गेहूं में तेजी से फैल रहा ‘गिल्ली डंडा खरपतवार’.. नियंत्रण के लिए इन दवाओं का करें छिड़काव, छा जाएगी हरियाली

अगर किसान चाहें, तो सल्फोसल्फ्यूरान दवा का भी प्रयोग कर सकते हैं. यह व्यापक प्रभाव वाला खरपतवारनाशक  है, जो गिल्ली डंडा के साथ-साथ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को भी खत्म करता है.

नोएडा | Published: 28 Dec, 2025 | 03:56 PM

Weed Controller: उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और बिहार सहित लगभग पूरे देश में गेहूं की बुवाई पूरी हो गई है. अब किसान फसल की सिंचाई की तैयारी कर रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही गेहूं की फसल में हानिकारक खरपतवार फैलने लगा है. इससे किसानों में भय का माहौल बन गया है. किसानों को डर है कि अगर समय पर इलाज नहीं किया गया, तो पैदावार पर असर पड़ सकता है. इससे उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है. लेकिन किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम कुछ ऐसी दवाओं के बारे में बात करने जा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल करने से फसल में ‘गिल्ली डंडा खरपतवार’ को फैलने से रोका जा सकता है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि ‘गिल्ली डंडा खरपतवार’ का समय पर नियंत्रण बहुत जरूरी है. सही दवा और सही समय पर छिड़काव  करके किसान इस खरपतवार से फसल को प्रभावी तरीके से बचाव कर सकते हैं. विशेषज्ञों के मुताबिक, किसान गिल्ली डंडा को नियंत्रित करने के लिए क्लोडिनाफॉप प्रोपार्गिल का इस्तेमाल कर सकते हैं. यह असरदार खरपतवारनाशक है. यह बाजार में 15 फीसदी WP रूप में मिलता है. इसकी 160 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ पर्याप्त होती है. यह दवा पत्तियों के जरिए खरपतवार में जाकर जड़ों को सुखा देती है, जिससे वह दोबारा नहीं उगता.

इस मात्रा में करें दवा का छिड़काव

अगर किसान चाहें, तो सल्फोसल्फ्यूरान दवा का भी प्रयोग कर सकते हैं. यह व्यापक प्रभाव वाला खरपतवारनाशक  है, जो गिल्ली डंडा के साथ-साथ चौड़ी पत्ती वाले खरपतवारों को भी खत्म करता है. इसकी 13.5 ग्राम मात्रा को 200 लीटर पानी में घोलकर प्रति एकड़ छिड़काव किया जाता है. इसका प्रयोग बुवाई के 25- 30 दिन बाद, पहली सिंचाई के समय करना सबसे प्रभावी रहता है.

पिनोक्साडेन भी बेहतर खरपतवारनाशक

इसी तरह पिनोक्साडेन भी एक कारगर खरपतवारनाशक है, जो प्रतिरोधी गिल्ली डंडा पर भी असरदार है. यह ‘एक्सियल’ जैसे ब्रांड नाम से मिलता है. इसकी 400 मिलीलीटर मात्रा प्रति एकड़ इस्तेमाल की जाती है. यह गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचाए बिना खरपतवार की बढ़वार को तुरंत रोक देता है. साथ ही किसान मेट्रिब्यूजिन का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा देने पर गेहूं की फसल  पीली पड़ सकती है. यह गिल्ली डंडा को जड़ से खत्म करने में काफी प्रभावी दवा है. भारी मिट्टी वाले खेतों में इसकी 100- 120 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ उपयुक्त मानी जाती है. बेहतर नतीजों के लिए इसे अक्सर अन्य खरपतवारनाशकों के साथ मिलाकर प्रयोग किया जाता है.

छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी

किसानों को सलाह है कि एक ही रसायन का बार-बार इस्तेमाल न करें, क्योंकि इससे खरपतवार में प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है. छिड़काव के समय खेत में पर्याप्त नमी होना जरूरी है. हमेशा साफ पानी का उपयोग करें और दवा की सही मात्रा ही डालें, ताकि गेहूं की फसल पर कोई नकारात्मक असर न पड़े.

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