भोपाल में पराली जलाने पर तीन महीने का प्रतिबंध, उल्लंघन करने पर होगी एफआईआर

यह फैसला भोपाल और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण और खेतों की उर्वरता को बचाने के उद्देश्य से लिया गया है.

Kisan India
Noida | Published: 8 Mar, 2025 | 01:11 PM

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में पराली जलाने पर प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है. जिला प्रशासन ने अगले तीन महीनों के लिए पराली जलाने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इस संबंध में एडीएम सिद्धार्थ जैन ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि अगर कोई किसान पराली जलाते हुए पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी और एफआईआर दर्ज होगी. यह प्रतिबंध 5 मई 2025 तक लागू रहेगा.

यह फैसला भोपाल और उसके आसपास के इलाकों में बढ़ते वायु प्रदूषण और खेतों की उर्वरता को बचाने के उद्देश्य से लिया गया है. प्रशासन का कहना है कि पराली जलाने से निकलने वाला धुआं न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि इससे नागरिकों को भी सांस लेने में दिक्कत होती है. यही कारण है कि इससे पहले भी जिले में तीन महीने पहले कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा पराली जलाने पर रोक लगाई गई थी. अब एक बार फिर नए आदेश के तहत यह प्रतिबंध बढ़ाया गया है.

पराली जलाने पर रोक क्यों जरूरी?

भोपाल में हर साल फसल कटाई के बाद बड़ी मात्रा में किसान खेतों में पराली जलाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ता है. प्रशासन का कहना है कि इससे खेतों की उर्वरता कम होती है और मिट्टी की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा, कई बार पराली से लगी आग रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाती है, जिससे आगजनी की घटनाओं में इजाफा होता है.

आदेश में स्पष्ट किया गया है कि अगर खेत में पड़ी पराली को जलाया जाता है तो इससे वहां की प्राकृतिक ऊर्जा नष्ट होती है. खेत में बचे डंठल और भूसे के सड़ने से मिट्टी उपजाऊ होती है, लेकिन जलाने से यह लाभ खत्म हो जाता है. साथ ही, हानिकारक गैसों का उत्सर्जन होता है, जिससे पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

किसानों के लिए विकल्प और समाधान

पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए प्रशासन ने किसानों को रोटावेटर और अन्य कृषि यंत्रों के उपयोग की सलाह दी है. जिले में अब ऐसी तकनीकें उपलब्ध हैं, जिनकी मदद से खेतों में बचे अवशेषों को जलाने की बजाय प्राकृतिक रूप से नष्ट किया जा सकता है. इससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और खेत को बिना किसी नुकसान के अगली फसल के लिए तैयार किया जा सकेगा.

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