Rajasthan mustard sowing: राजस्थान की सरजमीं पर इस बार रबी फसल के मौसम की शुरुआत उम्मीदों से भरी हुई है. सरसों, जो देश की प्रमुख तिलहन फसल है, की बुवाई इस साल तेजी से बढ़ी है. राज्य में सरसों की बुवाई का रकबा पिछले साल की तुलना में 84 प्रतिशत तक बढ़ गया है. इसका कारण है बेहतर दाम, पर्याप्त मिट्टी की नमी और सिंचाई के लिए भरपूर पानी की उपलब्धता.
अच्छी कीमतों ने बढ़ाई किसानों की हिम्मत
किसानों के लिए सरसों हमेशा से एक भरोसेमंद फसल रही है. पिछले कुछ सालों में इसके दाम लगातार बेहतर बने हुए हैं. राजस्थान के मंडियों में सरसों की कीमत इस साल 72,000 रुपये प्रति टन तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के 62,000 रुपये प्रति टन से लगभग 6.5 प्रतिशत अधिक है.
सरकार ने भी किसानों का हौसला बढ़ाने के लिए रबी मार्केटिंग सीजन 2026–27 के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 6,200 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जो पिछले साल से 250 रुपये अधिक है. ऐसे में किसानों को अब यह भरोसा है कि मेहनत का सही दाम मिलेगा.
नमी और पानी ने दी फसल को मजबूती
इस बार मानसून भले ही देर से गया हो, लेकिन उसने मिट्टी में नमी भर दी है. राजस्थान के उत्तरी और पूर्वी इलाकों में जलाशय इस समय लगभग पूरे भरे हुए हैं. इससे रबी फसलों की बुवाई के लिए परिस्थितियां काफी अनुकूल हो गई हैं. भारतीय साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन (SEA) के कार्यकारी निदेशक बीवी मेहता का कहना है “मिट्टी की नमी अच्छी है और पानी की स्थिति भी बेहतर है. अगर मौसम सामान्य रहा, तो इस साल सरसों की फसल उम्मीद से ज्यादा होगी. कीमतें भी अच्छी हैं, इसलिए किसान बड़े पैमाने पर बुवाई कर रहे हैं.”
रकबा और उत्पादन में भारी बढ़ोतरी की उम्मीद
राजस्थान कृषि विभाग के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 24 अक्टूबर तक राज्य में सरसों की बुवाई का रकबा 16.84 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया है. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 9.12 लाख हेक्टेयर था. यानी कि लगभग दोगुनी वृद्धि. रबी सीजन 2024–25 में सरसों की बुवाई का कुल रकबा 33.72 लाख हेक्टेयर था, जबकि पिछले पांच सालों का औसत 35.22 लाख हेक्टेयर रहा है. अगर यह रफ्तार ऐसे ही बनी रही, तो इस बार सरसों का उत्पादन भी रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच सकता है.
किसानों की उम्मीदें फिर हुई हरी
सरसों किसानों के लिए न केवल आय का बड़ा स्रोत है, बल्कि इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है. इस बार बेहतर मौसम और ऊंचे भावों के चलते किसान इस फसल पर ज्यादा भरोसा जता रहे हैं. पिछले साल जहां देशभर में सरसों का कुल उत्पादन 132.59 लाख टन था, वहीं 2024–25 में यह थोड़ा घटकर 126.06 लाख टन रह गया. लेकिन इस बार हालात देखकर विशेषज्ञों का मानना है कि यह आंकड़ा फिर से बढ़ेगा.
सरसों की बुवाई में आई यह उछाल किसानों के आत्मविश्वास और उम्मीदों का प्रतीक है. अच्छी कीमतें, अनुकूल मौसम और पानी की उपलब्धता ने राजस्थान को एक बार फिर “सरसों राज्य” बना दिया है. अगर मौसम ने साथ दिया, तो आने वाले महीनों में न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी बल्कि देश में तिलहन उत्पादन भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा.