Maa Kaalratri ki Poojan Vidhi: नवरात्रि के 7वें दिन भगवती दुर्गा के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. हिंदू मान्यताओं और पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब अंधकार घना हो जाए, जब हर दिशा में भय और विनाश का साया मंडराने लगे — तब एक दिव्य शक्ति प्रकट होती है, जो केवल रौद्र नहीं, बल्कि रक्षक भी है, यही शक्ति कहलाती है मां कालरात्रि. मां का ये स्वरूप जीवन से अज्ञान, भय और नकारात्मकता को दूर करता है. कहते हैं कि मां कालरात्रि न केवल असुरों और दैत्यों का नाश करती हैं बल्कि, हमारे अंदर के भय, संदेह और कमजोरी को भी खतम करती हैं.
शक्ति का प्रतीक है मां का स्वरूप
मां कालरात्रि का शरीर अंधरे की तरह काला है, उनके बाल बिखरे हुए हैं और गले में बिजली की तरह चमकने वाली माला है. मां के इस स्वरूप की चार भुजाएं हैं जिनमें से एक हाथ में मां लोहे का कांटा लिए हुई हैं. दूसरे हाथ में कटार यानी हथियार लिए हुई हैं. तीसरे हाथ से मां अभय मुद्रा यानी भय दूर करने का आशीर्वाद देती हैं, वहीं चौथे हाथ से मां भक्तों को वर मुद्रा यानी वरदान देती हैं. देखने में मां कालरात्रि बेहद ही डरावनी दिखती हैं लेकिन उनका ये स्वरूप बुराई को खतम करने और भक्तों की रक्षा करने वाला है. उनकी नाक और मुंह से अग्नि की लपटें निकलती हैं, जो बुराइयों को जलाने वाली शक्ति का प्रतीक हैं.

मां कालरात्रि (Photo Credit- Canva)
इस विधि से करें मां का पूजन
मां कालरात्रि की पूजा करने से पहले पूजा स्थान को साफ करें और एक लाल या काले रंग का कपड़ा बिछाएं. पूजा स्थान पर मां की मूर्ति या चित्र को बीच में रखें औप मूर्ति के सामने जल, फूल, धूप, दीप, रोली, अक्षत (चावल), नैवेद्य (भोग) और नारियल आदि सामग्री रखें. इसके बाद आंखे बंद कर मां कालरात्रि का ध्यान करें और उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके जीवन से अंधकार रूपी सभी कष्टों, रोग, संकट आदि को हर लें. इसके बाद चाहें तो 11, 21 या 108 बार मां के मत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे या फिर ॐ कालरात्र्यै नमः का जप करें.
मां को उनका प्रिय भोग चढ़ाएं
धार्मिक कथाओं और हिंदू मान्यताओं के अनुसार, मां कालरात्रि को गुड़ अत्यंत प्रिय है, यह शुद्धता, मिठास और ऊर्जा का प्रतीक है. किसी पत्ते या पत्तल में थोड़ा सा गुड़ रखकर मां को भोग में चढ़ाएं. साथ ही मां को काले चने भी बहुत पसंद हैं, इसलिए विशेष रूप से अष्टमी और नवमी के दिन मां कोउबले हुए या सूखे भुने हुए काले चने गुड़ के साथ भोग में चढ़ाएं. भोग के साथ दीप और धूप दिखाएं और इसके बाद मां को चढ़ाए गए भोग को प्रसाद के रूप में परिवार जनों में बांटें.