उत्तर प्रदेश के किसान इन दिनों खेतों में खरीफ फसलों की तैयारी में जुटे हैं, लेकिन मौसम की तेजी से बदलती चाल ने चिंता भी बढ़ा दी है. गर्म हवाएं, ऊष्ण रातें और बारिश की अनिश्चितता ने खेत से खलिहान तक असर डाला है. ऐसे में किसानों को सहारा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार के क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की बैठक में मौसम आधारित खेती के लिए अहम सुझाव जारी किए गए हैं, ताकि किसान समय रहते फसल, पशु और मछली पालन को संभाल सकें.
क्या रहेगा इस हफ्ते का मौसम?
13 से 19 जून 2025 के बीच उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्रों में तापमान सामान्य से 2 से 4 डिग्री अधिक रह सकता है. वहीं, कुछ जगहों पर न्यूनतम तापमान भी हल्का बढ़ सकता है. 13 जून तक गर्मी और लू की स्थिति बनी रहेगी, लेकिन इसके बाद तेज हवाएं, बिजली कड़कने और बारिश की संभावना है.
कैसे करें फसल और पशुधन की देखभाल
इस समय सबसे बड़ी चिंता धान की फसल की है. मौसम को देखते हुए बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जल्दी पकने वाली किस्में जैसे IR-64 Sub1 और सांभा महसूरी Sub1 लगाने की सलाह दी गई है. धान की नर्सरी में गर्मी के कारण पानी गरम हो जाता है, इसलिए शाम को सिंचाई करना बेहतर रहेगा. बीज बोने से पहले उसका उपचार स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट और टेट्रासाइक्लिन हाइड्रोक्लोराइड से करें, ताकि रोग न फैलें.
- धान की रोपाई से पहले खेतों में एक फीट ऊंची मेड़ बनाकर वर्षा जल को सहेजें. सीमित संसाधनों के बावजूद फॉस्फेटिक और जैविक खाद का जरूर प्रयोग करें ताकि विपरीत परिस्थितियों में भी फसल को नुकसान कम हो.
- गन्ने की फसल में 15 जून से पहले सिंचाई और गुड़ाई कर लें. वहीं, फलों को सुबह या शाम तोड़ें ताकि वे दोपहर की गर्मी से न खराब हों और लंबे समय तक सुरक्षित रह सकें. खासकर चौसा और अन्य देर से पकने वाली किस्मों में कैल्शियम क्लोराइड का छिड़काव करें.
- हल्दी की बुवाई जून में ही पूरी कर लें और पशुपालकों को चरी की फसल को जमीन से 4-5 इंच ऊपर काटने की सलाह दी गई है ताकि पशुओं को नुकसान न हो. गर्मियों में चरी की सिंचाई बेहद जरूरी है, वरना उसमें बनने वाला हानिकारक पदार्थ जानलेवा साबित हो सकता है.
- मत्स्यपालकों के लिए सुझाव है कि मछली का बीज सुबह या शाम के समय जब तापमान कम हो, तभी परिवहन करें. बारिश या अधिक गर्मी में मछलियों को खाना कम दें.
पहले से तैयारी करें, ताकि मौसम न करे नुकसान
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को मौसम से पहले सावधान कर उन्हें फसल और मवेशियों के लिए तैयार करना चाहती है. अगर किसान इन सलाहों को अपनाते हैं, तो वे न केवल नुकसान से बच सकते हैं, बल्कि फसलों की गुणवत्ता और उत्पादन भी बेहतर कर सकते हैं.