DAP vs SSP: रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है तिलहनी फसल सरसों, जिसकी खेती भारत में बड़ा पैमाने पर की जाती है. फसल से मिलने वाली पैदावार की क्वालिटी और क्वांटिटी इस बात पर निर्भर करती है कि फसल को सही और भरपूर मात्रा में खाद और उर्वरक दिए गए हैं या नहीं. ऐसे में किसानों के बीच अक्सर ये सवाल रहता है कि DAP (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) और SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) में से कौन-सी खाद सरसों की फसल के लिए ज्यादा फायदेमंद है. उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने किसानों की सहूलियत के लिए दोनों ही खादों की खासियत और फायदे बताए हैं.
सरसों में DAP इस्तेमाल करने के फायदे
DAP यानी डाय-अमोनियम फॉस्फेट में लगभग 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसदी फॉस्फोरस होता है. सरसों की फसल लगाने के बाद शुरुआती अवस्था में फसल की ग्रोथ के लिए नाइट्रोजन और जड़ विकास के लिए फॉस्फोरस बहुत जरूरी होता है, इसलिए डीएपी का इस्तेमाल करना जरूरी होता है. साथ ही डीएपी के इस्तेमाल से सरसों की फसल में फूल और दाने बनने की प्रक्रिया को मजबूत बनाता है. इसके अलावा सरसों में बेहतर शाखाएं निकलती हैं और दानों का आकार अच्छा बनाता है.
सरसों में SSP के फायदे
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, SSP यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट में 16 फीसदी फॉस्फोरस और 12 फीसदी सल्फर होता है. सल्फर फसल के लिए सबसे जरूरी पोषक तत्व है, इसके इस्तेमाल से सरसों की फसल में तेल की मात्रा बढ़ती है और उत्पादन की क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों में बढ़ोतरी होती है. एसएसपी की खासियत है कि ये पौधों में धीरे-धीरे घुलता है, जिसके कारण पौधों को लंबे समय तक पोषण मिलता रहता है. साथ ही ये खाद मिट्टी की सेहत में सुधार करता है और सूक्ष्म पोषक तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाता है. इसके अलावा एसएलपी के इस्तेमाल से फसल में पीलेपन और पोषण की कमी की समस्या कम होती है.
सरसों के लिए कौन सी खाद है बेस्ट
यूपी कृषि विभाग के अनुसार, सरसों की फसल की बेहतर और अच्छी ग्रोथ के लिए SSP यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट बेसेट होती है. इसके कई कारणों में से प्रमुख कारण है सल्फर की उपलब्धता. दरअसल, सरसों तेल वाली फसल है, जिसे ज्यादा मात्रा में सल्फर की जरूरत होती है जो कि डीएपी में नहीं होता है. जबकि एसएसपी में 12 फीसदी सल्फर की मात्रा होती है,जो कि दानों में तेल की मात्रा और आकार दोनों को बढ़ाता है. इसके अलावा इसमें 20 फीसदी कैल्शियम भी मौजूद होता है जो कि मिट्टी की संरचना को सुधारने का काम करता है.