रिकॉर्ड कीमतों ने झकझोरा जूट सेक्टर, पश्चिम बंगाल में मिलों का उत्पादन घटा- जानिए असली वजह

जूट उद्योग के जानकारों के अनुसार सितंबर 2025 में बांग्लादेश द्वारा कच्चे जूट के निर्यात पर अचानक रोक लगाने से हालात और बिगड़ गए. भारत की कई जूट मिलें आंशिक रूप से बांग्लादेश से आने वाले कच्चे जूट पर निर्भर थीं. सप्लाई रुकते ही घरेलू बाजार में दबाव बढ़ा और कीमतें तेजी से ऊपर चली गईं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 23 Dec, 2025 | 08:36 AM
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Jute industry crisis: देश के जूट उद्योग पर इन दिनों गहरी चिंता के बादल मंडरा रहे हैं. कच्चे जूट की कीमतों में रिकॉर्डतोड़ बढ़ोतरी के चलते पश्चिम बंगाल की कई जूट मिलों ने उत्पादन घटा दिया है. हालात ऐसे बन गए हैं कि मिलों के पास न तो पर्याप्त कच्चा माल है और न ही भविष्य की उत्पादन योजना बनाने का भरोसा. जूट पर निर्भर हजारों मजदूरों और इससे जुड़े कारोबारियों के लिए यह स्थिति मुश्किलें बढ़ाने वाली साबित हो रही है.

कच्चे जूट की कीमतों ने तोड़ा रिकॉर्ड

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के दिनों में कच्चे जूट की कीमतें 1 लाख 10 हजार रुपये प्रति टन के पार पहुंच गई हैं. कुछ ही महीनों पहले जुलाई में यही जूट करीब 60 हजार रुपये प्रति टन बिक रहा था. कीमतों में इतनी तेज उछाल ने मिल मालिकों को चौंका दिया है. बाजार में जूट की उपलब्धता बेहद सीमित हो गई है, क्योंकि व्यापारी और स्टॉकिस्ट आगे और दाम बढ़ने की उम्मीद में माल रोककर बैठे हैं. इसका सीधा असर मिलों के उत्पादन पर पड़ रहा है.

मिलों में घटे शिफ्ट, उत्पादन पर ब्रेक

हुगली औद्योगिक क्षेत्र की कई जूट मिलें अब हफ्ते में केवल 10 से 15 शिफ्ट ही चला पा रही हैं, जबकि सामान्य रूप से इससे कहीं ज्यादा शिफ्ट में काम होता है. कुछ मिलों ने तो अस्थायी रूप से काम बंद भी कर दिया है. जो इकाइयां अभी चल रही हैं, वे भी कच्चे जूट की बचत के लिए न्यूनतम स्तर पर उत्पादन कर रही हैं. उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि अगर हालात नहीं सुधरे, तो आने वाले हफ्तों में और मिलें संकट में आ सकती हैं.

बांग्लादेश के फैसले से बिगड़े हालात

जूट उद्योग के जानकारों के अनुसार सितंबर 2025 में बांग्लादेश द्वारा कच्चे जूट के निर्यात पर अचानक रोक लगाने से हालात और बिगड़ गए. भारत की कई जूट मिलें आंशिक रूप से बांग्लादेश से आने वाले कच्चे जूट पर निर्भर थीं. सप्लाई रुकते ही घरेलू बाजार में दबाव बढ़ा और कीमतें तेजी से ऊपर चली गईं. इसका असर किसानों, मिलों और पूरी जूट वैल्यू चेन पर देखने को मिल रहा है.

रोजगार और उद्योग पर खतरा

Indian Jute Mills Association ने चेतावनी दी है कि मौजूदा हालात से जूट उद्योग में बड़े पैमाने पर रोजगार पर असर पड़ सकता है. संगठन का कहना है कि कच्चे माल की कमी और बढ़ती कीमतों से मिलों का संचालन मुश्किल हो गया है. इससे न केवल मजदूरों की नौकरी खतरे में है, बल्कि जूट उद्योग की स्थिरता भी डगमगा सकती है.

नीति हस्तक्षेप की उठी मांग

जूट मिल संगठन ने केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की है. उनका कहना है कि कच्चे जूट की जमाखोरी पर सख्त नियंत्रण, कीमतों को स्थिर करने के उपाय और व्यापार संतुलन पर ध्यान देना जरूरी हो गया है. साथ ही जूट बीजों के निर्यात को लेकर भी पुनर्विचार की मांग की जा रही है, ताकि घरेलू किसानों और उद्योग दोनों के हित सुरक्षित रह सकें.

फिलहाल जूट उद्योग अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है. अगर कच्चे जूट की सप्लाई जल्द नहीं सुधरी और कीमतों पर काबू नहीं पाया गया, तो यह संकट और गहरा सकता है. उद्योग को उम्मीद है कि सरकार और संबंधित एजेंसियां समय रहते कदम उठाएंगी, ताकि जूट मिलें दोबारा पूरी क्षमता से चल सकें और लाखों लोगों की आजीविका सुरक्षित रह सके.

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