आधुनिक खेती में ड्रोन का इस्तेमाल अब आम होता जा रहा है. खेतों में दवा छिड़काव से लेकर फसल निगरानी तक, ड्रोन ने काम को आसान बना दिया है. लेकिन अब इसी तकनीक की आड़ में एक बड़ा खतरा मंडरा रहा है. भारत में बिना प्रमाणित यानी नॉन-टाइप सर्टिफाइड ड्रोन (Non-TC Drones) की बिक्री और उपयोग तेजी से बढ़ रहा है, जिससे न केवल किसानों को नुकसान हो रहा है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.
गैरकानूनी ड्रोन से बढ़ रही चिंता
एक्सपर्ट्स के अनुसार समस्या नीति की कमी नहीं है, बल्कि नियमों के सही पालन न होने की है. चीन से आए कई ड्रोन, या उनके अलग-अलग हिस्से, गलत जानकारी देकर देश में मंगवाए जाते हैं और भारत में ही जोड़े जाते हैं. ये ड्रोन बिना किसी रजिस्ट्रेशन या लाइसेंस के उड़ाए जाते हैं और कई बार इनमें भारी भार उठाने की क्षमता होती है, जो सुरक्षा के लिहाज से गंभीर खतरा बन सकता है.
किसान बन रहे हैं धोखाधड़ी का शिकार
खेती के लिए इस्तेमाल हो रहे ये चीनी ड्रोन सस्ते तो होते हैं, लेकिन उनमें जरूरी सुरक्षा फीचर्स जैसे Geo-fencing, Return-to-home और Auto-landing नहीं होते. इतना ही नहीं, इन्हें चलाने वाले लोगों को अक्सर कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं मिला होता. इन ड्रोन को झूठे दस्तावेजों और फर्जी दावों के साथ किसानों को बेचा जा रहा है. ड्रोन की खराबी होने पर न कोई डीलर मिलता है, न सर्विस. खेतों में सही तरीके से छिड़काव न होने से फसलें झुलस जाती हैं, जिससे किसान को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. कई मामलों में यूट्यूब या सोशल मीडिया पर चल रहे प्रचार के ज़रिए ड्रोन बेचे जा रहे हैं, जिनके पीछे कोई जिम्मेदारी लेने वाला नहीं होता.
फसलें बर्बाद, निर्यात पर खतरा
गैर-प्रमाणित ड्रोन से कीटनाशकों का गलत छिड़काव होता है, जिससे फसल पर जहरीले प्रभाव पड़ते हैं. इन ड्रोन से छिड़के गए रसायनों की कोई जांच नहीं होती, जिससे अंतरराष्ट्रीय मानकों (MRL – Maximum Residue Limits) का उल्लंघन होता है. इसका असर भारत की खाद्य निर्यात श्रंखला पर भी पड़ सकता है.
सब्सिडी योजनाओं का हो रहा दुरुपयोग
SMAM (Sub-Mission on Agricultural Mechanization) और AIF (Agriculture Infrastructure Fund) जैसी सरकारी योजनाओं की सब्सिडी पाने के लिए कुछ लोग नकली दस्तावेजों का सहारा लेकर किसानों को धोखा दे रहे हैं. ऐसे मामलों में किसान बैंक से लोन तक नहीं ले पाते, और अगर लोन मिल भी गया, तो ड्रोन के खराब होने पर मदद नहीं मिलती.
YouTube और WhatsApp से फैल रही समस्या
हैदराबाद की एक प्रमाणित ड्रोन कंपनी के प्रतिनिधि के अनुसार, कुछ यूट्यूब इंफ्लुएंसर और ऑनलाइन डीलर खुलेआम गैरकानूनी ड्रोन का प्रचार कर रहे हैं. WhatsApp जैसे प्लेटफॉर्म्स के जरिए ये बिक्री करते हैं और बाद में कोई सर्विस या गारंटी नहीं देते. इससे न केवल किसानों को नुकसान होता है, बल्कि सही तरीके से काम करने वाले व्यवसायों की छवि भी खराब होती है.
कानून हैं, पर सख्ती नहीं
DGCA के ड्रोन रूल्स 2021 के अनुसार, बिना प्रमाणन वाले ड्रोन का उपयोग प्रतिबंधित है और DGFT ने पूरी तरह बने हुए ड्रोन के आयात पर रोक लगा रखी है. फिर भी, कस्टम्स, डीआरआई (DRI) और एविएशन विभागों की लापरवाही से ये नियम लागू नहीं हो पा रहे.