Faeming Tips: टमाटर की खेती करने वाले किसानों और बागवानी प्रेमियों के लिए पौधों का अचानक मुरझा जाना किसी बुरे सपने से कम नहीं होता. खेत में हरी-भरी फसल देखते-देखते जब पत्तियां झुकने लगती हैं और पौधे सूखने लगते हैं, तो मेहनत पर पानी फिर जाता है. यह समस्या सिर्फ पानी की कमी से नहीं होती, बल्कि इसके पीछे कई जैविक, मिट्टी संबंधी और पर्यावरणीय कारण होते हैं. अगर इन कारणों की सही पहचान कर ली जाए तो फसल को बचाया जा सकता है और नुकसान को रोका जा सकता है.
मुरझाने के पीछे छिपे असली कारण
टमाटर के पौधे के मुरझाने के पीछे दो मुख्य वजहें होती हैं-रोग और पर्यावरणीय गड़बड़ी.
सबसे पहले बात करें रोगों की, टमाटर के पौधों में फ्यूजेरियम विल्ट और वर्टिसिलियम विल्ट जैसी फफूंदजनित बीमारियां आम हैं. ये रोग पौधे की जलवाहिकाओं को बंद कर देते हैं, जिससे जड़ों से पत्तियों तक पानी नहीं पहुंच पाता. इसका असर पहले नीचे की पत्तियों पर दिखता है, वे पीली होकर झुकने लगती हैं और धीरे-धीरे पूरा पौधा सूखने लगता है.
अगर आप तने को काटें और अंदर भूरा रंग दिखे, तो यह फफूंदी का पक्का संकेत है.
दूसरी बड़ी बीमारी है बैक्टीरियल विल्ट, जिसमें पौधा अचानक मुरझा जाता है. ऐसा लगता है जैसे पानी की भारी कमी हो, लेकिन असल में यह एक जीवाणु संक्रमण होता है. तने को दबाने पर सफेद चिपचिपा पदार्थ निकलता है, यह उस संक्रमण की निशानी है. इसके अलावा रूट नेमाटोड नामक सूक्ष्म कीट जड़ों में गांठें बना देते हैं. इन गांठों की वजह से पौधा मिट्टी से पोषक तत्व नहीं ले पाता और धीरे-धीरे मुरझाने लगता है.
हर बार दोष पानी का नहीं होता
कई बार किसान यह मान लेते हैं कि पौधा सूख रहा है क्योंकि उसे पानी कम मिला. लेकिन सच्चाई यह है कि ज्यादा पानी देना भी उतना ही नुकसानदायक हो सकता है.
जब मिट्टी में लगातार पानी जमा रहता है तो जड़ों को ऑक्सीजन नहीं मिलती और वे सड़ जाती हैं. इसे रूट रॉट कहा जाता है.
दूसरी तरफ, अगर लंबे समय तक पानी नहीं दिया गया या मौसम बहुत गर्म है, तो पौधे की पत्तियां झुकने लगती हैं और नमी के नुकसान से पौधा मुरझा जाता है.
मिट्टी की बनावट और pH असंतुलन भी एक बड़ी वजह है. अगर मिट्टी बहुत सख्त या अम्लीय (acidic) है, तो पौधे की जड़ें फैल नहीं पातीं और पौधा कमजोर हो जाता है.
कई बार किसान अधिक उर्वरक या कीटनाशक डाल देते हैं, जिससे पौधे की जड़ें जल जाती हैं. इसे “केमिकल बर्न” कहा जाता है, और यह टमाटर की फसल को गहरा नुकसान पहुंचा सकता है.
कैसे पहचानें असली कारण
टमाटर के पौधे के मुरझाने की वजह समझने के लिए थोड़ा निरीक्षण करना जरूरी है. देखें, क्या सिर्फ एक-दो पौधे मुरझा रहे हैं या पूरा खेत? क्या यह मुरझाना दिन में ही होता है और शाम को ठीक हो जाता है? मिट्टी को हाथ से छूकर देखें कि उसमें नमी है या नहीं. अगर तने को काटने पर उसका अंदरूनी हिस्सा भूरा दिखे, तो यह फफूंदी का लक्षण है. अगर जड़ें सड़ी हुई या गांठदार दिखें, तो कीट या नेमाटोड का असर है.
सही प्रबंधन से मिलेगा समाधान
- एक बार कारण पहचानने के बाद समाधान आसान हो जाता है.सबसे पहले, रोग-प्रतिरोधक किस्में लगाना जरूरी है. ‘VFN’ कोड वाली हाइब्रिड किस्में फफूंद और कीट दोनों से लड़ने में सक्षम होती हैं.एक ही खेत में बार-बार टमाटर, मिर्च या बैंगन न लगाएं. इससे मिट्टी में रोगाणु पनपने का खतरा बढ़ता है.
- फसल चक्र अपनाएं यानी हर 3-4 साल में फसल बदलें.
- मिट्टी की धूप से लगने दें. इससे फफूंदी और जीवाणु मर जाते हैं. रोपाई से पहले पौधों को ट्राइकोडर्मा या स्यूडोमोनास जैसे जैविक सूक्ष्मजीवों से ट्रीट करें. ये मिट्टी में मौजूद हानिकारक रोगाणुओं को दबा देते हैं.
- अगर पौधा पहले से संक्रमित है तो उसे खेत से निकालकर नष्ट कर दें ताकि बीमारी फैल न सके. नेमाटोड नियंत्रण के लिए नीम की खली या जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें.
सिंचाई और देखभाल के उपाय
टमाटर के पौधों के लिए संतुलित सिंचाई सबसे जरूरी है. न तो मिट्टी सूखी रहे और न उसमें पानी भर जाए. ड्रिप इरिगेशन सबसे अच्छा तरीका है क्योंकि इससे पौधों को सीधा जड़ों में नमी मिलती है और पत्तियां सूखी रहती हैं, जिससे फफूंदी का खतरा घटता है.
याद रखें पत्तियों पर पानी डालने से बचें, क्योंकि इससे रोग तेजी से फैलते हैं. नियमित अंतराल पर जैविक फफूंदनाशक या नीम का छिड़काव करना भी लाभदायक होता है.