Karnataka News: कर्नाटक में सुपारी की कीमतों में बंपर उछाल आया है, जिससे व्यापारियों की अच्छी कमाई हो रही है. लेकिन किसान इस कमाई से वंचित हैं. क्योंकि किसानों ने पहले ही व्यापारियों के हाथ अपनी उपच बेच दी थी. ऐसे में रेट बढ़ने पर व्यापारी स्टॉक से सुपारी बेचकर उच्ची कीमत का फायदा कमा रहे हैं. शुक्रवार को होंनाली में रशी सुपारी का रेट 65,099 रुपये क्विंटल, होलालकेरे में 65,390 रुपये क्विंटल और टुमकोस मार्केट (चन्नागिरी) में 66,669 रुपये क्विंटल रहा. यह इस सीजन का सबसे ऊंचा भाव है.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, कीमत अभी और बढ़ सकती है और बाद में लगभग 50,000 रुपये प्रति क्विंटल स्थिर हो सकती है. बिना भूसी वाली खड़ी फसल का भाव लगभग 7,500 रुपये प्रति क्विंटल है और व्यापारी सीधे बागानों में खरीद के लिए दौड़ रहे हैं. इस सीजन में कम उत्पादन और फसल की कमी ने कीमतों को बढ़ा दिया है. शिवमोग्गा, चन्नागिरी और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में सुपारी की फसल को फल सड़न और पत्तियों की पीली बीमारी ने भी प्रभावित किया है. राज्य में सुपारी व्यापार मुख्यतः भिमासमुद्र, चन्नागिरी, शिवमोग्गा और सिरसी बाजारों पर निर्भर करता है. उत्तर भारत की पान मसाला कंपनियां इन बाजारों से सुपारी खरीदती हैं.
कीमत 80,000 रुपये प्रति क्विंटल तक भी जा सकती है
हर साल इस समय दावनागरे और चित्रदुर्ग से सुपारी बाजार में आती है, लेकिन इस सीजन में अत्यधिक बारिश के कारण वहां अभी तक सुपारी प्रोसेसिंग शुरू नहीं हुई है. IMD की भविष्यवाणी के अनुसार, इस क्षेत्र में और बारिश होने वाली है, जिससे सुपारी की मांग और आपूर्ति का हाल और जटिल हो गया है. कई बागानों में पानी जमा होने से फसल की पैदावार भी कम हुई है. भिमासमुद्र के व्यापारी बीटी सिद्धेश ने कहा कि कम पैदावार ही कीमत बढ़ने का मुख्य कारण है. कुछ व्यापारी स्टॉक बचाकर रख रहे हैं, ताकि ऊंचे दाम पर बेच सकें. उनका कहना है कि कीमत 80,000 रुपये प्रति क्विंटल तक भी जा सकती है और बाद में 50,000 रुपये पर स्थिर होगी.
दावनागरे के व्यापारी गडिगुडल मञ्जुनाथ के अनुसार, किसानों के पास बहुत कम स्टॉक बचा है. लगातार भारी बारिश की वजह से नई फसल भी कम आने की संभावना है, क्योंकि किसान फसल तोड़कर प्रोसेस नहीं कर पा रहे. उन्होंने कहा कि अगर सुपारी पर आयात प्रतिबंध जारी रहता है, तो कीमतें ऊंची बनी रहेंगी.
क्या कहते हैं किसान
दोड्डा सिद्दव्वनहल्ली के किसान कृष्णमूर्ति ने कहा कि मौजूदा कीमतों से खुश हैं, लेकिन हमने अपनी फसल पहले ही बेच दी है, इसलिए बड़ा फायदा नहीं उठा पाए. अब वह भविष्य की फसल का स्टॉक बनाने पर ध्यान दे रहे हैं, ताकि अच्छे दाम मिल सकें. सेंट्रल एरकानट एंड कोको मार्केटिंग एंड प्रोसेसिंग को-ऑपरेटिव लिमिटेड (CAMPCO) के अधिकारियों ने भी कहा कि कम उत्पादन और बड़े व्यापारी द्वारा स्टॉक रोकने की वजह से कीमतें बढ़ी हैं. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि यह अस्थिर स्थिति लंबे समय तक नहीं चलेगी और जल्द ही बदल जाएगी.