चुनाव आयोग बिहार के बाद तीन केंद्र शासित राज्यों समेत 12 प्रदेशों में एसआईआर (SIR) यानी गहन मतदाता पुनरीक्षण करने जा रहा है. इसकी शुरुआत 4 नवंबर से हो रही है. एसआईआर का ये दूसरा फेज बिहार में हो चुके एसआईआर के मुकाबले कितना अलग होगा? बिहार के बाद इसमें क्या बदलाव हुए हैं? कौन से नए दस्तावेजों को मान्य किया गया है और आम मतदाता या नागरिक के लिए इसमें क्या जरूरी बातें शामिल की गई हैं. इसके साथ ही इसे कराने की क्या जरूरत आन पड़ी है और लोगों की नागरिकता, मतदान के हक को कैसे यह प्रभावित कर सकता है. इसके साथ ही राजनीतिक दलों की एसआईआर के फेज के लिए क्या प्रतिक्रिया है. इन सभी बिंदुओं के बारे में इस वीडियो में बात करेंगे.
तो पहला सवाल है कि एसआईआर आखिर है क्या और इसे क्यों कराया जा रहा है
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि एसआईआर की प्रक्रिया वोटर लिस्ट को अपडेट करना है. इसे हर बूथ स्तर पर किया जाएगा और इस दौरान यह जांचा जाएगा कि कौन से मतदाता अब इस इलाके में नहीं रहते, किनके नाम दो बार जुड़ गए हैं, कौन से मतदाता अब जीवित नहीं हैं और किन नए मतदाताओं को जोड़ा जाना है.
और आसान भाषा में इसे समझें तो यह एक तरह से वोटर लिस्ट की साफ-सफाई और अपडेट की प्रक्रिया है. इसका उद्देश्य यह पक्का करना है कि चुनाव से पहले मतदाता सूची में केवल वैध और सक्रिय मतदाता ही शामिल हों.
कहां हो चुका एसआईआर और उसके नतीजे क्या रहे
बिहार देश का पहला राज्य बना है जहां एसआईआर कराया गया. चुनाव आयोग ने बिहार में 27 जून 2025 से प्रक्रिया शुरू की थी और 1 सितंबर 2025 को अंतिम मतदाता सूची जारी की थी. एसआईआर कराने में करीब ढाई महीने का समय लगा था. एसआईआर के जरिए से बिहार में करीब 9 लाख नए मतदाता जोड़े गए. साथ ही लगभग 2.5 लाख मृत या स्थानांतरित नाम मतदाता सूची से हटाए गए. चुनाव आयोग ने माना कि यह प्रयोग बेहद सफल और पारदर्शी रहा, इसलिए अब इसे अन्य राज्यों में लागू किया जा रहा है.
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अब किन राज्यों में और कब से शुरू हो रहा एसआईआर
चुनाव आयोग ने कहा है कि इस बार एसआईआर 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जा रहा है. यह प्रक्रिया उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गोवा, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में होगी. इन राज्यों में 4 नवंबर से 7 फरवरी 2026 तक यह प्रक्रिया चलेगी और इस दौरान चुनाव कर्मी, बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी जुटाएंगे.
एसआईआर के दूसरे फेज में दस्तावेज से लेकर क्या बदलाव हुए हैं
एसआईआर के दूसरे फेज का सबसे अहम बदलाव समयसीमा है. पहले चरण को जहां करीब ढाई महीने में ही पूरा करा लिया गया था तो इस बार की प्रक्रिया नवंबर 2025 से फरवरी 2026 तक चलेगी यानी करीब 4 महीने से भी अधिक समय में तसल्ली से इस काम को पूरा किया जाएगा.
बिहार में हुए एसआईआर में उन सभी लोगों से सभी दस्तावेज मांगे गए थे जिनके नाम वोटर लिस्ट में साल 2003 के बाद शामिल हुए थे. लेकिन, इस बार फॉर्म में ऐसे कॉलम शामिल किए गए हैं जिसके तहत अगर पिछले मतदाता सूची पुनरीक्षण या अपडेट की प्रक्रिया में पिता का नाम शामिल था तो बेटे का नाम बिना अतिरिक्त दस्तावेजों के मान्य कर लिया जाएगा.
एक बदलाव यह भी किया गया है कि पिछले मतदाता पुनरीक्षण के दौरान दूसरे राज्य में रह रहे पुत्र को दूसरे राज्य में भी अतिरिक्त दस्तावेज नहीं देने होंगे. जबकि, बिहार पुनरीक्षण के दौरान ऐसे लोगों से दस्तावेज मांगे गए थे.
