Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश सरकार ने किसानों से आग्रह किया है कि वे अपनी सुरक्षा के लिए 15 दिसंबर तक फसल बीमा योजना में नामांकन कराएं. दरअसल, हमीरपुर में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिला स्तरीय निगरानी समिति की बैठक में, उपायुक्त अमरजीत सिंह ने लोगों से कहा कि इस योजना को ज्यादा से ज्यादा प्रचारित करें और इसके लाभ उठाएं. बैठक में हमीरपुर जिले में योजना के क्रियान्वयन और उपलब्धियों की समीक्षा भी की गई.
कृषि के उपनिदेशक शशि पाल अत्री ने कहा कि रबी 2025-26 सत्र की गेहूं फसल बीमा कराने की अंतिम तिथि 15 दिसंबर है. किसानों को अपने गेहूं की फसल बीमा कराने के लिए प्रति कनाल केवल 36 रुपये का प्रीमियम देना होगा. यदि प्राकृतिक कारणों से उनकी फसल को नुकसान होता है, तो क्षेमा जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा नुकसान की भरपाई की जाएगी.
जागरूकता शिविर आयोजित करने का आदेश
अधिकारियों ने कहा कि वर्तमान में हमीरपुर जिले में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) धारक 45,810 हैं. बैठक में बैंकों द्वारा इस संख्या बढ़ाने के लिए अपनाई जा रही रणनीतियों पर भी चर्चा हुई. उपायुक्त ने बैंकों को निर्देश दिया कि वे KCC और फसल बीमा को प्राथमिकता दें, ताकि अधिक से अधिक किसान लाभ उठा सकें. साथ ही कृषि विभाग और बीमा कंपनियों को योजना का प्रचार-प्रसार और जागरूकता शिविर आयोजित करने के लिए कहा गया.
जानवरों से होने वाले नुकसान को भी कवर करेगी
बता दें कि फसल बीमा कराने के लिए राज्य सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार भी किसानों को जागरूक कर रही है. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि सरकार ने फसल बीमा योजना का दायरा बढ़ा दिया है. अब यह योजना केवल प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान ही नहीं, बल्कि बाढ़ जैसी जलभराव की स्थितियों और जंगली तथा आवारा जानवरों से होने वाले नुकसान को भी कवर करेगी.
भावी बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं
यह आश्वासन समाजवादी पार्टी के सांसद नरेशचंद्र उत्तम पटेल (फतेहपुर, उत्तर प्रदेश) द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में दिया गया. उन्होंने पूछा था कि सरकार उन फसल क्षतियों का समाधान कैसे करेगी, जो पारंपरिक प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में नहीं आतीं और जिनसे किसानों को बार-बार नुकसान उठाना पड़ता है. सदन में उठे सवालों का जवाब देते हुए मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार ने फसल बीमा योजना को किसानों की जरूरतों के हिसाब से और ज्यादा आसान और प्रभावी बनाने के लिए कई बदलाव किए हैं.
अब इसे बदलकर गांव स्तर पर कर दिया गया है
उन्होंने समझाया कि पहले फसल नुकसान का आकलन तहसील स्तर पर होता था, लेकिन अब इसे बदलकर गांव स्तर पर कर दिया गया है. इससे छोटे-छोटे स्थानीय नुकसान भी ठीक तरह से पहचाने जा सकेंगे और प्रभावित किसान योजना का लाभ ले पाएंगे. चौहान ने कहा कि अगर किसी खेत के एक छोटे से हिस्से में भी स्थानीय कारणों से नुकसान होता है, तो हम फसल बीमा योजना के तहत उसकी भरपाई करते हैं, क्योंकि इसमें किसान की कोई गलती नहीं होती.