गुलखैरा की खेती से किसान करें लाखों की कमाई, फूल से जड़ तक बिकता है सब कुछ

गुलखैरा का सिर्फ फूल ही नहीं, बल्कि तना, पत्तियां और जड़ें भी बिकती हैं. सुखाने के बाद पत्तियां और तने औषधीय प्रयोग में लाए जाते हैं. इसका फूल सबसे ज्यादा मांग में रहता है, जिसे कई हर्बल दवाइयों और धार्मिक आयोजनों में उपयोग किया जाता है.

नई दिल्ली | Published: 6 Sep, 2025 | 09:43 AM

खेती किसानी सिर्फ पेट पालने का जरिया ही नहीं, बल्कि तकदीर बदलने का साधन भी बन सकती है. आज हम आपको एक ऐसे फूल की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मांग देश और विदेश में लगातार बढ़ रही है. इस फूल का नाम है गुलखैरा. इसे औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है और इसकी पत्तियों से लेकर जड़ों तक सब कुछ बाजार में बिकता है. खास बात यह है कि इसकी खेती करने में ज्यादा खर्चा नहीं आता और किसान भाइयों को भरपूर मुनाफा होता है.

क्यों है गुलखैरा खास?

गुलखैरा को अक्सर “जादुई फूल” कहा जाता है. इसका इस्तेमाल दवाइयों, हर्बल प्रोडक्ट्स और कई घरेलू नुस्खों में होता है. माना जाता है कि यह कई बीमारियों को दूर करने में मददगार है. यही कारण है कि बाजार में इसकी मांग लगातार बनी रहती है. पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों में यह बड़े पैमाने पर उगाया जाता है, लेकिन अब भारत के किसान भी इसकी ओर रुख कर रहे हैं.

खेती की शुरुआत कैसे करें?

गुलखैरा की खेती करने के लिए बहुत बड़ी जमीन की जरूरत नहीं होती. आप इसे अपनी किसी भी फसल के बीच में उगा सकते हैं.

बुवाई का समय-अप्रैल से मई के महीने गुलखैरा बोने के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं.

बीज की खासियत- इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि एक बार बुवाई करने के बाद आपको बार-बार बाजार से बीज लाने की जरूरत नहीं पड़ती. इसके बीज खुद ही खेत में गिर जाते हैं और अगली फसल के लिए तैयार हो जाते हैं.

मिट्टी और सिंचाई- यह पौधा साधारण मिट्टी में भी आसानी से उग जाता है. पानी की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती, सामान्य सिंचाई पर्याप्त रहती है.

फसल अवधि- तीन से चार महीने में फूल तैयार हो जाते हैं.

क्या-क्या बिकता है?

गुलखैरा का सिर्फ फूल ही नहीं, बल्कि तना, पत्तियां और जड़ें भी बिकती हैं. सुखाने के बाद पत्तियां और तने औषधीय प्रयोग में लाए जाते हैं. इसका फूल सबसे ज्यादा मांग में रहता है, जिसे कई हर्बल दवाइयों और धार्मिक आयोजनों में उपयोग किया जाता है.

गुलखैरा की खेती किसानों के लिए बेहद किफायती साबित होती है क्योंकि इसमें बहुत ज्यादा खर्च नहीं आता. औसतन इसकी बुवाई और देखभाल पर 10 से 15 हजार रुपये तक की लागत आती है. खास बात यह है कि जब फसल तैयार होती है तो किसान को इससे 50 से 60 हजार रुपये तक की आमदनी आसानी से हो जाती है. छोटे स्तर पर भी अगर कोई किसान इसकी खेती करता है तो उसे अच्छा मुनाफा मिल सकता है. यही वजह है कि गुलखैरा को कम लागत और ज्यादा लाभ वाली नकदी फसल माना जाता है.

धार्मिक और औषधीय महत्व

गुलखैरा को इस्लामी धर्म में काफी शुभ माना जाता है. इसलिए मुस्लिम समुदाय में इसकी विशेष मांग रहती है. इसके अलावा आयुर्वेद में इसका उपयोग कई दवाइयों में होता है. यह गले की खराश, खांसी, त्वचा रोग और पाचन से जुड़ी कई समस्याओं में लाभकारी माना जाता है.