गेहूं की खरीद खत्म हो चुकी है, लेकिन फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (FCI) के लिए अब सबसे व्यस्त समय है. केंद्रीय खाद्य खरीद एजेंसी न केवल पिछले साल जैसी स्थिति से बचने के लिए चावल की मिलिंग और रिसीविंग में जुटी है, बल्कि पंजाब के गोदामों से अन्य राज्यों में चावल भेजने का काम भी तेजी से कर रही है, ताकि आने वाली खरीफ फसल के लिए जगह बनाई जा सके. मई महीने में पंजाब से 10 लाख मीट्रिक टन चावल अन्य राज्यों में भेजा गया.
द ट्रिब्यून के अनुसार, जून में 14 लाख मीट्रिक टन चावल और भेजा जाएगा. एफसीआई पंजाब रीजन के जनरल मैनेजर बी. श्रीनिवासन ने कहा कि हम इस बात पर काम कर रहे हैं कि दिसंबर से आने वाले नए चावल की स्टॉकिंग के लिए पर्याप्त जगह बनाई जा सके. तब तक हर महीने औसतन 8 से 10 लाख मीट्रिक टन चावल अन्य राज्यों को भेजा जाएगा.
96 लाख टन चावल का उत्पादन
केंद्र सरकार की खाद्य एजेंसी अब तक 2024 में खरीदे गए धान से तैयार 96 लाख मीट्रिक टन (LMT) चावल प्राप्त कर चुकी है, जो लक्ष्य का 82 फीसदी है. एफसीआई पंजाब रीजन के जीएम बी. श्रीनिवासन ने कहा कि जुलाई के अंत तक सभी मिलर्स से चावल मिल जाएगा. इससे मिलर्स को आने वाले सीजन के लिए धान लेने में कोई दिक्कत नहीं होगी. पिछले साल बड़ी समस्या यह थी कि गोदाम पहले से भरे हुए थे और चावल रखने की जगह नहीं थी. इस वजह से अक्टूबर में राइस मिलर्स ने नया धान लेने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उनके पास पहले से मौजूद चावल की उठान नहीं हुई थी और स्टोरेज की जगह नहीं बची थी.
सिर्फ 7 लाख टन चावल रखने की जगह
इस समय पंजाब के गोदामों में सिर्फ 7 लाख मीट्रिक टन (LMT) अनाज रखने की खाली जगह बची है. जहां एक तरफ इस साल 96 लाख मीट्रिक टन चावल की आपूर्ति हो चुकी है, वहीं 60 लाख मीट्रिक टन पुराना चावल भी अभी गोदामों में भरा हुआ है. इसके अलावा, 100 लाख मीट्रिक टन गेहूं भी कवर्ड और प्लेटफॉर्म स्टोरेज (plinth storage) में रखा गया है.
वैज्ञानिक तरीके से स्टोर किया जाता है
हालांकि, गेहूं को तुरंत शिफ्ट करने की जरूरत नहीं होती, क्योंकि इसे खुले में वैज्ञानिक तरीके से स्टोर किया जाता है. लेकिन चावल गोदामों में रखा जाता है. और अगले साल की फसल का चावल भी इन्हीं गोदामों में स्टोर किया जाना है. इसलिए पुराने चावल को जल्दी से जल्दी बाहर भेजना जरूरी है.