देशभर में गिरी मक्का की कीमतें, किसानों की चिंता बढ़ी- जानिए क्यों घट रही मांग

इस बार देश में मक्का की खेती पिछले साल के मुकाबले करीब 1 मिलियन हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में की गई है. पिछले साल 8.43 मिलियन हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, जबकि इस साल यह बढ़कर 9.49 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गई. ज्यादा बुवाई और अच्छी पैदावार के चलते बाजार में मक्का की आवक बढ़ गई है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 4 Nov, 2025 | 03:45 PM

देशभर में इस साल खरीफ सीजन में मक्का (भुट्टा) की बंपर पैदावार हुई है, लेकिन किसानों के लिए यह अच्छी खबर नहीं बन पाई है. मंडियों में बढ़ती आवक के बीच मक्का के भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे गिर गए हैं. कई राज्यों में किसान अपनी उपज 1300 रुपये से 2100 रुपये प्रति क्विंटल तक बेचने को मजबूर हैं, जबकि सरकार ने खरीफ 2025 के लिए एमएसपी 2400 रुपये तय किया है.

मक्का के दामों में गिरावट के पीछे की वजह

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस बार देश में मक्का की खेती पिछले साल के मुकाबले करीब 1 मिलियन हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्र में की गई है. पिछले साल 8.43 मिलियन हेक्टेयर में बुवाई हुई थी, जबकि इस साल यह बढ़कर 9.49 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गई. ज्यादा बुवाई और अच्छी पैदावार के चलते बाजार में मक्का की आवक बढ़ गई है.

दूसरी ओर, जिन सेक्टरों में मक्का की मांग रहती थी जैसे एथेनॉल उत्पादन और पोल्ट्री फीड वहां अब खपत घट रही है. सरकार ने एथेनॉल उत्पादन के लिए 2025–26 में 52 लाख टन चावल आवंटित किया है. इसके चलते एथेनॉल कंपनियों की ओर से मक्का की मांग कम हो गई है.

एथेनॉल और पोल्ट्री सेक्टर से घटती मांग

IGrain इंडिया के विशेषज्ञ राहुल चौहान के अनुसार, एथेनॉल कंपनियों के पास अब चावल और गन्ना जैसे वैकल्पिक विकल्प हैं, इसलिए वे मक्का का उपयोग कम कर रही हैं. वहीं, पोल्ट्री सेक्टर में DDGS (डिस्टिलर्स ड्राइड ग्रेन्स विद सॉल्युबल्स) की उपलब्धता बढ़ी है, जो मक्का की जगह काम आता है. इससे पशु आहार उद्योग में भी मक्का की खपत घटी है.

कई राज्यों में मंडियों में भाव गिरे

महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और बिहार जैसे राज्यों की मंडियों में मक्का के दाम पिछले साल की तुलना में काफी नीचे आ गए हैं. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र के जालना जिले में पिछले साल अक्टूबर में भाव 1900–2300 रुपये प्रति क्विंटल थे, जबकि इस साल कीमत घटकर 1450 रुपये तक पहुंच गई है. कई जगह न्यूनतम भाव 950 रुपये प्रति क्विंटल तक दर्ज किए गए हैं.

सांगली जिले के किसान बाबा सावंत बताते हैं कि, “भले ही कुछ जगहों पर फसल को नुकसान हुआ है, लेकिन इस बार ज्यादा किसानों ने मक्का की खेती की है. इसी वजह से बाजार में आवक बढ़ी है और भाव गिर रहे हैं.”

तेलंगाना सरकार कर रही है एमएसपी पर खरीद

तेलंगाना सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए एमएसपी पर मक्का की खरीद शुरू कर दी है. सरकार का लक्ष्य करीब 8 लाख टन मक्का की खरीद का है, जबकि राज्य में कुल उत्पादन 11.5 लाख टन होने की उम्मीद है. अब तक राज्य में 20,000 क्विंटल से अधिक मक्का की खरीद की जा चुकी है.

राज्य के कृषि मंत्री तुम्माला नागेश्वर राव ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि मक्का को “प्राइस सपोर्ट स्कीम” के तहत शामिल किया जाए ताकि किसानों को नुकसान से बचाया जा सके. उन्होंने बताया कि राज्य सरकार लगभग 2500 करोड़ रुपये की खरीद करेगी, लेकिन केंद्र से अब तक कोई मदद नहीं मिली है.

बेमौसम बारिश और चक्रवात से बढ़ी परेशानी

हाल ही में आए “मोंथा चक्रवात” और बेमौसम बारिश से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के कई इलाकों में मक्का की फसल को नुकसान पहुंचा है. खेतों में जलभराव और नमी के कारण दाने की गुणवत्ता पर असर पड़ा है. फिर भी कुल उत्पादन पिछले साल के मुकाबले ज्यादा होने का अनुमान है.

किसानों की मांग और आगे की उम्मीदें

कृषि विशेषज्ञ पी. पी. पवार का कहना है कि सरकार को मक्का से बनने वाले एथेनॉल का दाम बढ़ाना चाहिए ताकि किसानों को कम से कम एमएसपी का भाव मिल सके.

भारत में 2024–25 सीजन के लिए मक्का का कुल उत्पादन अनुमानित 422.81 लाख टन है, जो पिछले साल के 376.65 लाख टन से काफी ज्यादा है. विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे सरकारी खरीद बढ़ेगी और एथेनॉल नीति में सुधार होगा, वैसे-वैसे आने वाले महीनों में मक्का के भाव फिर से स्थिर हो सकते हैं.

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