Madhya Pradesh News: कृषि क्षेत्र के विस्तार करने में मध्य प्रदेश हमेशा सबसे आगे रहता है. यहां प्रदेश सरकार की कोशिश रहती है कि किसानों को खेती करने में किसी भी तरह की कोई समस्या न हो. इसी कड़ी में अब प्रदेश सरकार नें परंपरागत खेती से पर्याप्त लाभ न कमा पाने वाले किसानों के लिए वाटरशेड विकास घटक के तहत प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 के तहत किसानों को उम्मीद की एक नई किरण दी है. बता दें कि, इस योजना के तहत प्रदेश के 14 जिलों के 3000 किसान अब कलस्टर आधारित सब्जी उत्पादन से जुड़कर ₹40 से 50 हजार तक की कमाई कर रहे हैं. सरकार की ये पहल न केवल किसानों को आर्थिक तौर पर सशक्त बना रही हैं बल्कि ग्रामीणों की रोजी-रोटी को भी नई दिशा दे रही हैं.
टमाटर और मिर्च की खेती से अच्छी कमाई
मध्य प्रदेश के रतलाम जिले केनौगांवाकला गांव के किसान तेजपाल पहले केवल घर की जरूरत भर की सब्जी उगाते थे. लेकिन अब सरकार की प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2.0 की मदद से आधा एकड़ जमीन पर व्यावसायिक तरीके से टमाटर और मिर्च की खेती कर रहे हैं. किसान तेजपाल बताते हैं कि अब उन्हें खेती से अच्छा फायदा मिलता है. बता दें कि, स योजना ने पहली बार जल संरक्षण को आजीविका से जोड़कर किसानों को क्लस्टर आधारित सब्जी उत्पादन की ओर प्रेरित किया है.
योजना से 9 हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य
मध्य प्रदेश के 14 जिलों में आज के समय में सरकार की इस योजना से करीब 3 हजार से ज्यादा किसान जुड़ चुके हैं जो कि इस योजना के माध्यम से सब्जियों की व्यावसायिक खेती कर रहे हैं. इस तरह ये किसान खेती से 40 से 50 हजार रुपये की एक्सट्रा आमदनी कर रहे हैं. बता दें कि, योजना की सफलता को देखते हुए सरकार ने फैसला किया है कि रबी सीजन में प्रदेश के 36 जिलों में इस योजना का विस्तार किया जाएगा. साथ ही योजने से 9 हजार किसानों को जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है. वर्तमान में धार, रतलाम, खरगोन, बड़वानी, सागर, गुना, इंदौर, श्योपुर सहित 14 जिलों में इस योजना को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है.
किसानों को मिल रही 30 हजार की सब्सिडी
मध्य प्रदेश सरकार योजना से जुड़े हर एक किसान को 30 हजार रुपये की सब्सिडी भी दे रही है, ताकि किसान सब्सिडी की इस राशि से खेतों के लिए खाद, दवाइयों और अन्य संसाधनों को खरीद सकें. इतना ही नहीं सरकार 50 से 60 किसानों के बीच गांव में ही शेड नेट नर्सरी तैयार कर रही है, ताकि अन्य किसानों को समय पर उन्नत किस्म के पौधे उपलब्ध कराए जा सकें. बता दें कि. इन नर्सरियों को बनाने के लिए सरकार की ओर से 1.30 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जा रही है.