केंद्र सरकार की किसान कल्याण से जुड़ी महत्वाकांक्षी फसल बीमा योजना में यूपी के तमाम जिलों में हुए घोटाले का दायरा अब बुंदेलखंड से बाहर जाकर ब्रज क्षेत्र तक पहुंच गया है. महोबा जिले के कुछ सजग किसानों द्वारा उजागर किए गए इस मामले की परतें जैसे जैसे खुल रही है, वैसे ही इसका दायरा भी बढ़ता जा रहा है. शासन प्रशासन के स्तर पर मामले की जांच अपनी ही गति से चल रही है, वहीं व्हिसल ब्लोअर बन चुके किसान भी जांच को अंजाम तक पहुंचाने की जिद के साथ अपने गांव में ही पिछले 120 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं.
मामले की जांच आगे बढ़ने के साथ ही किसानों द्वारा शासन को सौंपे गए साक्ष्यों के आधार पर इस मामले में जो तथ्य पेश किए गए हैं, उनकी भी एक एक करके पुष्टि हो रही है. इस कड़ी में फसल बीमा घोटाले को उजागर करने वाले महोबा जिले के किसान गुलाब सिंह ने पीएम फसल बीमा योजना के पोर्टल में दर्ज आंकड़ों के साथ हाल ही में हेरफेर करने का आरोप लगाया है. उनका दावा है कि यह मामला सामने आने के बाद फसल बीमा के पोर्टल पर दर्ज डाटा बदला गया है. गुलाब सिंह ने कहा कि किसानों ने गत अगस्त में जब इस मामले की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई, उस समय पोर्टल पर महोबा जिले में किसानों को दिए गए बीमा क्लेम की राशि से जुडा जो डाटा दर्ज था, उसमें दिसंबर तक पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद बदलाव कर दिया गया.
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हालांकि महोबा जिले के उप कृषि निदेशक राम सजीवन का कहना है कि फसल बीमा पोर्टल का संचालन शासन स्तर से होता है, इसलिए जिला स्तर पर इसमें दर्ज आंकड़ों में कोई बदलाव करना मुमकिन नहीं है. वहीं शिकायतकर्ता किसानों का आरोप है कि आंकड़ों में तब्दीली कृषि विभाग और बीमा कंपनी के कर्मचारियों की मिलीभगत से की गई. सिंह ने अगस्त और दिसंबर में दर्ज आंकड़ों के आधार पर बताया कि अगस्त में महोबा के संतोषपुरा गांव के 113 किसानों को 55 लाख रुपये बीमा क्लेम देने की बात कही गई थी, जबकि दिसंबर में पोर्टल पर बीमित किसानों की संख्या और उनकी जमीन का रकबा को यथावत दर्ज था, लेकिन बीमा क्लेम की राशि घटकर नौ लाख रुपये रह गई.
सिंह का आरोप है कि इस गांव के किसानों को 9 लाख रुपये ही मिले, बाकी के 46 लाख रुपये फर्जी बीमित लोगों के खाते में चले गए. इन्हीं तथ्यों की जांच कराने की मांग आंदोलनरत किसान कर रहे हैं. जांच में भी पाया गया है कि महोबा जिले के कई गांवों में बीमित किसानों की संख्या और बीमा क्लेम की राशि एक समान रहने के बावजूद अगस्त में दर्ज की गई क्लेम की राशि और दिसंबर में पोर्टल पर दिख रही राशि में काफी अंतर है. इससे जांच एजेंसियां अंदाजा लगा रही हैं, इस मामले में आशंका से कहीं ज्यादा बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है.
ब्रज क्षेत्र भी आया जांच की आंच में
इस साल अगस्त में गुलाब सिंह द्वारा महाेबा जिले के दर्जनभर से ज्यादा गांवों के किसानों की जमीन के दस्तावेजों का दुरुपयोग कर फर्जी किसानों को बीमा क्लेम की राशि देने का आरोप लगाते हुए यह मामला उठाया था. उन्होंने इसके बाद फसल बीमा पोर्टल पर दर्ज पडोसी जिले झांसी के फसल बीमा संबंधी आंकड़ों की गहनता से पड़ताल की. इसमें पता चला कि झांसी जिले में किए गए फसल बीमा के क्लेम की राशि का भुगतान जालौन और हरदोई जिले तक में किया गया. पुलिस द्वारा जांच का दायरा बढ़ाये जाने पर अब पता चला है कि इस तरह की गड़बड़ी बुंदेलखंड में हमीरपुर और ललितपुर जिले में भी हुई हैं, साथ ही अब ब्रज क्षेत्र में मथुरा और इसके पडोसी जिला फर्रुखाबाद में भी इसी तरह से किसानों के साथ छल करके फर्जी बीमा कराए गए. इसके एवज में वास्तविक किसानों को मौसम की मार से फसल को हुए नुकसान के लिए बीमा कंपनियों द्वारा दो से पांच हजार रुपये तक बीमा क्लेम के रूप में दिए गए. जबकि फर्जीवाड़े में शामिल लोगों को महोबा के संतोषपुरा गांव की तर्ज पर लाखों रुपये का भुगतान कर दिया गया.
एक ही गांव में हुआ करोड़ों का बंदरबांट
शिकायतकर्ता किसानों द्वारा पुलिस में दर्ज कराई गई एफआईआर में जिन दस्तावेजों को साक्ष्य के रूप में दिया गया है, उनमें तमाम चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. इसके मुताबिक महोबा जिले की कुलपहाड़ तहसील के इंदौरा गांव में खरीफ सीजन 2024 में पोर्टल पर 1.10 करोड रुपये बीमा क्लेम का भुगतान दर्शाया गया है. इसमें से 33 लोगों के खाते में जमा कराया गया 83.49 लाख रुपए का बीमा क्लेम शामिल है. हैरत की बात तो यह है कि इन 33 लाभार्थियों में से एक भी व्यक्ति इंदौरा गांव का रहने वाला नहीं है. इस सूची में हमीरपुर और जालौन में उरई के लोगों का नाम शामिल है.
जालसाजों की जेब में गया सांसद की जमीन का बीमा क्लेम
जांच में पता चला है कि झांसी के सांसद अनुराग शर्मा की जमीन पर कराए गए फसल बीमा के क्लेम का भुगतान महोबा जिले के चरखारी में हो गया. फसल बीमा के जालसाजों ने सांसद की नयागांव स्थित जमीन, जिसकी खतौनी संख्या 701 है, पर कराए गए बीमा का पैसा भी ले लिया. यह पैसा चरखारी में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया एवं बैंक ऑफ बड़ौदा में शिवकुमार और पूनम देवी नामक खाताधारक के बैंक खाते में जमा कराई गई. सांसद के गांव में कुल 40 बीमा पॉलिसी कराई गई थीं. इनमें से 31 बीमित जालौन जिले के निवासी पाए गए.