पराली जलाने पर सख्ती: 65 अफसरों पर कार्रवाई, सूचना मिलने के बाद भी नहीं की कार्रवाई

पंजाब में 15 सितंबर से सैटेलाइट के जरिए खेतों की मॉनिटरिंग की जा रही है. इससे पता लगाया जा रहा है कि कहां पराली जलाई जा रही है. इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 2 Oct, 2025 | 01:09 PM

Stubble Burning: पंजाब में पराली जलाने की समस्या लगातार गंभीर होती जा रही है. हर साल की तरह इस बार भी सरकार और प्रशासन रोकथाम के बड़े-बड़े दावे कर रहे हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. इसी कड़ी में 65 नोडल और सुपरवाइजरी अधिकारियों पर बड़ी कार्रवाई की गई है. इन पर आरोप है कि पराली जलाने की सूचना मिलने के बावजूद इन्होंने मौके पर पहुंचकर समय रहते कदम नहीं उठाए.

पटियाला और अमृतसर में सबसे बड़ी लापरवाही

जिन अधिकारियों पर कार्रवाई हुई है, उनमें से 60 अधिकारी पटियाला जिले से और 5 अधिकारी अमृतसर जिले से हैं. खास बात यह है कि इस सीजन में पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले अमृतसर से ही सामने आए हैं. प्रशासन का कहना है कि इन अधिकारियों से जवाब मांगा गया है, जिसके बाद संबंधित जिलों के डीसी यह तय करेंगे कि आगे क्या कार्रवाई की जाए.

निगरानी के लिए लगाए गए हजारों कर्मचारी

पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (PPCB) के अधिकारियों के मुताबिक, पराली जलाने पर रोक लगाने के लिए इस बार भी करीब 9,000 कर्मचारियों को अलग-अलग विभागों से तैनात किया गया है. इसके बावजूद खेतों में आग लगने के मामले रुकने का नाम नहीं ले रहे.

अब तक दर्ज मामले और जुर्माना

अब तक मिले सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 1 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने के कुल 95 मामले दर्ज किए गए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 55 मामले अमृतसर जिले से सामने आए हैं. इस दौरान प्रशासन ने 2 लाख 45 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से करीब 1 लाख 90 हजार रुपये की वसूली भी हो चुकी है. इसके अलावा 53 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है और 35 रेड एंट्रियां भी की गई हैं.

किन जिलों में कितने मामले?

  • अमृतसर – 55 मामले
  • तरनतारन – 11 मामले
  • पटियाला – 10 मामले
  • बरनाला – 3 मामले
  • बठिंडा, फरीदकोट, फिरोजपुर, जालंधर – 1-1 मामला
  • कपूरथला – 3 मामले
  • मालेरकोटला – 4 मामले
  • होशियारपुर – 2 मामले
  • संगरूर – 2 मामले
  • एसएएस नगर – 1 मामला

सैटेलाइट से हो रही है निगरानी

पंजाब में 15 सितंबर से सैटेलाइट के जरिए खेतों की मॉनिटरिंग की जा रही है. इससे पता लगाया जा रहा है कि कहां पराली जलाई जा रही है. इसके बावजूद स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही साफ दिखाई दे रही है.

क्यों जरूरी है सख्ती?

पराली जलाने से होने वाला धुआं न केवल पंजाब बल्कि पड़ोसी राज्यों-हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी प्रदूषण का बड़ा कारण बनता है. हर साल सर्दियों के मौसम में दिल्ली-एनसीआर की हवा जहरीली हो जाती है, जिसमें पंजाब-हरियाणा की पराली का धुआं बड़ी भूमिका निभाता है. यही वजह है कि इस बार सरकार ने निगरानी और कार्रवाई का दावा किया था, लेकिन जमीन पर हालात अभी भी गंभीर हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%