किसान क्रेडिट कार्ड में ऐसे होता है फसली ऋण का आकलन, जानिए पूरा फॉर्मूला

फसली ऋण के आकलन और भुगतान के नियमों को लेकर किसान क्रेडिट कार्ड की पूरी प्रक्रिया तय है, जिससे किसानों को समय पर सस्ती दर पर कर्ज मिल सके.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 11 Jun, 2025 | 09:54 PM

अगर आप किसान हैं और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) का फायदा लेना चाहते हैं तो ये खबर आपके लिए बेहद जरूरी है. सरकार किसानों को खेती के लिए सस्ती दर पर कर्ज देती है, लेकिन बहुत से किसान नहीं जानते कि उन्हें कितना फसली ऋण मिलेगा और वो कैसे तय होता है. सरकार का उद्देश्य किसानों को उनकी वास्तविक खेती लागत के मुताबिक सुलभ और पर्याप्त ऋण उपलब्ध कराना है.

कई घटकों को जोड़कर तय होती है राशि

किसान क्रेडिट कार्ड के तहत फसली ऋण की सीमा तय करने का एक स्पष्ट फार्मूला होता है. इस फार्मूले के जरिए यह आकलन किया जाता है कि किसान को कितनी राशि कर्ज के रूप में दी जा सकती है. उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार, यह राशि कई घटकों को जोड़कर तय होती है.

फसल के लिए वित्तमान
यह उस फसल की लागत होती है, जिसे किसान उगाना चाहता है. इसमें बीज, खाद, कीटनाशक, सिंचाई आदि का खर्च शामिल होता है.

फसल बीमा की किस्त

किसान को जिस फसल के लिए ऋण चाहिए, उसकी बीमा किस्त भी जोड़ी जाती है.

फसली क्षेत्र की सीमा

यह देखा जाता है कि किसान कितने क्षेत्र में खेती कर रहा है. यही तय करता है कि कुल कितनी राशि का ऋण दिया जाएगा.

घरेलू जरूरतें और कटाई के बाद की जरूरतें

फसल कटाई के बाद भंडारण, सफाई, परिवहन आदि पर भी खर्च होता है. इसके लिए कुल ऋण सीमा का 10 प्रतिशत अतिरिक्त जोड़ा जाता है.

फार्म असेट और रख-रखाव खर्च

किसान के उपकरणों, सिंचाई पंप, ट्रैक्टर जैसे फार्म असेट के रख-रखाव के लिए 20 प्रतिशत तक अतिरिक्त राशि शामिल की जाती है.

सीमांत किसानों के लिए लचीला KCC और लंबी वैधता

छोटे और सीमांत किसानों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने फ्लैक्सी किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की व्यवस्था बनाई है. इस स्कीम के तहत किसान अपनी जरूरत के हिसाब से रकम निकाल सकते हैं. खास बात यह है कि किसान क्रेडिट कार्ड एक बार जारी होने के बाद पांच साल तक वैध रहता है. इस दौरान किसानों को हर साल नया आवेदन नहीं करना पड़ता, जिससे कागजी कार्यवाही में भी आसानी रहती है.

बिना मार्जिन के आसान फसली ऋण, 12 महीने में चुकानी होगी किस्त

फसली ऋण में किसानों को अलग से कोई मार्जिन देने की जरूरत नहीं होती. क्योंकि यह पहले से ही वित्तमान में जोड़ा जाता है. साथ ही, किसान को ध्यान रखना होता है कि किसी भी किस्त की रकम 12 महीने से अधिक बकाया न रहे. इससे किसानों पर पुराने कर्ज का अतिरिक्त बोझ नहीं बढ़ता और ऋण चुकाने में आसानी होती है.

ब्याज में छूट और प्रोसेसिंग फीस से राहत

समय पर ऋण चुकाने वाले किसानों को ब्याज पर छूट दी जाती है, जो केंद्र और राज्य सरकार की नीतियों के अनुसार तय होती है. इसके अलावा तीन लाख रुपये तक के फसली ऋण पर कोई प्रोसेसिंग फीस नहीं ली जाती. पहली बार ऋण लेते समय किसान को उगाई गई या प्रस्तावित फसलों की पूरी जानकारी देनी होती है. आगे चलकर हर बार केवल सामान्य घोषणा भरने से ही काम हो जाता है.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?

Side Banner

अमरूद के उत्पादन में सबसे आगे कौन सा प्रदेश है?