कहते हैं कि पूरी ईमानदारी और मेहनत के साथ कोई काम किया जाए तो एक दिन सफलता हाथ जरूर लगती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में रहने वाले किसान राम प्रताप मौर्य ने, जो 75 साल की उम्र में भी लगातार खेती-किसानी करते हैं और उनकी इसी मेहनत का नतीजा है कि आज उन्होंने अपने परिवार के लिए लाखों की प्रॉपर्टी खड़ी कर ली है. आज उनके दो बेटों ने सब्जी की बड़ी-बड़ी दुकानें खोल ली हैं, जिससे पूरे घर का खर्चा चलता है.
उन्होंने बताया कि वो भी चाहते तो कमाने मुम्बई, दिल्ली चले जाते लेकिन वहां जाने का मोह छोड़कर अपनी पुश्तैनी झोपड़ी में रहना ही बेहतर समझा. सालों की कड़ी मेहनत से हासिल की गई इस सफलता के कारण आज राम प्रताप अपने गांव के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बन गए हैं. इसके साथ ही वे अब दूसरे किसानों को भी फसल उगाने के लिए सही सलाह देते हैं.
18 साल की उम्र से की खेती की शुरुआत
राम प्रताप मौर्य किसान परिवार से आते हैं. उन्होंने बताया कि उनका बचपन माता-पिता के साथ खेतों में बीता, बेमौसम बारिश से फसल खराब होना हो या कोई भी चुनौती हो उनके पिता ने कभी हार मानकर खेती करना बंद नहीं किया. वे बताते हैं कि एक समय ऐसा भी आया जब घर में खाने के लिए राशन नहीं था, तब भी उनके पिता ने हार नहीं मानी और परिवार का भरण-पोषण किया. अपने पिती की इसी हिम्मत और संघर्ष को देखकर उन्होंने भी अपने पिता के साथ खेती किसानी करने का फैसला किया.
उन्होंने बताया कि वो दो जोड़ी बैलों से खेती करते थे और भैंस की दूध को बेचते थे, जिससे पूरे परिवार का खर्चा निकल आता था. उस समय धान की रोपाई करने का खर्च बहुत अधिक था इसलिए धान की खेती कम करते थे और सब्जी की खेती ज्यादा करते थे. सब्जी की खेती में लागत का कई गुना मुनाफा होता था, जिससे उन्होंने एक बैल गाड़ी खरीदी और उसी पर सामान रख कर लाते और ले जाते थे.
सब्जी की खेती बनी आय का साधन
राम प्रताप मौर्य बताते हैं कि जब वो 20 वर्ष के हो गए, तब उन्होंने बाढ़ वाली बात को ध्यान में रखकर सबसे पहले 10 कटहल, 20 आम, 30 सागौन, 10 नींबू और 10 अमरूद के पेड़ लगाए. कुछ साल बाद नींबू, कटहल और अमरूद के पेड़ तैयार हो गए, जिससे मिलने वाले फल को वो बाजार में बेचकर कमाई करते थे, जो एक अच्छा आय का साधन बन गया था. सब्जी की खेती लगातार चलती रहती थी जिससे आय भी अच्छी होने लगी. उन्होंने बताया कि खेती में बहुत मेहनत थी और साथ ही चुनौतियां भी लेकिन वो कभी पीछे नहीं हटे, बल्कि पैदावार बढ़ाने के लिए देशी खाद का ज्यादा इस्तेमाल किया. राम प्रताप बताते हैं कि साल 1998 में उन्होंने दो बीघा टमाटर की खेती की, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हुआ. संसाधन की इतनी कमी थी लेकिन फिर भी उन्होंने संसाधन को मजबूरी नहीं बनने दिया और कड़ी मेहनत करके फसलों को उगाते रहे.
सालाना होती है 6 लाख से ज्यादा की कमाई
राम प्रताप मौर्य बताते हैं कि उनके पास वर्तमान में उनके पास दो भैंस, दो गाय, दो पक्के मकान, दो सब्जी की बड़ी-बड़ी दुकानें, कई मोटर साइकिल मौजूद हैं. साथ ही खेती और सब्जी की दुकान से लगभग एक साल के अंदर 5 से 6 लाख रूपये आते हैं. वे बताते हैं किएक समय था कि बाजार पैदल आना जाना पड़ता था, लेकिन आज खेती के बल पर घर पर तीन-तीन मोटर साइकिल मौजूद हैं, जिसे उनके बेटे इस्तेमाल करते हैं. आज कटहल, आम, सागौन के पेड़ की कीमत भी लगभग 6 लाख रुपये है. नींबू तो पूरे साल पेड़ मे लगे रहते हैं जिसे तोड़कर वो पूरे मोहल्ले मे बांटते हैं.

बस्ती के किसान राम प्रताप मौर्य
किसानों के लिए बने प्रेरणा
राम प्रताप मौर्य की मेहनत और सफलता आज गांव के अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है. गांव में उन्हें प्रगतिशील किसान की पहचान मिली है. राम प्रताप मौर्य सभी लोगो को संदेश देते हुए कहते हैं कि किसान मिट्टी को सोना बनाता है. खेती-किसानी केवल जीविका का साधन नहीं है. ये आत्मनिर्भरता और सम्मान का आधार भी है. खून,पसीने की कमाई में जो ताकत है वो किसी भी चीज में नहीं है. खेती करने के लिए बस धैर्य की आवश्यकता होती है. लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं.