अब भारतीय किसान भी उगा रहे हैं जुकीनी, कम समय में अच्छी कमाई, जानिए खेती का तरीका

जुकीनी देखने में तोरई जैसी होती है, लेकिन इसका स्वाद, उपयोग और पोषण इसे खास बनाता है. इसे इटालियन स्क्वैश भी कहा जाता है और हेल्थ फूड के रूप में इसकी पहचान बन चुकी है. जुकीनी में विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 23 Dec, 2025 | 02:37 PM
Instagram

Farming Tips: भारतीय खेती अब धीरे-धीरे नए दौर में प्रवेश कर रही है. किसान केवल गेहूं, धान या सब्जियों की पारंपरिक खेती तक सीमित नहीं रह गए हैं, बल्कि अब वे ऐसी फसलों की ओर भी बढ़ रहे हैं, जिनकी बाजार में मांग तेजी से बढ़ रही है और जो कम समय में बेहतर आमदनी दे सकें. इसी बदलाव की एक बड़ी मिसाल बनकर उभरी है जुकीनी की खेती. कुछ साल पहले तक जुकीनी केवल बड़े होटलों और विदेशी व्यंजनों तक सीमित थी, लेकिन अब यह आम लोगों की थाली तक पहुंचने लगी है. इससे किसानों के सामने कम लागत में अधिक मुनाफे का नया रास्ता खुला है.

क्या है जुकीनी और क्यों बढ़ रही है इसकी मांग

जुकीनी देखने में तोरई जैसी होती है, लेकिन इसका स्वाद, उपयोग और पोषण इसे खास बनाता है. इसे इटालियन स्क्वैश भी कहा जाता है और हेल्थ फूड के रूप में इसकी पहचान बन चुकी है. जुकीनी में विटामिन ए, विटामिन सी, फाइबर और पोटैशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है. यही वजह है कि वजन नियंत्रित रखने वाले लोग, जिम जाने वाले युवा और हेल्दी डाइट अपनाने वाले परिवार इसे तेजी से अपना रहे हैं. सलाद से लेकर सब्जी, सूप और ग्रिल्ड डिश तक जुकीनी का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है.

बाजार में कीमत और किसानों को फायदा

जैसे-जैसे जुकीनी की मांग बढ़ी है, वैसे-वैसे इसके दाम भी किसानों के लिए आकर्षक बने हैं. स्थानीय मंडियों, सुपरमार्केट और होटलों में जुकीनी 100 से 200 रुपये प्रति किलो तक बिक रही है. जैविक जुकीनी के दाम इससे भी ज्यादा मिलते हैं. छोटे शहरों और कस्बों में भी अब इसकी खपत बढ़ रही है, जिससे किसानों को माल बेचने के लिए दूर नहीं जाना पड़ता. यही कारण है कि कई किसान सब्जियों की पारंपरिक खेती छोड़कर जुकीनी जैसी विदेशी सब्जियों की ओर रुख कर रहे हैं.

जुकीनी की खेती करना कितना आसान

जुकीनी की खेती ज्यादा जटिल नहीं है और इसे सीखना भी आसान है. यह फसल 50 से 60 दिनों में तैयार हो जाती है, जिससे किसान एक ही मौसम में कई बार फसल ले सकते हैं. हल्की दोमट मिट्टी, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो, जुकीनी के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. ज्यादा पानी भरने वाली जमीन में इसकी जड़ें खराब हो सकती हैं, इसलिए संतुलित सिंचाई जरूरी होती है.

बुवाई से कटाई तक का सफर

जुकीनी के बीज प्रमाणित स्रोत से लेने चाहिए. बीज बोने से पहले उन्हें पानी में भिगोने से अंकुरण अच्छा होता है. किसान चाहें तो सीधे खेत में बुवाई कर सकते हैं या पहले नर्सरी में पौधे तैयार कर रोपाई कर सकते हैं. पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखने से हवा और धूप मिलती है, जिससे फल की गुणवत्ता बेहतर होती है. नियमित निराई-गुड़ाई और हल्की खाद देने से पौधे तेजी से बढ़ते हैं.

कम लागत, तेज मुनाफा

एक एकड़ खेत से जुकीनी की 100 से 150 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती है. लागत कम होने और बाजार भाव अच्छे मिलने से मुनाफा भी संतोषजनक रहता है. समय पर कटाई बहुत जरूरी है, क्योंकि सही आकार में तोड़ी गई जुकीनी की कीमत ज्यादा मिलती है. किसान इसे सीधे मंडी, होटल, रेस्टोरेंट या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के जरिए बेच सकते हैं.

किसानों के लिए भविष्य की फसल

जुकीनी की खेती आज उन किसानों के लिए उम्मीद बन रही है, जो खेती में कुछ नया करना चाहते हैं. यह फसल न केवल आमदनी बढ़ाती है, बल्कि किसानों को बदलते बाजार और उपभोक्ताओं की पसंद से भी जोड़ती है. आने वाले समय में जुकीनी जैसी फसलें भारतीय खेती को ज्यादा लाभकारी और आधुनिक बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?