भारत मौसम विभाग (IMD) ने सितंबर महीने में सामान्य से ज्यादा बारिश होने का अनुमान जताया है. अगस्त के आखिरी पखवाड़े में हुई भारी बरसात ने पहले ही कई राज्यों की फसलों को नुकसान पहुंचाया है. अब सितंबर की बारिश से किसानों को और नुकसान का डर सता रहा है.
अगस्त की बारिश बनी आफत
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, अगस्त के महीने में औसत से कहीं ज्यादा बारिश हुई. मौसम विभाग के मुताबिक, अगस्त के दूसरे हिस्से में देश में 33 फीसदी अधिक वर्षा दर्ज की गई.
- पंजाब में 202 फीसदी ज्यादा बारिश
- राजस्थान में 123 फीसदी ज्यादा
- महाराष्ट्र में 94 फीसदी ज्यादा
- कर्नाटक में 51 फीसदी ज्यादा
इन राज्यों में कई जगह खेतों में पानी भर गया और खड़ी फसलें पूरी तरह डूब गईं. दलहन (मूंग, उड़द, अरहर), बाजरा, ज्वार, मक्का, कपास और सोयाबीन जैसी प्रमुख खरीफ फसलों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. पंजाब और हरियाणा में धान की फसल, जबकि महाराष्ट्र और कर्नाटक में दालों और सोयाबीन पर सीधा असर पड़ा.
किसानों पर डबल मार
पहले ही कई जगह बेमौसम बारिश और बाढ़ से किसान परेशान थे. इस बार लगातार और ज्यादा बारिश ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया है.
- पंजाब में करीब 2.5 लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई.
- महाराष्ट्र में 8 लाख हेक्टेयर खेतों में खड़ी फसल खराब हो गई.
- राजस्थान और कर्नाटक में लाखों हेक्टेयर जमीन में पानी भर गया, जिससे पैदावार आधी होने की आशंका है.
किसान नेताओं का कहना है कि यह नुकसान सिर्फ इस सीजन तक सीमित नहीं रहेगा. मिट्टी की उर्वरता और खेतों की संरचना पर भी असर पड़ेगा.
सितंबर में भी जारी रहेगा खतरा
आईएमडी ने कहा है कि सितंबर में बारिश “सामान्य से ऊपर” रहने की संभावना है. इसका असर खासकर छत्तीसगढ़, हरियाणा, राजस्थान, पंजाब और उत्तराखंड की फसलों पर पड़ सकता है. जिन इलाकों में पहले से पानी खड़ा है, वहां और बरसात से फसलें पूरी तरह खत्म हो सकती हैं.
राजस्थान में अनुमान है कि 10 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि प्रभावित होगी. जिन किसानों की फसल बच भी गई है, उनकी उपज 30 फीसदी तक घट सकती है.
बाढ़ और भूस्खलन की समस्या
बरसात ने सिर्फ फसल ही नहीं, बल्कि जनजीवन भी प्रभावित किया है. उत्तराखंड और हिमाचल जैसे पहाड़ी राज्यों में भूस्खलन और अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. नदियों का जलस्तर बढ़ने से गांव-गांव तक पानी घुस गया है.
किसानों की गुहार
किसानों का कहना है कि वे लगातार घाटे में जा रहे हैं. महंगाई बढ़ने से खेती की लागत पहले ही ज्यादा हो गई थी और अब फसलों का नुकसान उनकी मुश्किलें दोगुनी कर रहा है. किसान संगठनों ने सरकार से तुरंत मुआवजा और राहत पैकेज की मांग की है.
कुल मिलाकर, अगस्त की बरसात ने किसानों को गहरी चोट दी है और अब सितंबर की बारिश उनकी चिंता और बढ़ा रही है. अगर हालात ऐसे ही रहे तो इस बार खरीफ सीजन की पैदावार और देश की खाद्य आपूर्ति दोनों प्रभावित हो सकती हैं.