खीरा तीन अलग-अलग सीजन में उगाया जा सकता है. गर्मी (फरवरी के अंत से मार्च तक) सबसे अच्छा समय माना जाता है. फल अप्रैल-जून तक तैयार हो जाते हैं. बरसात (जून-जुलाई) मिट्टी में नमी होती है, जिससे पौधे जल्दी बढ़ते हैं. सर्दी (ग्रीनहाउस में) अक्टूबर-नवंबर में पौधे लगते हैं और फल दिसंबर-फरवरी में आते हैं.
खीरा उगाने के लिए रेतीली दोमट या हल्की भुरभुरी मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है. ऐसी मिट्टी पानी को रोकती नहीं, जिससे जड़ें सड़ती नहीं हैं. नरम, गहरी और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में बीज जल्दी अंकुरित होते हैं और पौधे मजबूत बनते हैं.
बीज को 10-12 घंटे पानी में भिगोकर बोएं ताकि अंकुरण तेज हो. हर गड्ढे में 2-3 बीज डालें और जब अंकुरण हो जाए तो कमजोर पौधों को हटा दें. बीज को हल्की गहराई में बोएं और मिट्टी को हल्के हाथों से दबाकर थोड़ा पानी दें.
खीरे के पौधे बेल की तरह फैलते हैं, इसलिए उन्हें चढ़ाने के लिए बांस, लकड़ी या जाली का सहारा देना जरूरी होता है. इससे पौधों को हवा और धूप भरपूर मिलती है और फल नीचे गिरने की बजाय सुरक्षित रहते हैं.
खीरे को ज्यादा पानी चाहिए, लेकिन जलभराव नहीं. हर 2-3 दिन पर हल्की सिंचाई करें. बारिश के मौसम में ध्यान दें कि पानी जड़ में न रुके. निराई-गुड़ाई करते रहें ताकि खरपतवार न बढ़े और मिट्टी ढीली बनी रहे.
खीरे के पौधों पर पत्तियां पीली पड़ने, फल खराब होने या फफूंदी लगने जैसी समस्याएं हो सकती हैं. नीम का तेल या जैविक कीटनाशकों का नियमित छिड़काव करें, जिससे कीटों से प्राकृतिक बचाव हो सके.