लौकी की इस किस्म से मिलेगी 450 क्विंटल तक पैदावार, बारिश में उगाने के लिए है बेस्ट

लौकी पीएसपीएल (PSPL) की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. ये एक ज्यादा उत्पादन देने वाली फसल है. जो कि जल्दी पक जाती है. इस किस्म की खासियत ये है कि इसे गर्मी और बारिश, दोनों ही सीजनों में उगाया जा सकता है.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Published: 27 Jun, 2025 | 06:20 PM

लौकी (Bottle Gourd) की खेती गर्मी और बारिश दोनों ही मौसमों में की जाती है. बाजार में लौकी की मांग हर समय बनी रहती है. इसके चलते देश में लौकी की खेती बड़े पैमाने पर होती है. लौकी की खेती से किसानों को भी काफी फायदा होता है.लेकिन इसके लिए जरूरी है कि किसान लौकी की सही किस्मों का चुनाव करें. लौकी की ऐसी ही एक किस्म है लौकी पीएसपीएल (PSPL). सरकार भी किसानों के इसके बीज सस्तें दामों में उपलब्ध करा रही हैं.

यहां से सस्ते में खरीदें बीज

किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) ऑनलाइन बीज उपलब्ध कराता है जिसका दाम खुले बाजार के दाम से कम होता है. बता दें कि लौकी की इस किस्म के बीज के 15 ग्राम का पैकेट राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन केवल 22 रुपये में उपलब्ध करा रही है. किसान चाहें तो एनएससी की वेबसाइट www.mystore.in पर जाकर इन बीजों को आसानी से घर बैठे मंगवा सकते हैं. इन बीजों को मंगवाने के लिए किसान दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं.

National Seed Corporation

लौकी की किस्म PSPL के बीज

450 क्विंटल तक हेती है पैदावार

लौकी पीएसपीएल (PSPL) की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. ये एक ज्यादा उत्पादन देने वाली फसल है. जो कि जल्दी पक जाती है. बात करें इससे मिलने वाली पैदावार की तो किसान इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से 400 से 425 क्विंटल तक पैदावार कर सकते हैं. इस किस्म की लौकी लंबाई में 40 से 50 सेमी होती है. इस किस्म की खासियत ये है कि इसे गर्मी और बारिश, दोनों ही सीजनों में उगाया जा सकता है.

ऐसे करें लौकी की खेती

लौकी की खेती के लिए अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट या चिकनी दोमट मिट्टी सही मानी जाती है जिसका pH मान 6 से 7.5 के बीच हो. इसकी खेती के लिए 18 डिग्री से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान में बेहतर तरीके से होती है. बीजों की बुवाई से पहले उन्हें 8 से 12 घंटे पानी में भिगोकर उनका उपचार कर लें. खेतों में लौकी के बीजों को 1.5 से 2.5 मीचर की दूरी पर बोएं. बुवाई से पहले खेत की अच्छे से 2 से 3 बार गहरी जुताई कर लें ताकि खरपतवारों को नष्ट किया जा सके.

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