पंजाब सरकार पराली जलाने की घटनाओं पर ब्रेक लगाने के लिए किसानों को जागरूक और प्रोत्साहित कर रही है. खास कर पराली प्रबंधन के लिए वह किसानों को सब्सिडी पर मशीनें उपलब्ध करवा रही है. सरकार को इन कोशिशों से काफी हद तक सफलता भी मिली है. पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से गिरावट आई है. इसी कड़ी में जालंधर जिले में फसल अवशेष यानी पराली के सही प्रबंधन और कृषि में मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए एक बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में किसानों और कस्टम हायरिंग सेंटर्स को सब्सिडी पर कृषि मशीनरी देने के लिए लकी ड्रॉ निकाला गया.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, उपायुक्त डॉ. हिमांशु अग्रवाल की अध्यक्षता में जिला स्तरीय कार्यकारी समिति की बैठक में यह लकी ड्रॉ निकाला गया. उपायुक्त ने कहा कि फसल अवशेष प्रबंधन (CRM) योजना 2025-26 के तहत कृषि विभाग ने 22 अप्रैल से 12 मई तक पोर्टल agrimachinerypb.com पर ऑनलाइन आवेदन प्राप्त किए. इन आवेदनों के जरिए किसानों को पराली प्रबंधन के लिए जरूरी मशीनें सब्सिडी पर दी जाएंगी.
57 मशीनों की खरीद की मिली अनुमित
डॉ. अग्रवाल ने कहा कि कि उपलब्ध फंड और तय लक्ष्य के आधार पर किसानों से मिली ऑनलाइन आवेदनों पर लकी ड्रॉ किया गया. इसके तहत 154 अलग-अलग मशीनों की खरीद के लिए किसानों को अनुमति दी गई, साथ ही 38 कस्टम हायरिंग ग्रुप्स को भी मंजूरी मिली. इसके अलावा, कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (SMAM) योजना के तहत आए आवेदनों का भी ड्रॉ निकाला गया. इसमें 57 मशीनों की खरीद के लिए किसानों को और 12 कस्टम हायरिंग सेंटर्स को अनुमति दी गई.
पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट
पिछले हफ्ते ही एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में गिरावट आई है. इस साल 1 अप्रैल से 30 मई के बीच गेहूं की कटाई के दौरान पंजाब में कुल 10,193 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं, जो पिछले साल के मुकाबले 15 फीसदी कम हैं. खास बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में यह आंकड़ा लगातार घट रहा है. पंजाब में साल 2022 में 14,511, 2023 में 11,355 और 2024 में 11,904 पराली जलाने के मामले दर्ज हुए थे. सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में अमृतसर सबसे आगे रहा, जहां 1,102 घटनाएं दर्ज की गईं. इसके बाद मोगा में 863 और गुरदासपुर में 856 मामले सामने आए.