एक अन्य बदलाव के तहत इस बार एन्यूमरेशन फॉर्म यानी मतदाता सूची प्रपत्र के साथ ही वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए फॉर्म 6 को भरकर जमा किया जा सकेगा.
चुनाव आयोग ने एसआईआर के दौरान पहचान और पते की पुष्टि के लिए कई दस्तावेजों को मान्य कर दिया है, जिनमें वोटर आईडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, पेंशन ऑर्डर और यूनिवर्सिटी की डिग्री को भी पहचान के लिए वैलिड किया गया है. इसके अलावा बिजली, पानी और गैस बिल को पते के प्रमाण के रूप में मान्य कर दिया है.
बिहार एसआईआर में आधार कार्ड को लेकर काफी बवाल हुआ था, इसलिए इस बार चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि आधार कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में माना जाएगा, यह नागरिकता का प्रमाण नहीं होगा.
एसआईआर की जरूरत पर चुनाव आयोग, सतापक्ष और विपक्ष का रुख
अब फिर ये सवाल आता है कि पहले भी तो बीएलओ के जरिए पंचायत स्तर पर वोटर लिस्ट अपडेट करने की प्रक्रिया चुनाव आयोग के जरिए कराई जाती थी और नए नाम जोड़े जाते थे और मृत लोगों के नाम काटे जाते थे. तो अब फिर से एसआईआर की जरूरत क्यों पड़ी?
चुनाव आयोग का कहना है कि पिछले कुछ सालों में शहरीकरण, पलायन, मृत्यु और नागरिकता से जुड़ी गड़बड़ियों के कारण वोटर लिस्ट में कई गलत नाम शामिल हो गए हैं. कई मतदाताओं के नाम दो जगह दर्ज हैं, तो कई मृत लोगों के नाम अब तक सूची में बने हुए हैं. इसी को ठीक करने और नए योग्य मतदाताओं को जोड़ने के लिए एसआईआर जरूरी है.
वहीं, सत्तापक्ष के लोगों का कहना है कि पड़ोसी देशों के लोग अनाधिकृत तरीके से भारत में घुस आए हैं और आधार कार्ड बनवाने वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाकर नागरिकता हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. एसआईआर के जरिए ऐसे लोगों पर रोक लगानी है. तो विपक्षी दलों और लोगों का कहना है कि सत्तापक्ष कुछ समुदायों के लोगों के नाम हटाने की कोशिश कर रही है ताकि कथित चुनावी सीटों, इलाकों पर उनके एकजुट वोट को तितर-बितर किया जा सके.
केंद्रीय मंत्री मंत्री गिरिराज सिंह ने एएनआई से बात करते हुए कहा कि हम भारत को धर्मशाला नहीं बनने देंगे. एसआईआर प्रक्रिया बहुत जरूरी है. कुछ राज्य और INDIA गठबंधन सिर्फ मुस्लिम वोट पाने के लिए इसका विरोध कर रहे हैं.
वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कहा कि ‘विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर की आड़ में मौजूदा मतदाताओं के नाम हटाकर और नए नाम जोड़कर चुनाव में वोट चुराने की कोशिश की जा रही है.
अब बारी आती है आपकी कि आपको क्या करना होगा
तो सबसे बड़ी जिम्मेदारी आपकी बनती है कि जब एसआईआर के लिए बीएलओ या चुनाव कर्मचारी आपके घर आएगा तो आप अपने वोट डिटेल्स चेक कराएं और मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराएं. ताकि आपका नाम वोटर लिस्ट में बना रहे. इस काम के लिए बीएलओ घर-घर जाकर करेंगे. आप भी बीएलओ से संपर्क कर सकते हैं.
इसके अलावा चुनाव आयोग की वेबसाइट www.nvsp.in वेबसाइट या Voter Helpline App के जरिए भी अपना नाम और जानकारी चेक कर सकते हैं.
अगर आपका नाम वोटर लिस्ट में नहीं है या गलत लिखा गया है तो फॉर्म 6 भरकर उसे सुधार सकते हैं.
चुनाव आयोग ने मतदाताओं की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 1800111950 जारी किया है. यह रोजाना सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक सक्रिय रहेगा.
वहीं, फोन या ऐप के माध्यम से शिकायत दर्ज करना संभव नहीं होने पर complaints@eci.gov.in पर शिकायत ईमेल कर सकते हैं.
इसके साथ ही जब फाइनल वोटर लिस्ट जारी हो तो अपनी डिटेल्स जरूर चेक करें. ध्यान रहे एसआईआर की प्रक्रिया पूरी तरह मुफ्त और आसान है.