भारत के डेयरी क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों की बदौलत अब नई ऊंचाइयों को छूने की तैयारी हो रही है. करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (NDRI) ने पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है. पहली बार देश की क्लोन गिर नस्ल की गाय गंगा के अंडाणुओं से एक दूसरी गाय ने स्वस्थ बछिया को जन्म दिया है. यह उपलब्धि पशुधन सुधार और डेयरी फार्मिंग के भविष्य के लिए एक क्रांतिकारी कदम माना जा रहा है.
कौन है गंगा- देश की पहली क्लोन गिर गाय
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एनडीआरआई में गंगा का जन्म हुआ था, जो भारत की पहली क्लोन गिर नस्ल की गाय है. गिर नस्ल गुजरात की प्रमुख और बेहद दुग्धक्षमता वाली गायों में गिनी जाती है. गंगा पूरी तरह स्वस्थ रही और वैज्ञानिकों ने उसकी दूध उत्पादन क्षमता, व्यवहार और जैविक प्रक्रियाओं की गहन निगरानी की. इस प्रयोग से यह साबित हुआ कि क्लोनिंग तकनीक से प्राप्त गायें भी सामान्य गायों की तरह कार्य कर सकती हैं.
मात्र 18 महीने में हीट, फिर सफल बछड़ी का जन्म
गंगा ने महज 18 महीने की उम्र में हीट में आकर वैज्ञानिकों को चौंका दिया. आमतौर पर किसी गाय में यह प्रक्रिया 24 से 30 महीने में होती है. इस दौरान वैज्ञानिकों ने ओपीयू (Ovum Pick-Up) तकनीक से गंगा के 50 अंडाणु प्राप्त किए. इनमें से 12 भ्रूण तैयार किए गए और उन्हें पांच अलग-अलग नस्ल की गायों में प्रत्यारोपित किया गया. परिणामस्वरूप, एक शाहीवाल नस्ल की गाय ने गिर नस्ल की पूरी तरह स्वस्थ बछिया को जन्म दिया.
9 महीने की समय बचत-तेजी से होगा नस्ल सुधार
इस पूरी प्रक्रिया में वैज्ञानिकों ने लगभग 9 महीने का समय बचाया है. सामान्य तौर पर किसी गाय के अंडाणु से लेकर बछिया पैदा होने तक 33 से 36 महीने लगते हैं, लेकिन गंगा के मामले में यह प्रक्रिया मात्र 27 महीनों में पूरी हो गई. इससे साबित होता है कि मल्टीप्लिकेशन तकनीक के जरिए देश में उच्च गुणवत्ता वाली नस्लों का तेजी से विस्तार किया जा सकता है.
नामकरण पर मंथन, देश को मिली नई दिशा
एनडीआरआई अब इस नई बछिया का नाम तय करने की प्रक्रिया में है. यह बछिया केवल एक शोध का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह आने वाले समय में दुग्ध उत्पादन और पशुधन गुणवत्ता सुधार की दिशा में एक नई शुरुआत है. इस तकनीक से न केवल दूध उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि देश में गिर जैसी उच्च दुग्ध क्षमता वाली नस्लों की संख्या भी तेजी से बढ़ेगी.
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