Soybean oil imports: भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाले वनस्पति तेलों की कीमतें अक्सर अंतरराष्ट्रीय बाजार के हिसाब से बदलती रहती हैं. ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि देश समय रहते अपनी जरूरत का तेल खरीद ले, ताकि बाद में अचानक बढ़ती कीमतों से आम लोगों को परेशानी न हो. इसी सोच के साथ भारत ने अगले साल अप्रैल से जुलाई 2026 तक की जरूरत के लिए सोया तेल की बड़ी और दुर्लभ अग्रिम खरीद कर ली है. यह खरीद इसलिए खास है क्योंकि आमतौर पर इतनी लंबी अवधि के लिए तेल बुक नहीं किया जाता. लेकिन इस बार परिस्थितियां कुछ अलग हैं.
सोया तेल अभी पाम तेल से सस्ता
सामान्य तौर पर सोया तेल पाम तेल से महंगा होता है, लेकिन इस बार बाजार उल्टा दिखाई दे रहा है. हाल के महीनों में दक्षिण अमेरिका से मिलने वाला सोया तेल पाम तेल से 20–30 डॉलर प्रति टन तक सस्ता था. इस अंतर को देखकर भारतीय खरीदारों ने तुरंत फैसला लिया और अगले चार महीनों के लिए हर महीने 1.5 लाख टन से ज्यादा सोया तेल की बुकिंग फिक्स कर दी. यह खरीद सामान्य से कई गुना ज्यादा है और इससे साफ है कि भारत ने भविष्य की पूरी तैयारी पहले ही कर ली है.
इंडोनेशिया की नई नीति से पाम तेल महंगा होने के संकेत
भारत की अग्रिम खरीद के पीछे सबसे बड़ा कारण इंडोनेशिया की नई बायोडीजल नीति है. दुनिया का सबसे बड़ा पाम तेल निर्यातक देश 2026 के अंत तक अपने बायोडीजल मिश्रण को B40 से बढ़ाकर B50 करने की योजना पर काम कर रहा है. इसका मतलब है कि देश में पाम तेल की खपत बढ़ जाएगी और निर्यात के लिए कम तेल बचेगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि जैसे ही यह नीति लागू होगी, वैश्विक बाजार में पाम तेल की कीमतें तेजी से ऊपर जा सकती हैं. इसी संभावित खतरे को देखते हुए भारत ने समय रहते सस्ते सोया तेल पर दांव लगाया है.
सूरजमुखी तेल की कमी का डर
इतना ही नहीं, सूरजमुखी तेल की आपूर्ति भी इस बार कमजोर रहने की आशंका है. ब्लैक सी और यूरोप की फसल कमजोर बताई जा रही है.
जब एक साथ दो बड़े तेल पाम और सूरजमुखी की आपूर्ति कमजोर होने लगे, तो तीसरा विकल्प यानी सोया तेल ही बचता है. इसी वजह से भारतीय कंपनियों ने सोया तेल को एक सुरक्षित विकल्प मानकर इसकी समय पर बुकिंग सुनिश्चित की है.
अभी बाजार में पाम तेल सस्ता
यह भी ध्यान देने वाली बात है कि लंबे समय की खरीद के बावजूद इस समय बाजार में पाम तेल सोया तेल से अभी भी 90–100 डॉलर प्रति टन सस्ता है. इस वजह से कुछ आयातकों ने 25,000–35,000 टन के सोया तेल के पुराने सौदे रद्द कर दिए और सस्ते पाम तेल की ओर रुख कर लिया. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ अल्पकालिक परिस्थिति है. आगे चलकर पाम तेल के दाम ऊपर जा सकते हैं, इसलिए पहले से की गई बुकिंग भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है.
सर्दियों में भी सोया तेल की मांग कम
आमतौर पर सर्दियों में सोया तेल की मांग बढ़ जाती है, क्योंकि पाम तेल ठंड में जमने लगता है. लेकिन इस बार घरेलू बाजार में पहले से मौजूद सस्ते स्टॉक और ऊंची अंतरराष्ट्रीय कीमतों के कारण सोया तेल की मांग उतनी नहीं दिख रही. यही वजह है कि आयातक कंपनियां ज्यादा सतर्क होकर निर्णय ले रही हैं.