए और कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को अंदर बुलाकर बातचीत की. इस वार्ता में किसानों की समस्याओं और उनके अधिकारों की मांगों पर चर्चा हुई. मंत्री ने आश्वासन दिया कि किसानों के मुद्दों को गंभीरता से देखा जाएगा और उनकी मदद के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे.
सियासी और चुनावी मायने
यह घटना भोपाल में चुनावी सियासत को भी गर्मा गई है. विपक्ष ने इसे किसानों के हित में आवाज उठाने के रूप में पेश किया, जबकि सरकार और प्रशासन ने इसे कानून व्यवस्था का उल्लंघन बताया. इससे यह साफ हो गया कि राजनीतिक दल चुनावी मुद्दों पर जनता तक अपनी आवाज पहुंचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.
आगे की कार्रवाई
टीटी नगर थाना पुलिस मामले की जांच कर रही है. FIR दर्ज होने के बाद कांग्रेस नेताओं और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. प्रशासन ने साफ कर दिया है कि बिना अनुमति किसी भी तरह का प्रदर्शन भविष्य में सख्ती से रोका जाएगा.
इस घटना ने एक बार फिर किसानों के मुद्दों और भावांतर योजना की गंभीरता को उजागर किया. साथ ही यह भी दिखाया कि सियासी दल जनता और किसानों तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कितनी सक्रियता दिखा सकते हैं.