Narak Chaturdashi Abhyang Snan: हिंदुओं के सबसे बड़े पांच दिन के त्योहार दिवाली के दूसरे दिन लोग नरक चतुर्द्शी यानी छोटी दिवाली के रूप में मनाए जाता है. नरक चौदस के दिन लोग घर की साफ-सफाई करते हैं. कहते हैं इस दिन लोग अपने घरों से नकारात्मक उर्जा को निकालने का काम करते हैं. बता दें कि, इस दिन अभ्यंग स्नान, दीपदान और भगवान कृष्ण की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है. ऐसी मान्यता है कि नरक चौदस के दिन भक्तों को अभ्यंग स्नान जरूर करना चाहिए ताकि शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है.
नरक चौदस का पौराणिक महत्व
हिंदू मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, नरकासुर नाम के राक्षस ने धरती पर जब अत्याचार बढ़ा दिया और लोगों के जीवन पर घोर संकट के बादल छा गए तब नरकासुर के आतंक से धरती को बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर का वध किया और 16 हजार कन्याओं को उसके बंदीगृह से मुक्त कराया. कहते हैं कि उसी दिन से नरक चतुर्दशी का पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है. नरक चौदस का दिन असत्य पर सत्य और अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक माना जाता है.
नरक चौदस पर क्यों करते हैं अभ्यंग स्नान
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, नरक चौदस यानी छोटी दिवाली के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में अभ्यंग स्नान यानी तेल स्नान करने की परंपरा है. माना जाता है कि इस स्नान से शरीर और मन दोनों की शुद्धि होती है और व्यक्ति दीर्घायु और रोगमुक्त रहता है. इस दिन तेल का उबटन लगाने के बाद स्नान करना शुभ माना जाता है. नरक चौदस के दिन अभ्यंग स्नान पापों के नाश और सौभाग्य की प्राप्ति का मार्ग माना जाता है.
इस दिन कैसे करते हैं पूजन
नरक चौदस के दिन यमराज के नाम का दीपक जलाया जाता है, जिसे यमदीप कहा जाता है. कहते हैं कि इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक रखने से परिवार के सदस्यों की अकाल मृत्यु की संभावना दूर होती है. पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि नरक चतुर्दशी पर विशेष रूप से दीपदान, दान और पितरों का स्मरण करना शुभ माना गया है. इस दिन अभ्यंग स्नान, दीपदान और भगवान कृष्ण की आराधना से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार होता है.