बाढ़ में भूखे नहीं रहेंगे गाय-भैंस.. सरकार ने शुरू किया मुफ्त चारा वितरण, हेल्पलाइन नंबर जारी

बिहार सरकार आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के लिए चारा वितरण कर रही है. बड़े जानवरों को 70 रुपये और छोटे जानवरों को 35 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से चारा दिया जा रहा है, जिससे पशुओं की जान बचाई जा सके.

Kisan India
नोएडा | Published: 4 Sep, 2025 | 02:18 PM

बाढ़ या अन्य आपदाओं के समय इंसानों के साथ-साथ पशुओं की जान बचाना भी बड़ी चुनौती होती है. बिहार सरकार ने इस दिशा में एक अहम कदम उठाया है. आपदा प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं को जिंदा रखने के लिए जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग की ओर से चारा वितरण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम से किसानों और पशुपालकों को काफी राहत मिल रही है.

क्यों जरूरी है चारा वितरण?

बाढ़ जैसी आपदाओं में फसलें डूब जाती हैं और खेतों में हरियाली खत्म हो जाती है. ऐसे समय में पशुओं के लिए चारा जुटाना किसानों के लिए मुश्किल हो जाता है. अगर समय पर चारा न मिले तो पशुओं की जान पर बन आती है. इसी को देखते हुए सरकार ने चारा वितरण की व्यवस्था की है, ताकि प्रभावित इलाकों में किसी पशु की मौत भूख से न हो.

कितनी मात्रा में मिलता है चारा?

सरकार ने बड़े और छोटे जानवरों के हिसाब से चारे की मात्रा तय की है.

  • बड़े जानवरों (जैसे गाय-भैंस) के लिए रोजाना 6 किलो चारा और 70 रुपये की मदद.
  • छोटे जानवरों (जैसे बकरी-भेड़) के लिए रोजाना 3 किलो चारा और 35 रुपये की मदद.
  • भेड़-बकरियों के लिए 1 किलो चारा प्रति दिन की व्यवस्था.

यह चारा शिविरों और अस्थायी शिविरों में एक बार में 3 दिन से लेकर 1 हफ्ते तक के लिए दिया जाता है. स्थिति के अनुसार दुबारा वितरण किया जाता है.

कैसे होता है वितरण?

चारा वितरण पूरी तरह से जिला प्रशासन और पशुपालन विभाग की निगरानी में होता है.

  • सबसे पहले प्रभावित पशुओं  की संख्या और प्रकार की गणना की जाती है.
  • इसके बाद हर पशुपालक को टोकन दिया जाता है.
  • उसी टोकन के आधार पर तय क्रम से चारा वितरित किया जाता है.

यह व्यवस्था इसलिए की जाती है ताकि किसी को कम या ज्यादा चारा न मिले और सबको बराबर का हिस्सा मिल सके.

शिविरों में कैसी है व्यवस्था?

आपदा प्रभावित इलाकों में पशुओं के लिए अस्थायी शिविर बनाए जाते हैं. इन शिविरों में पशुओं को सुरक्षित रखने के साथ-साथ उनके लिए चारे और पानी का इंतजाम भी किया जाता है. शिविरों में तीन दिन या एक हफ्ते का चारा एक साथ दिया जाता है. अगर बाढ़ लंबी खिंच जाए, तो फिर से नया वितरण किया जाता है. शिविरों में डॉक्टर भी मौजूद रहते हैं ताकि जरूरत पड़ने पर बीमार पशुओं का इलाज हो सके.

मदद और जानकारी कहां मिलेगी?

अगर किसी पशुपालक को चारा वितरण कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी चाहिए तो वे सीधा विभाग से संपर्क कर सकते हैं.

  • पशुपालन निदेशालय, पटना स्थित आपदा कोषांग (0612-2230942)
  • पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, पटना (0612-2226049)
  • इन नंबरों पर कॉल करके विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

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