पड़ोसी पाकिस्तान जमकर जला रहा है पराली, भारत की हवा हो सकती है और भी जहरीली

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस समस्या पर दोनों देशों में साथ मिलकर प्रयास नहीं किए, तो आने वाले सर्दियों में वायु प्रदूषण और भी गंभीर हो सकता है. सरकार को किसानों को भी पराली न जलाने और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 23 Oct, 2025 | 09:23 AM

Stubble Burning: देश और पड़ोसी पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं ने इस क्षेत्र की हवा की गुणवत्ता को और खराब कर दिया है. विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण केवल भारतीय पंजाब के कारण नहीं है, बल्कि पाकिस्तान के पंजाब में भी यह समस्या बढ़ रही है. मौसम और मानव गतिविधियों के मिलाजुला असर सर्दियों के महीनों में इस समस्या को और गंभीर बना देता है.

पाकिस्तान के पंजाब में बढ़ी पराली जलाने की घटनाएं

सैटेलाइट डेटा के अनुसार, 9 अक्टूबर से 18 अक्टूबर के बीच पाकिस्तान के पंजाब में 2,009 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि भारतीय पंजाब में केवल 189 मामले सामने आए. पाकिस्तान के प्रमुख हॉटस्पॉट ओकारा, कसूर और पाकपत्थन हैं, जिनमें ओकारा अकेले लगभग 35 फीसदी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है. यहां से उठने वाला धुआं उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की दिशा में हवा के माध्यम से भारत के दक्षिण-पूर्वी हिस्सों तक पहुंचता है, जिससे हवा की गुणवत्ता और खराब होती है.

भारतीय पंजाब में स्थिति

हालांकि भारतीय पंजाब में पराली जलाने के मामले घटे हैं, लेकिन हवा की गुणवत्ता में सुधार उतना स्पष्ट नहीं है. 15 सितंबर से 18 अक्टूबर के बीच राज्य में कुल 241 पराली जलाने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. सबसे ज्यादा मामले तरनतारन (88) और अमृतसर (80) में सामने आए. मंडी गोबिंदगढ़ का एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 231 रहा, जबकि जालंधर में 148, लुधियाना में 116 और पटियाला में 101 दर्ज किया गया.

सरकार ने सख्त कदम उठाने का निर्णय लिया है. उन किसानों के खिलाफ जिन्होंने पराली जलाई, सरकारी योजनाओं के लाभ जैसे पेंशन और यहां तक कि हथियार लाइसेंस तक रद्द किए जा रहे हैं. पुलिस ने इस संबंध में 119 एफआईआर दर्ज की हैं और राजस्व विभाग ने 81 “रेड एंट्री” के तहत रिकॉर्ड में नोट किया है. पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने कुल 5.15 लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसमें से 3.65 लाख रुपये वसूल किए जा चुके हैं.

वायु प्रदूषण पर विशेषज्ञों की राय

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, PGIMER चंडीगढ़ के पर्यावरण स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. रवींद्र खैवाल का कहना है कि वायु प्रदूषण राजनीतिक सीमाओं को नहीं मानता. उन्होंने भारत और पाकिस्तान के पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए समन्वित प्रयास की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि सैटेलाइट चित्रों में धुएं की घनी चादर दिख रही है, जो पूरे क्षेत्र में वायु प्रदूषण का संकेत देती है.

जागरूकता और बचाव उपाय

सरकार ने लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न प्रयास किए हैं. आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को तैनात किया गया है और गुरुद्वारों सहित धार्मिक स्थलों पर घोषणाएं की जा रही हैं. छात्रों को भी शिक्षित किया जा रहा है ताकि वे अपने परिवारों को पराली जलाने से रोक सकें.

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस समस्या पर दोनों देशों में समन्वित प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले सर्दियों में वायु प्रदूषण और भी गंभीर हो सकता है. किसानों को भी पराली न जलाने और प्रदूषण नियंत्रण उपायों का पालन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है.

इस तरह, पाकिस्तान और भारत के पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं ने पूरे क्षेत्र में वायु की गुणवत्ता को प्रभावित किया है और इसे सुधारने के लिए सामूहिक और अंतरराष्ट्रीय प्रयासों की आवश्यकता है.

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