Hilsa Price: पश्चिम बंगाल के लोगों के लिए दुर्गा पूजा का त्योहार स्वादिष्ट मछली के बिना अधूरा लगता है. खासकर हिलसा मछली, जिसे मछलियों की “रानी” कहा जाता है, इस मौसम में हर घर के मेन्यू का खास हिस्सा होती है. लेकिन इस बार त्योहार के दौरान बांग्लादेशी हिलसा का स्वाद लेना कोलकाता और आसपास के लोगों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. वजह है इसकी आसमान छूती कीमतें, जिनके कारण व्यापारी अब इस मछली का आयात करने से पीछे हट रहे हैं.
पहली खेप में ही दिखा असर
दरअसल, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने दुर्गा पूजा से पहले भारत को 1,200 टन हिलसा निर्यात करने की अनुमति दी थी. 17 सितंबर को पहली खेप पश्चिम बंगाल के पेट्रापोल बॉर्डर से भारत पहुंची. शुरुआत में 8 ट्रकों में करीब 37 टन हिलसा आई, लेकिन इसके बाद से खेप लगातार कम होती गई. अब तक सिर्फ करीब 80 टन मछली ही भारत लाई जा सकी है. कस्टम अधिकारियों का कहना है कि जिस तरह ट्रकों की संख्या घट रही है, उससे आगे और आयात की संभावना बेहद कम है.
व्यापारियों को हो रहा नुकसान
बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, कोलकाता के मछली आयातकों का कहना है कि इस बार बांग्लादेशी हिलसा की कीमतें इतनी ज्यादा हैं कि उन्हें बेचने पर भी लागत पूरी नहीं हो रही. फिश इंपोर्टर्स एसोसिएशन के सचिव सैयद अनवर मकसूद ने बताया, “इस बार बांग्लादेश में हिलसा की उपलब्धता कम है, इसी कारण इसकी कीमत बहुत बढ़ गई है. हमने जो खेप पहले मंगाई थी, उसमें पहले ही नुकसान हो चुका है. ऐसे में आगे आयात करना हमारे लिए फायदे का सौदा नहीं है.”
बाजार में कीमतों की स्थिति
पहली खेप आने के बाद कोलकाता के गरियाहाट जैसे बड़े बाजारों में करीब एक किलो वजन वाली बांग्लादेशी हिलसा 1,900 से 2,000 रुपये प्रति किलो तक बिकी. इतनी ऊंची कीमत पर ग्राहकों की मांग बेहद कम रही. जबकि दूसरी ओर, म्यांमार और गुजरात की हिलसा कोलकाता के बाजारों में लगभग आधी कीमत पर मिल रही है. गुजरात की हिलसा 900 से 1,000 रुपये प्रति किलो और म्यांमार की हिलसा उससे भी कम दाम पर बिक रही है.
स्थानीय बाजार में गिरा औसत भाव
पश्चिम बंगाल सरकार की टास्क फोर्स के सदस्य कमल डे के अनुसार, बाजार में हिलसा की आपूर्ति बढ़ने के कारण औसत कीमतों में हल्की गिरावट दर्ज की गई है. पिछले हफ्ते की तुलना में अब मछली की कीमत प्रति किलो लगभग 200 से 300 रुपये कम हो गई है.
ग्राहकों का रुझान सस्ता विकल्पों की ओर
बांग्लादेशी हिलसा की ऊंची कीमत ने ग्राहकों को म्यांमार और गुजरात की हिलसा की ओर मोड़ दिया है. भले ही स्वाद में “पद्मा हिलसा” की बराबरी कोई न कर पाए, लेकिन कम बजट में त्योहार मनाने वाले लोग अब इन विकल्पों से ही संतोष कर रहे हैं.
त्योहार के मौसम में हिलसा की मांग हमेशा ज्यादा रहती है, लेकिन इस बार बढ़ते दामों और कम आयात ने इसका स्वाद आम लोगों से दूर कर दिया है. अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में कोलकाता के बाजारों में बांग्लादेशी हिलसा मिलना और मुश्किल हो सकता है.