कश्मीर में फल मंडियों पर लगा ताला, हाईवे बंद होने से 750 करोड़ का नुकसान, सीएम ने केंद्र को घेरा

जम्मू-कश्मीर हर साल 20 से 22 लाख टन सेब पैदा करता है, जो देश की कुल पैदावार का लगभग 75 फीसदी है. यह उद्योग करीब 30 लाख लोगों को सीधा रोजगार देता है. हाईवे बंद होने से न केवल किसानों को आर्थिक झटका लग रहा है, बल्कि सेब की आपूर्ति बाधित होने से देश के कई हिस्सों में कीमतों पर भी असर पड़ सकता है.

नई दिल्ली | Published: 16 Sep, 2025 | 08:43 AM

Kashmir’s fruit markets shut down: कश्मीर की अर्थव्यवस्था के लिए सेब सबसे अहम फसल है. लेकिन इस साल कटाई के पीक सीजन में किसानों को भारी नुकसान झेलना पड़ रहा है. जम्मूश्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग बार-बार बंद होने से फल मंडियों में कारोबार रुक गया है. इससे सेब के हजारों ट्रक फंसे हुए हैं और लाखों डिब्बों में भरे सेब खराब होने लगे हैं. किसानों का कहना है कि अब तक करीब 750 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.

मंडियों में ताले, कारोबार थमा

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, सोमवार को श्रीनगर की परिमपोरा फ्रूट मंडी समेत घाटी की सभी बड़ी फल मंडियों ने पूरी तरह से काम बंद रखा. कश्मीर वैली फ्रूट ग्रोअर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के चेयरमैन बशीर अहमद बशीर ने बताया कि सभी मंडियों को बंद करने का फैसला हाईवे पर लगातार ट्रैफिक रुकने के विरोध में लिया गया. किसानों का कहना है कि हर दिन उनकी कमाई पर भारी असर पड़ रहा है और सेब सड़क पर सड़ रहे हैं.

हाईवे बना बड़ी मुश्किल

यह संकट अगस्त के दूसरे हफ्ते में शुरू हुआ, जब लगातार बारिश और भूस्खलन ने जम्मूश्रीनगर हाईवे को कई जगह से नुकसान पहुंचाया. जगह-जगह पहाड़ खिसकने और पत्थर गिरने से सड़क बार-बार बंद हो रही है. कई हिस्सों में केवल सिंगल लेन से ही ट्रैफिक चल रहा है. उधमपुर के थर्ड इलाके में सड़क धंसने से हालात और बिगड़ गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि ट्रकों को खींचने के लिए भारी मशीनरी का इस्तेमाल करना पड़ रहा है और फिलहाल जो रास्ता खुला है, वह भी अस्थायी है.

किसानों का गुस्सा सड़कों पर

सोमवार को सोपोर, शोपियां और जबलीपोरा की फल मंडियों में किसानों और व्यापारियों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया. कई जगह किसानों ने नारेबाजी की और सरकार से हाईवे को जल्द से जल्द पूरी तरह खोलने की मांग की. शोपियां फ्रूट मंडी के अध्यक्ष मोहम्मद अशरफ वानी ने बताया कि 2 लाख से ज्यादा सेब के कार्टन मंडियों में फंसे पड़े हैं. उन्होंने कहा, “यह संकट कटाई के चरम समय में आया है, जब हर दिन की देरी करोड़ों का नुकसान कर रही है.”

कश्मीर सेब उद्योग पर गहरा असर

जम्मू-कश्मीर हर साल 20 से 22 लाख टन सेब पैदा करता है, जो देश की कुल पैदावार का लगभग 75 फीसदी है. यह उद्योग करीब 30 लाख लोगों को सीधा और परोक्ष रोजगार देता है. हाईवे बंद होने से न केवल किसानों को आर्थिक झटका लग रहा है, बल्कि सेब की आपूर्ति बाधित होने से देश के कई हिस्सों में कीमतों पर भी असर पड़ सकता है.

मुख्यमंत्री का केंद्र पर निशाना

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस संकट पर केंद्र सरकार को घेरा. उन्होंने कहा, “यह हाईवे केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है. अगर वे इसे संभाल नहीं सकते, तो इसे राज्य सरकार को सौंप दें.” उमर अब्दुल्ला ने बताया कि वे केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से बात कर जल्द बहाली की मांग करेंगे.

कश्मीर के किसानों का कहना है कि अगर हाईवे जल्द पूरी तरह बहाल नहीं हुआ तो आने वाले हफ्तों में सेब कारोबार को अपूरणीय नुकसान हो सकता है. अब उनकी नजरें सरकार के ठोस कदम पर टिकी हैं, ताकि घाटी का यह अहम उद्योग फिर से पटरी पर लौट सके.