खेती के लिए वैज्ञानिक सुझाव अब मोबाइल पर, AI देगा वॉट्सऐप पर स्मार्ट सलाह

अब किसान मौसम, मिट्टी और फसल से जुड़ी वैज्ञानिक सलाह सीधे अपने मोबाइल पर पा सकेंगे. इसके लिए एक AI आधारित व्हाट्सऐप बॉट तैयार किया गया है, जो iSAT सिस्टम से जुड़ा होगा. इस बॉट के जरिए किसानों को उनकी भाषा में, उनकी जरूरत के मुताबिक सलाह भेजी जाएगी.

नई दिल्ली | Published: 31 Jul, 2025 | 01:59 PM

अब छोटे और मझोले किसानों को मौसम के उतार-चढ़ाव से डरने की जरूरत नहीं है. ICRISAT और ICAR जैसी प्रमुख संस्थाओं ने मिलकर एक नई तकनीकी पहल की शुरुआत की है, जो खेती की दुनिया को बदलने वाली है. इस पहल के तहत किसानों को अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के जरिए उनकी जरूरत के हिसाब से खेती की सलाह मिलेगी वो भी मोबाइल पर, उनकी अपनी भाषा में.

क्या है यह नई तकनीक?

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस प्रोजेक्ट का नाम है: “AI-संचालित स्थानीय एग्रोमेट सलाह सेवा” (AI-powered Context-Specific Agromet Advisory Services for Climate-Resilient Agriculture at Scale). यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे ICRISAT ने भारत सरकार के मानसून मिशन III के तहत विकसित किया है. इसका मकसद है किसानों को उनकी जमीन, मौसम और फसलों के हिसाब से वैयक्तिक (personalised) और रीयल टाइम सलाह देना.

किसानों को क्या-क्या मिलेगा?

iSAT तकनीक और AI आधारित सलाह से किसानों को खेती से जुड़ी बेहद जरूरी और सटीक जानकारी मिलेगी, वो भी बिल्कुल समय पर. इसके तहत किसान नीचे दी गई प्रमुख सलाहों का लाभ उठा सकेंगे:

बोवाई का सही समय
अब किसानों को यह जानने के लिए किसी अनुमान पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा कि बीज कब बोएं. iSAT तकनीक के जरिए जलवायु और मिट्टी की स्थिति को देखते हुए उन्हें यह सलाह दी जाएगी कि खेत में बीज डालने का सबसे सही वक्त क्या है.

सिंचाई की सलाह
बारिश के अनुमान और मिट्टी की नमी को ध्यान में रखते हुए यह बताया जाएगा कि फसल को कब और कितनी बार पानी देना है. इससे पानी की बचत के साथ-साथ पैदावार भी बढ़ेगी.

कीट और रोग प्रबंधन
अगर किसी किसान की फसल में कोई बीमारी या कीट लगते हैं, तो AI तुरंत पहचान कर उसका उपाय बताएगा. इससे फसल को नुकसान पहुंचने से पहले ही रोकथाम हो सकेगी.

मौसम का अलर्ट
आने वाली बारिश, तूफान, ओलावृष्टि या सूखे की जानकारी समय रहते दी जाएगी. इससे किसान अपनी फसल की सुरक्षा के लिए पहले से तैयारी कर सकेंगे.

व्हाट्सऐप पर मिलेगी सलाह

अब किसान मौसम, मिट्टी और फसल से जुड़ी वैज्ञानिक सलाह सीधे अपने मोबाइल पर पा सकेंगे. इसके लिए एक AI आधारित व्हाट्सऐप बॉट तैयार किया गया है, जो iSAT सिस्टम से जुड़ा होगा. इस बॉट के जरिए किसानों को उनकी भाषा में, उनकी जरूरत के मुताबिक सलाह भेजी जाएगी. खास बात यह है कि यह सेवा गांव के सबसे दूर-दराज इलाके में रहने वाले किसानों तक भी पहुंचेगी, जिससे तकनीक और ज्ञान की पहुंच वाकई जमीनी स्तर तक सुनिश्चित हो सकेगी.

कहां से होगी शुरुआत?

इस प्रोजेक्ट की शुरुआत महाराष्ट्र के छोटे किसानों के साथ हो रही है. इसके लिए ICAR की एग्रो-मौसम विज्ञान फील्ड यूनिट्स (AMFUs) को जोड़ा गया है. यहां से मिलने वाले अनुभव के आधार पर इसे देशभर में लागू किया जाएगा, और फिर इसे अन्य विकासशील देशों (Global South) में भी ले जाया जाएगा.

कौन-कौन हैं इस पहल में शामिल?

  • ICRISAT (अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान)
  • ICAR (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद)
  • CRIDA (शुष्क भूमि कृषि संस्थान)
  • ILRI (पशुपालन अनुसंधान संस्था)
  • IITM (मौसम विज्ञान संस्थान, पुणे)
  • IMD (भारत मौसम विभाग)

क्या कहा विशेषज्ञों ने?

ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि “भारत में बनी यह तकनीक केवल देश के ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के किसानों की जलवायु चुनौतियों से लड़ने में मदद करेगी.”

भविष्य की तैयारी

खेती को मौसम और जलवायु के खतरों से बचाने के लिए अब टेक्नोलॉजी को हथियार बनाया जा रहा है. पहले इसे मानसून मिशन-II के तहत एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था, लेकिन अब इसे और उन्नत बनाकर पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित सलाह प्रणाली का रूप दे दिया गया है.

इस नई तकनीक का नाम है iSAT यानी Intelligent Systems Advisory Tool. यह सिस्टम किसानों को खेती के हर चरण में वैज्ञानिक और सटीक सलाह देने में मदद करेगा, ताकि वे मौसम की मार और जलवायु बदलावों का बेहतर मुकाबला कर सकें.