खरीफ की 9 बड़ी फसलें गिरीं MSP से नीचे, इस वजह से किसानों की मेहनत पर फिरा पानी

अक्टूबर से खरीफ फसलों की कटाई शुरू होती है, लेकिन इस बार बाजार में शुरुआत से ही मंदी देखने को मिली. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, नौ प्रमुख फसलें- उड़द, तूर, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, बाजरा, ज्वार और धान, सभी की मंडी कीमतें उनके निर्धारित एमएसपी से नीचे रहीं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 7 Nov, 2025 | 09:06 AM

Kharif Crop Prices: देश के किसानों के लिए इस बार खरीफ सीजन की शुरुआत कुछ खास नहीं रही है. अक्टूबर महीने में ज्यादातर खरीफ फसलों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चली गईं. दालों से लेकर तेलहन और अनाज तक लगभग हर प्रमुख फसल पर किसानों को बाजार में नुकसान उठाना पड़ा. सरकार की खरीद प्रक्रिया भी अभी तक बहुत धीमी रही है, जिससे किसानों को निजी व्यापारियों को औने-पौने दाम पर अपनी उपज बेचनी पड़ी.

खरीफ सीजन की शुरुआत में ही गिरा बाजार भाव

अक्टूबर से खरीफ फसलों की कटाई शुरू होती है, लेकिन इस बार बाजार में शुरुआत से ही मंदी देखने को मिली. कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, नौ प्रमुख फसलें- उड़द, तूर, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, बाजरा, ज्वार और धान, सभी की मंडी कीमतें उनके निर्धारित एमएसपी से नीचे रहीं. इनमें से सात फसलों के भाव पिछले साल अक्टूबर 2024 की तुलना में 3 से 32 प्रतिशत तक कम रहे.

दालों की बात करें तो उड़द, मूंग और तूर जैसी फसलें 17 से 25 प्रतिशत तक एमएसपी से नीचे बिकीं. वहीं तेलहन फसलों में सोयाबीन और मूंगफली की कीमतें लगभग 26 प्रतिशत कम रहीं.

अनाज की स्थिति भी कमजोर

अनाज की फसलों में मक्का और बाजरा को लेकर भी किसानों को निराशा हाथ लगी. अक्टूबर में मक्का के औसत भाव एमएसपी 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से करीब 24 प्रतिशत कम रहे. बाजरा की कीमत भी 23 प्रतिशत नीचे थी. हालांकि ज्वार का भाव अपेक्षाकृत बेहतर रहा और यह पिछले साल के मुकाबले 19 प्रतिशत अधिक दर्ज हुआ, लेकिन एमएसपी से यह भी करीब 9 प्रतिशत कम रहा.

धान ही एक ऐसी फसल रही, जहां किसानों को कुछ राहत मिली. सरकारी खरीद के चलते धान की कीमतें एमएसपी से सिर्फ 1.8 प्रतिशत कम रहीं. सरकार ने इस सीजन में अब तक 119 लाख टन से अधिक धान की खरीद की है, जो पिछले साल की तुलना में 46 प्रतिशत ज्यादा है.

गिरता रुझान (₹/क्विंटल)

फसल (Crop) न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) मंडी भाव (औसत दर)* % बदलाव
मूंगफली (Groundnut) 7,263 5,337 -26.5
सोयाबीन (Soybean) 5,328 3,942 -26
मूंग (Moong) 8,768 6,617 -24.5
मक्का (Maize) 2,400 1,821 -24.1
उड़द (Urad) 7,800 6,008 -23
बाजरा (Bajra) 2,775 2,152 -22.5
तुअर / अरहर (Tur) 8,000 6,611 -17.4
ज्वार (Jowar) 3,699 3,385 -8.5
धान (सामान्य) (Paddy – common) 2,389 2,346 -1.8

आयात और उत्पादन दोनों ने बढ़ाई मुश्किलें

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बाजार में कीमतों में गिरावट का सबसे बड़ा कारण ज्यादा उत्पादन और सस्ता आयात है. प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी के अनुसार, “इस बार सामान्य से अधिक बारिश के कारण उत्पादन बढ़ा है. साथ ही, सरकार ने पिछले दो सालों में दालों के आयात पर बहुत कम शुल्क रखा, जिससे घरेलू बाजार में आपूर्ति मांग से अधिक हो गई. जब एमएसपी पहले से ही ऊंचा है, तो बाजार खुद उसे सपोर्ट नहीं कर सकता, जब तक कि आयात शुल्क न बढ़ाया जाए.”

किसानों की उम्मीदें अब भी बरकरार

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले महीनों में कुछ फसलों के दामों में सुधार हो सकता है. खासतौर पर तूर और उड़द जैसी दालों में, जिनकी पैदावार कर्नाटक और महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण प्रभावित हुई है. आई-ग्रेन कंपनी के विश्लेषक राहुल चौहान का कहना है, “भारी बारिश से तूर की फसल को नुकसान पहुंचा है, जिससे घरेलू बाजार में दाम थोड़ा बढ़े हैं. आने वाले समय में इन दालों के दाम और बढ़ने की संभावना है.”

उन्होंने बताया कि म्यांमार जैसे देशों से उड़द की बड़ी मात्रा में आयात हो रही है, जिसकी नई फसल मार्च 2026 में आएगी. इससे तब तक घरेलू बाजार में कीमतों में हल्का उछाल आ सकता है.

किसानों की निगाहें सरकार की अगली घोषणा पर

केंद्र सरकार ने सितंबर में कुछ राज्यों में तेलहन और दलहन की सरकारी खरीद का ऐलान किया था, लेकिन अब तक यह साफ नहीं है कि वास्तव में कितनी खरीद हुई है. कृषि मंत्रालय अगले सप्ताह खरीफ फसलों के पहले अग्रिम उत्पादन अनुमान जारी करने वाला है. किसान उम्मीद कर रहे हैं कि सरकार जल्द कोई ठोस कदम उठाए ताकि एमएसपी का लाभ वास्तव में उन्हें मिल सके और उनकी मेहनत का उचित दाम मिल पाए.

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