मक्का फसल पर फॉल आर्मी कीट का हमला, कृषि अधिकारी ने दवा और ये उपाय बताए

जिले के कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि जिले में मक्का की फसल को फॉल आर्मी कीट बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिसके रोकथाम के लिए विभाग ने किसानों से सावधानी बरतने की अपील की है

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 28 Jun, 2025 | 11:55 AM

देश में मॉनसून की एंट्री के साथ ही किसानों ने खरीफ फसलों की बुवाई शुरू कर दी है. खरीफ फसलों की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित होती हैं. इस सीजन में किसान धान की खेती के अलावा मक्के की खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. लेकिन बारिश के मौसम में मक्के की फसल पर फॉल आर्मी कीट के आक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.

हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले में करीब 28 हजार हेक्टेयर जमीन पर किसान मक्के की बिजाई कर चुके हैं. जिले के कृषि विभाग के उप निदेशक डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि जिले में मक्का की फसल को फॉल आर्मी कीट बड़ी संख्या में नुकसान पहुंचा रहे हैं. जिसके रोकथाम के लिए विभाग ने किसानों से सावधानी बरतने की अपील की है.

फसल निरीक्षण के लिए बनाई गई टीम

हमीरपुर जिले में मक्का की फसल को फॉल आर्मी कीट के संक्रमण से बचाने और फसल की निगरानी के लिए एक टीम बनाई गई है. इस टीम में कृषि विज्ञान केंद्र के कीट विज्ञान विषय वाद विशेषज्ञ, जिला कृषि अधिकारी, कृषि विकास अधिकारी, आतमा परियोजना के उप परियोजना निदेशक और ब्लॉक स्तर पर विषय वाद विशेषज्ञ को शामिल किया गया है. टीम में मौजूद ये सभी अधिकारी नियमित रूप से मक्का की फसल की निगरानी करेंगे. साथ ही किसानों को इस कीट की पहचान, लक्षण और फसलों की सुरक्षा के उपाय बताएंगे.

कृषि विभाग के उपनिदेशक डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि 15 दिन के विकसित कृषि संकल्प अभियान के दौरान किसानों को ट्रेनिंग कैप्स में फॉल आर्मी कीट के संक्रमण और लक्षणों के बारे में जागरूक किया गया था.

क्या है फॉल आर्मी कीट

समाचार एजेसी प्रसार भारती के अनुसार डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया कि फॉल आर्मी कीट की सुंडी अवस्था मक्के की फसल की पत्तियों और तने को नुकसान पहुंचाकर फसल को नष्ट कर देती है. शुरुआत में यह कीट पत्तों पर सूई जैसे छोटे-छोटे छेद करता है, जो बाद में बड़े सुराखों में बदल जाते हैं. ऐसा होने पर तने खोखले हो जाते हैं और पौधे सूखकर मर जाते हैं.

ऐसे करें बचाव

इसके बचाव के लिए विभाग के उप निदेशक डॉ. शशिपाल अत्री ने बताया  कि फसल की सुरक्षा के लिए देख लें अगर कीट का प्रभाव 10 फीसदी से कम हो तो फसल पर 5 मिलीलीटर नीम आधारित कीटनाशक को प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इसके अलावा संक्रमित हिस्सों को अलग कर गड्ढे में दबाकर नष्ट कर दें. अगर नुकसान 10 फीसदी से ज्यादा हो तो .4 ग्राम एमामैक्टिन बेंजोएट 5 एसजी प्रति लीटर पानी, 0.4 मिलिलीटर स्पाइनेतोरम 11.7 एससी प्रति लीटर पानी, 0.4 मिलिलीटर क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी (कोराजन) प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. उन्होने बताया कि विभाग के सभी खंडों में क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 एससी (कोराजन) कीटनाशक उपलब्ध करा दिया गया है.

किसानों को विशेष सलाह

कीटनाशकों के इस्तेमाल को लेकर विभाग की ओर से किसानों को जानाकरी दी गई है कि मक्के की फसल में फूल लगने के समय से लेकर फसल कटाई तक किसी भी कीटनाशक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. किसानों को सलाह दी गई है कि वे नियमित रूप से अपनी फसल का निरीक्षण करें और जरूरत के अनुसार समय पर कीटनाशकों का छिड़काव करें.

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Published: 28 Jun, 2025 | 11:55 AM

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