कम लागत में कमाएं ज्यादा पैसा, किसानों के लिए फायदेमंद है जुकीनी की खेती, जानिए कैसे

जुकीनी उन किसानों के लिए आदर्श फसल है, जो नई चीजों को अपनाने में विश्वास रखते हैं और कम संसाधनों में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं. इसकी खेती न केवल आमदनी बढ़ाती है, बल्कि किसानों को बाजार के नए तरीकों और सेलिंग नेटवर्क से जोड़ती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 25 Oct, 2025 | 11:45 AM

Farming Tips: भारतीय किसान अब परंपरागत फसलों से आगे बढ़कर नई और विदेशी सब्जियों की ओर भी ध्यान दे रहे हैं. इसी कड़ी में जुकीनी ने हाल के वर्षों में अपनी खास पहचान बनाई है. पहले यह सब्जी सिर्फ बड़े होटलों और विदेशी रेसिपीज तक सीमित थी, लेकिन अब छोटे शहरों और स्थानीय बाजारों में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है. यह बदलाव किसानों के लिए नई उम्मीद और आमदनी का अवसर लेकर आया है.

जुकीनी क्या है और क्यों खास है

जुकीनी एक लंबी, नरम और हरी सब्जी है, जो देखने में तोरई जैसी लगती है, लेकिन स्वाद और पोषण में बिल्कुल अलग है. इसे इटालियन स्क्वैश भी कहा जाता है. जुकीनी में विटामिन A और C, पोटैशियम और डाइटरी फाइबर भरपूर मात्रा में मौजूद होते हैं, जो शरीर के लिए बहुत फायदेमंद हैं. इसे उबालकर, भूनकर या सलाद में कच्चा खाया जा सकता है. यही वजह है कि स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग इसे अपनी डेली डाइट में शामिल कर रहे हैं.

बाजार में बढ़ती मांग और अवसर

आज जुकीनी केवल मेट्रो शहरों में ही नहीं बल्कि टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी लोकप्रिय हो रही है. बड़े होटल, कैफे और हेल्थ किचन में इसका इस्तेमाल बढ़ गया है. इस बढ़ती मांग का सीधा फायदा किसानों को मिल रहा है. जुकीनी की खेती सालभर की जा सकती है, और हर मौसम में इसकी बिक्री संभव है. बाजार में इसकी कीमत 100 रुपये से 200 रुपये प्रति किलो तक रहती है, जो स्थान और मांग पर निर्भर करती है.

किसानों के लिए उगाने की आसानी और लाभ

जुकीनी की खेती में तकनीकी जानकारी या ज्यादा खर्च की आवश्यकता नहीं होती. सामान्य सिंचाई, समय पर निराई-गुड़ाई और जरूरत अनुसार जैविक या रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव ही पर्याप्त है. यह फसल लगभग 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है, और एक एकड़ भूमि से 100-150 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है. खास बात यह है कि जैविक जुकीनी की मांग काफी ज्यादा है, जिससे किसानों को प्रीमियम दाम भी मिलते हैं.

किसानों के लिए नई संभावनाएं

जुकीनी उन किसानों के लिए आदर्श फसल है, जो नई चीजों को अपनाने में विश्वास रखते हैं और कम संसाधनों में अधिक मुनाफा कमाना चाहते हैं. इसकी खेती न केवल आमदनी बढ़ाती है, बल्कि किसानों को बाजार के नए तरीकों और सेलिंग नेटवर्क से जोड़ती है. जुकीनी की खेती से किसान न सिर्फ आर्थिक रूप से मजबूत होते हैं, बल्कि उन्हें हेल्थ फूड की बढ़ती मांग में भाग लेने का मौका भी मिलता है.

जुकीनी की खेती

जुकीनी की खेती अब भारतीय किसानों के लिए नई उम्मीद बन चुकी है. यह फसल कम समय में तैयार होती है और इसमें लागत भी कम आती है. इसके अलावा, बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. आइए जानते हैं जुकीनी की खेती कैसे की जाती है और किस तरह से किसान इससे अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.

भूमि का चयन

जुकीनी की फसल के लिए सबसे उपयुक्त भूमि वह होती है जिसमें पानी जल्दी न रुके और मिट्टी हल्की दोमट हो. बहुत कठोर मिट्टी या पानी जमा होने वाली जमीन इस फसल के लिए ठीक नहीं है. सही भूमि का चयन करना खेती में सफलता का पहला कदम है.

बीज या पौधा तैयार करना

जुकीनी के बीज स्थानीय कृषि केंद्र या प्रमाणित नर्सरी से लेना चाहिए. बीज बोने से पहले 12-24 घंटे पानी में भिगो दें. इसके बाद बीजों को नर्सरी या छोटे गमलों में अंकुरित करें. इससे पौधे मजबूत और स्वस्थ होते हैं, और खेत में रोपाई के समय उनका विकास बेहतर रहता है.

रोपाई या सीधी बुवाई

जुकीनी की फसल को दो तरीकों से उगाया जा सकता है. सीधी बुवाई में बीज सीधे खेत में बोए जाते हैं. रोपाई में पहले बीजों से छोटे पौधे तैयार किए जाते हैं और 25-30 दिन के पौधों को खेत में रोपा जाता है. पौधों के बीच लगभग 60-70 सेंटीमीटर और पंक्ति के बीच 50-60 सेंटीमीटर की दूरी रखें, ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिले.

सिंचाई और देखभाल

जुकीनी को नियमित पानी की जरूरत होती है, लेकिन अधिक पानी से जड़ें खराब हो सकती हैं. सप्ताह में दो से तीन बार सिंचाई करना पर्याप्त होता है. साथ ही, समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना जरूरी है ताकि पौधों को पर्याप्त पोषण मिले और मिट्टी हल्की बनी रहे.

पोषण और उर्वरक

जुकीनी की खेती में जैविक खाद जैसे गोबर की खाद या कम्पोस्ट का उपयोग करें. इसके अलावा, जरूरत के अनुसार नाइट्रोजन और फास्फोरस युक्त उर्वरक देना फसल की गुणवत्ता और पैदावार बढ़ाने में मदद करता है.

कीट और रोग नियंत्रण

कीट और बीमारियों से बचाव के लिए जैविक या हल्के रासायनिक कीटनाशक का उपयोग किया जा सकता है. नीम के उपाय या होम मेड जैविक दवा भी प्रभावी होती हैं और फसल को सुरक्षित रखती हैं.

फसल कटाई और बाजार

जुकीनी लगभग 50-60 दिनों में तैयार हो जाती है. फल का आकार 15-20 सेंटीमीटर तक पहुंचने पर उसे काट लेना चाहिए. समय से कटाई करने से पैदावार अधिक होती है और गुणवत्ता भी अच्छी रहती है. किसान जुकीनी को सीधे बाजार, होटल या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बेच सकते हैं. जैविक जुकीनी की मांग अधिक होती है, इसलिए प्रीमियम दाम भी मिल सकते हैं.

किसानों के लिए नई अवसर

जुकीनी की खेती कम लागत, आसान देखभाल और तेज लाभ के कारण किसानों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो रही है. यह न केवल आय बढ़ाती है बल्कि किसानों को नए बाजार और अनुभव से जोड़ती है.

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