धान के पत्तों का रंग बदलना है खतरे की घंटी, ये 5 उपाय बचाएंगे आपकी फसल

खेतों में लहराती हरी धान की पत्तियां अगर अचानक पीली या सफेद दिखने लगें, तो यह किसी पोषक तत्व की कमी या गंभीर रोग का संकेत हो सकता है. शुरुआती लक्षणों को अक्सर किसान मामूली समझकर टाल देते हैं, और यही लापरवाही बाद में फसल की पैदावार पर भारी पड़ती है.

नई दिल्ली | Published: 8 Aug, 2025 | 09:58 AM

धान देश की प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है, जो न केवल करोड़ों लोगों के पेट भरती है, बल्कि लाखों किसानों के जीवन का आधार भी है. लेकिन इस अमूल्य फसल की सेहत अगर नजरअंदाज कर दी जाए, तो बड़ी हानि हो सकती है. खेतों में लहराती हरी धान की पत्तियां अगर अचानक पीली या सफेद दिखने लगें, तो यह किसी पोषक तत्व की कमी या गंभीर रोग का संकेत हो सकता है. शुरुआती लक्षणों को अक्सर किसान मामूली समझकर टाल देते हैं, और यही लापरवाही बाद में फसल की पैदावार पर भारी पड़ती है.

पत्तियों का रंग क्यों बदलता है?

धान की पत्तियां पीली या सफेद इसलिए हो जाती हैं क्योंकि उन पर एक खास तरह की फफूंद हमला कर देती है. इसका वैज्ञानिक नाम है Pyricularia oryzae. शुरुआत में यह पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे बनाता है, लेकिन जल्दी ही ये फैलकर पूरी पत्ती को जला डालते हैं. अगर समय पर इस पर काबू न पाया जाए, तो पौधा धीरे-धीरे सूखने लगता है और फसल बर्बाद हो सकती है.

कैसे रोकें इस बीमारी को? जानिए आसान और असरदार तरीके

मजबूत किस्में लगाएं

ऐसी धान की किस्मों का चुनाव करें जो रोग-प्रतिरोधी हों. ये बीमारियों का सामना बेहतर तरीके से करती हैं और नुकसान कम होता है.

फसल चक्र अपनाएं

हर साल एक ही खेत में सिर्फ धान न बोएं. इसकी जगह फसल बदलते रहें — जैसे एक साल धान, अगली बार दाल या गेहूं. इससे फफूंद की वृद्धि रुकती है.

समय पर दवा का छिड़काव करें

अगर बीमारी के लक्षण दिखें, तो तुरंत प्रमाणित फफूंदनाशक दवा का छिड़काव करें. ध्यान रखें कि दवा की सही मात्रा और विधि का पालन करना बहुत ज़रूरी है.

खेत में पानी का संतुलन रखें

अक्सर किसान जरूरत से ज्यादा पानी भर देते हैं, जिससे फफूंद तेजी से फैलती है. खेत में जल निकासी की व्यवस्था रखें ताकि पानी जमा न हो.

खेत की सफाई करें

खरपतवार यानी जंगली घास न सिर्फ पोषक तत्व चुरा लेती है, बल्कि बीमारी को भी बढ़ावा देती है. समय-समय पर निराई-गुड़ाई करते रहें.

लापरवाही नहीं, सतर्कता अपनाएं

धान की फसल बहुत नाजुक होती है और मौसम, मिट्टी, कीट या पोषक तत्वों की कमी, किसी भी कारण से इसका विकास प्रभावित हो सकता है. शुरुआत में पत्तियों का रंग बदलना या बढ़वार में रुकावट जैसे लक्षण मामूली लग सकते हैं, लेकिन यही संकेत बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं. कई बार किसान इन शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं और बाद में पछताते हैं, जब फसल या तो पूरी तरह खराब हो जाती है या पैदावार में भारी गिरावट आती है.

इसलिए जरूरी है कि किसान धान की फसल पर नियमित निगरानी रखें. जैसे ही पत्तियां पीली, सफेद या भूरे रंग की दिखें, या पौधों की बढ़त में कोई रुकावट नजर आए, तुरंत स्थानीय कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें या नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क करें.