धान से कपास तक…जानिए किस फसल को मिलती है फसल बीमा की सुरक्षा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ, रबी और व्यावसायिक फसलों को कवर किया जाता है. इसमें धान, गेहूं, कपास, गन्ना, प्याज जैसी फसलें शामिल हैं.

नोएडा | Published: 9 Jun, 2025 | 11:30 AM

खेती-किसानी अपने आप में एक बड़ा जोखिम है. मौसम कभी साथ देता है तो कभी अचानक बारिश या ओलावृष्टि फसल को बर्बाद कर देती है. ऐसे में किसानों को राहत देने के लिए सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) चलाती है. इस योजना में धान, गेहूं से लेकर कपास और आलू-प्याज जैसी बागवानी फसलें भी शामिल हैं. यानी अगर आपकी फसल योजना के दायरे में है तो प्राकृतिक आपदा या नुकसान की स्थिति में बीमा के जरिए आर्थिक मदद मिल सकती है.

योजना में ये फसले हैं शामिल

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत तीन मुख्य श्रेणियों की फसलें कवर की जाती हैं. खरीफ, रबी और व्यावसायिक (या बागवानी) फसलें.

  • खरीफ फसलें- इसमें धान, मक्का, बाजरा, अरहर, मूंग, उड़द और सोयाबीन जैसी फसलें आती हैं, जो मानसून के समय बोई जाती हैं.
  • रबी फसलें- इनमें गेहूं, चना, जौ, मसूर, सरसों जैसी फसलें शामिल हैं, जो सर्दी में बोई जाती हैं और गर्मियों में काटी जाती हैं.
  • व्यावसायिक और बागवानी फसलें- कपास, गन्ना, आलू, प्याज, टमाटर आदि भी योजना में शामिल हैं.

योजना लाने का मुख्य पहलू

इस योजना का मकसद सिर्फ बीमा देना नहीं है, बल्कि किसानों को आत्मनिर्भर बनाना भी है. इसके पीछे कुछ खास पहलू हैं.

  • फसल खराब होने पर किसान को आर्थिक सहारा मिल सके.
  • खेती से होने वाली आय को स्थिर करना ताकि किसान कर्ज में न डूबे.
  • किसानों को खेती में बने रहने के लिए हौसला देना.
  • नई तकनीकों और आधुनिक खेती को अपनाने के लिए प्रोत्साहन देना.

ये व्यक्ति ले सकते हैं योजना का लाभ

यह योजना देश के सभी किसानों के लिए खुली है, लेकिन कुछ शर्तें पूरी करनी जरूरी हैं.

  • किसान उसी फसल की खेती कर रहा हो, जो उस इलाके में मान्यता प्राप्त है.
  • खेत का मालिकाना हक या लीज पर होने के कागजात जरूरी हैं.
  • बीमा करवाने की अंतिम तारीख सीजन शुरू होने के 15 दिनों के अंदर होती है.
  • एक ही फसल के लिए दो अलग योजनाओं से मुआवजा नहीं ले सकते.

योजना के फायदे क्या- क्या हैं

इस योजना का सबसे बड़ा फायदा है कम प्रीमियम में अधिक सुरक्षा. इसके तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं जैसे सूखा, बाढ़, तूफान आदि के दौरान आर्थिक सहायता मिलती है, जो खेती में आत्मविश्वास बढ़ाती है. साथ ही, यह योजना सरकारी सहायता से भरोसेमंद बनती है. डिजिटल क्लेम प्रक्रिया के कारण दावा राशि तेजी से किसानों के खाते में पहुंचती है, जिससे उन्हें आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता. इसके अलावा, इस योजना से खेती के जोखिम कम होते हैं और किसान बेहतर तरीके से अपनी खेती योजना बना सकते हैं.