32 लाख से अधिक किसानों को लाभ पहुंचाने वाली फार्म गेट ऐप और ई-मंडी को अवॉर्ड, 8 लाख किसानों ने ऑनलाइन बेची उपज

मध्यप्रदेश की ई-मंडी और एमपी फार्म गेट ऐप ने किसानों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़कर फसल बेचने का आसान तरीका दिया है. 32 लाख से अधिक किसान लाभान्वित हुए हैं. इस नवाचार के लिए स्कॉच अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है, जिससे तकनीक और कृषि का मजबूत गठजोड़ दिखा है.

Saurabh Sharma
नोएडा | Published: 21 Sep, 2025 | 04:16 PM

मध्यप्रदेश के किसानों के लिए डिजिटलीकरण का सपना अब हकीकत बन गया है. खेती-बाड़ी से जुड़े काम अब मोबाइल ऐप के जरिए आसान हो गए हैं. एमपी फार्म गेट ऐप और ई-मंडी योजना ने किसानों को सीधा लाभ पहुंचाते हुए न केवल समय और पैसे की बचत कराई, बल्कि उन्हें अपने दाम पर फसल बेचने का हक भी दिया. इस शानदार पहल को देश के प्रतिष्ठित स्कॉच अवॉर्ड से नवाजा गया है, जो किसानों की तरक्की और तकनीक के मेल का बेहतरीन उदाहरण है.

क्या है ई-मंडी और एमपी फार्म गेट ऐप?

ई-मंडी ऐप एक एंड्रॉयड आधारित मोबाइल एप्लीकेशन है जो किसानों के लिए मंडी की पूरी प्रक्रिया को डिजिटल बनाता है. इसमें किसान के मंडी में प्रवेश से लेकर फसल की तौल, नीलामी, भुगतान और अनुज्ञा तक सभी काम मोबाइल से हो जाते हैं. एमपी फार्म गेट ऐप भी एंड्रॉयड ऐप है, जिससे किसान अपने खेत, घर, खलियान या गोदाम से ही अपनी फसल बेच सकते हैं. इसमें किसान खुद दाम तय करते हैं और बिना किसी बिचौलिए के व्यापारी से सीधे सौदा कर सकते हैं.

मध्यप्रदेश को क्यों मिला स्कॉच अवॉर्ड?

नई दिल्ली के इंडिया हैबिटैट सेंटर में आयोजित समारोह में इन दोनों ऐप्स को देश के सबसे प्रतिष्ठित स्कॉच अवॉर्ड 2025 से सम्मानित किया गया.

  • ई-मंडी ऐप को स्कॉच गोल्ड अवॉर्ड.
  • एमपी फार्म गेट ऐप को स्कॉच सिल्वर अवॉर्ड मिला.

यह पुरस्कार भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और नीति निर्माताओं जैसे पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष प्रो. एस. महेन्द्र देव, वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ. पिंकी आनंद के हाथों प्रदान किया गया.

32 लाख किसानों को सीधे मिला फायदा

ई-मंडी योजना (E-Mandi Scheme) अब मध्यप्रदेश की सभी 259 मंडियों में सक्रिय है. आज 32 लाख से ज्यादा किसान इस डिजिटल सिस्टम से जुड़े हैं और पारदर्शी तरीके से अपनी उपज बेच रहे हैं. इससे मंडियों में पारदर्शिता बढ़ी है, समय की बचत हुई है और किसानों को उनका उचित मूल्य भी मिल रहा है. अब किसानों को लाइन में लगने, बिचौलियों के झंझट या देर से भुगतान की चिंता नहीं करनी पड़ती.

8 लाख किसानों ने बेची फसल घर से ही

एमपी फार्म गेट ऐप ने तो किसानों के जीवन में क्रांतिकारी बदलाव ला दिया है. अब उन्हें फसल बेचने के लिए मंडी तक जाने की भी जरूरत नहीं. अब तक 8.5 लाख से ज्यादा किसान इस ऐप से जुड़ चुके हैं. इन किसानों ने 8.5 लाख मेट्रिक टन से ज्यादा फसल ऑनलाइन बेच दी है. ये किसान अपने ही तय किए दाम पर, बिना किसी दलाल के, सीधे व्यापारी से सौदा कर रहे हैं- वो भी अपने मोबाइल से.

कैसे काम करता है ये ऐप?

ई-मंडी ऐप मंडी में हर गतिविधि को रियल टाइम में रिकॉर्ड करता है. किसान मंडी में जाते हैं, वहां उनकी फसल की नीलामी होती है, तौल होती है और भुगतान मोबाइल के जरिए सीधा बैंक खाते में चला जाता है. एमपी फार्म गेट ऐप में किसान अपनी फसल की जानकारी अपलोड करते हैं, दाम तय करते हैं और फिर व्यापारी उनसे संपर्क कर सौदा करता है. भुगतान सीधा किसान के खाते में आता है. ये पूरा प्रोसेस सुरक्षित, आसान और पारदर्शी है.

किसान बोले- अब हम भी डिजिटल हुए

मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है जिसने किसानों को घर बैठे फसल बेचने की सुविधा दी है. ये पहल न केवल तकनीकी रूप से एडवांस है, बल्कि किसानों की मेहनत का पूरा मोल देने वाली भी है. किसानों का कहना है कि अब वे खुद तय करते हैं कि कब, कहां और कितने में फसल बेचनी है. इस स्वतंत्रता और पारदर्शिता ने उनमें आत्मविश्वास बढ़ाया है.

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