Sugar Production: हाल ही में महाराष्ट्र के कई जिलों में हुई भारी बारिश ने गन्ने की फसलों को बुरी तरह प्रभावित किया है. सोलापुर, नासिक, अहमदनगर और मराठवाड़ा जैसे इलाकों में गन्ने के खेत हफ्तों तक पानी में डूबे रहे. पश्चिमी महाराष्ट्र के नदी किनारे वाले इलाकों में भी गन्ने की फसल बाढ़ के कारण नुकसान झेल रही है. शुरुआती अनुमान के मुताबिक लगभग 100 लाख टन गन्ने को नुकसान पहुंचा है.
फिर भी, चीनी मिलर्स और उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार उत्पादन पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा. महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल संघ (MSCSMA) के अनुसार, कुल मिलाकर करीब 1,200 लाख टन गन्ना क्रशिंग के लिए उपलब्ध रहेगा, जो पिछले साल के 850 लाख टन की तुलना में काफी अधिक है.
उत्पादन में मामूली गिरावट, लेकिन स्थिति नियंत्रण में
बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक, संघ ने बताया कि गन्ने की अनुमानित उपज 82 टन प्रति हेक्टेयर से घटाकर 74 टन प्रति हेक्टेयर कर दी गई है. यानी बारिश का असर दिखा जरूर है, परंतु यह नुकसान इतना नहीं कि पूरे राज्य के उत्पादन को प्रभावित कर दे.
राष्ट्रीय सहकारी चीनी कारखाना महासंघ (NFCSF) के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटिल ने कहा, “बारिश से फसलों को नुकसान हुआ है, लेकिन कुल मिलाकर चीनी उत्पादन पर कोई बड़ा प्रभाव नहीं पड़ेगा.”
उन्होंने केंद्र सरकार से अतिरिक्त निर्यात कोटा देने की अपील की और कहा कि एथेनॉल की कीमत बढ़ाने से किसानों को सीधा फायदा होगा.
दिवाली से पहले चीनी के दाम बढ़ने की आशंका
बारिश के कारण गन्ने की बढ़वार धीमी हुई है और क्रशिंग सीजन में देरी की संभावना है. सामान्यतः यह सीजन 1 नवंबर से शुरू होता है, लेकिन इस बार नई चीनी नवंबर के अंत तक ही बाजार में आएगी.
विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस देरी से दिवाली सीजन में खुदरा बाजार में चीनी के दाम बढ़ सकते हैं, जो पहले ही 4,000 रुपये प्रति टन का स्तर पार कर चुके हैं.
सरकार और मिलर्स के बीच विवाद
बारिश से प्रभावित किसानों के लिए सरकार ने 31,628 करोड़ रुपये का बाढ़ राहत पैकेज घोषित किया है, लेकिन इसके साथ ही एक नया विवाद भी शुरू हो गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चेतावनी दी है कि “जो मिलें किसानों के गन्ने का वजन गलत बता कर धोखाधड़ी कर रही हैं, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.”
सरकार ने यह भी आदेश दिया है कि हर चीनी मिल को प्रति टन गन्ना 10 रुपये मुख्यमंत्री राहत कोष और 5 रुपये बाढ़ प्रभावित किसानों की मदद के लिए देने होंगे.
फडणवीस ने कहा, “मिलें किसानों की ही संपत्ति हैं, निजी नहीं. हमने यह कदम इसलिए उठाया ताकि बाढ़ से प्रभावित किसानों को मदद मिल सके.”
मिलों की दलील और किसानों की नाराजगी
मिलर्स का कहना है कि कई चीनी फैक्ट्रियां पहले से ही वित्तीय संकट में हैं, ऐसे में अतिरिक्त लेवी देना मुश्किल होगा.
वहीं किसान नेता राजू शेट्टी ने आरोप लगाया कि कई मिलों ने पिछले सीजन का FRP (Fair and Remunerative Price) अब तक पूरा नहीं चुकाया है. उन्होंने कहा “हमने सरकार को ऐसे मिलों की सूची साक्ष्यों के साथ सौंपी है. मुख्यमंत्री को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.”